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West Bengal Assembly By Election 2019: बंगाल में एनआरसी के दांव से दीदी ने दिया झटका

West Bengal Assembly By Election 2019. विधानसभा उपचुनाव में भाजपा 2016 में जीती खड़गपुर सदर सीट गंवाने के साथ करीमपुर और कलियागंज भी हार गई।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 05:48 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 07:02 PM (IST)
West Bengal Assembly By Election 2019: बंगाल में एनआरसी के दांव से दीदी ने दिया झटका
West Bengal Assembly By Election 2019: बंगाल में एनआरसी के दांव से दीदी ने दिया झटका

आनन्द राय, कोलकाता। West Bengal Assembly By Election 2019. महाराष्ट्र में लगे तगड़े झटके से अभी भाजपा उबर भी नहीं पाई कि पश्चिम बंगाल के उपचुनाव परिणाम ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। विधानसभा उपचुनाव में भाजपा 2016 में जीती खड़गपुर सदर सीट गंवाने के साथ करीमपुर और कलियागंज भी हार गई। उपचुनाव में तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यानि दीदी ने एनआरसी के दांव से तीनों सीटें जीतकर भाजपा को झटका दे दिया। भाजपा ने स्वीकार किया है कि एनआरसी के मुद्दे पर वह लोगों को समझा नहीं सकी।

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एनआरसी को लेकर ममता बनर्जी केंद्र सरकार से हमेशा मोर्चा लेती रहीं हैं। चुनाव के दौरान ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में पूरे देश में एनआरसी लागू करने का एलान किया तो ममता बनर्जी ने छूटते ही बयान दिया कि वह पश्चिम बंगाल में इसे लागू नहीं होने देंगी। बताते हैं कि उत्तर दिनाजपुर जिले की कलियागंज सीट और नदिया जिले की करीमपुर सीट पड़ोसी बांग्लादेश की सरहदों को छूती हैं। इन क्षेत्रों में अभी भी बांग्लादेश से घुसपैठ जारी है और बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी निर्णायक भूमिका में है। एनआरसी पर ममता बनर्जी की रणनीति कारगर हो गई। हालांकि भाजपा नेताओं का मानना है कि सियासी स्वार्थ में ममता देश को कमजोर कर रही हैं। तीनों सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को मिली जीत की एक और बड़ी वजह है।

तृणमूल ने अपने उम्मीदवार पहले घोषित कर दिए, जबकि भाजपा ने देरी कर दी। तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस बीच 'दीदी को बोलो' अभियान शुरू करा दिया। इसके तहत पार्षद से लेकर पार्टी नेता आमजन के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुलझाने में जुटे थे। प्रशांत ने दावा भी किया था कि उप चुनाव में तृणमूल को भारी सफलता मिलेगी। अब इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि ममता बनर्जी ने रणनीतिक तौर पर चौतरफा तैयारी की और मिशन 2021 के लिए अपनी बुनियाद मजबूत की है। तृणमूल और भाजपा की सीधी टक्कर में कांग्रेस और माकपा गठबंधन की हवा निकल गई और इसके साथ ही भविष्य की संभावना भी सवालों के घेरे में आ गई है। कांग्रेस भी अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सकी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में कलियागंज सीट कांग्रेस पार्टी ने जीती थी, जबकि करीमपुर तृणमूल कांग्रेस और खड़गपुर सदर सीट भाजपा ने जीती थी। खड़गपुर सीट पर तो भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी क्योंकि यह प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के सांसद बनने के बाद रिक्त हुई थी। दिलीप घोष ने क्षेत्र बनाने में पूरी ताकत लगाई थी लेकिन उप चुनाव के उम्मीदवार प्रेमचंद झा टीएमसी के प्रदीप सरकार से बीस हजार से अधिक मतों से हार गए।

कलियागंज में भाजपा के कमलचंद्र सरकार ने कड़ी टक्कर तो दी लेकिन तृणमूल के तपनदेब ने उन्हें पछाड़ दिया। करीमपुर में तृणमूल के बिमलेंदु सिन्हा राय ने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार को हरा दिया। मतदान के दिन मजूमदार पर हमला भी हुआ। मजूमदार ने तृणमूल पर हिंसा की आड़ में चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया था। बहरहाल तृणमूल ने साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लेकर भाजपा को तीनों सीटों पर झटका दे दिया।

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