Move to Jagran APP

UP PF Scam : पावर कॉरपोरेशन में सत्ता परिवर्तन पर भी न रुके अफसरों के काले कारनामे

भाजपा सरकार बनने के बाद भी डीएचएफएल को पावर कारपोरेशन के वित्त विभाग से जुड़े अफसरों से बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि का पैसा मिलने का सिलसिला थमा नहीं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 10:02 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 07:10 AM (IST)
UP PF Scam : पावर कॉरपोरेशन में सत्ता परिवर्तन पर भी न रुके अफसरों के काले कारनामे
UP PF Scam : पावर कॉरपोरेशन में सत्ता परिवर्तन पर भी न रुके अफसरों के काले कारनामे

लखनऊ [अजय जायसवाल]। उत्तर प्रदेश की सियासत में खलबली मचा रहा बिजली विभाग का भविष्य निधि घोटाला नौकरशाही के भ्रष्टाचार और निरंकुशता का बहुत बड़ा उदाहरण है। दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में नियम विरुद्ध तरीके से निवेश का जो रास्ता पिछली सरकार में अधिकारियों ने बनाया, उसे सत्ता परिवर्तन के साथ बदले अधिकारी भी रोकने की बजाए और चौड़ा कर निवेश करते गए। भाजपा सरकार के तीखे तेवरों से बेखबर अधिकारियों ने 4101.70 करोड़ रुपये फंसा दिए, जबकि पिछली सरकार में यह आंकड़ा 21 करोड़ रुपये तक ही पहुंचा था।

loksabha election banner

डीएचएफसीएल में बिजलीकर्मियों के पीएफ के 2267.90 करोड़ रुपये फंस गए हैैं। सियासतदां भले गेंद को किसके भी पाले में डालने का प्रयास करते रहें लेकिन, हकीकत यह है कि इस खेल को अंजाम देने के लिए विभाग के अफसर दोनों सरकारों की आंख में धूल झोंकने में कामयाब रहे। हां, फर्क सिर्फ यही है कि पहले कम तो बाद में ज्यादा रकम का घोटाला करने में वह कामयाब हो गए। दरअसल, उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट में बिजलीकर्मियों के जीपीएफ के जमा 2631.20 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड ट्रस्ट में सीपीएफ के जमा 1491.50 करोड़ रुपये डीएचएफएल में लगाए हैैं। इसमें से कुल 1854.80 करोड़ रुपये तो वापस हुए, जीपीएफ के 1445.70 करोड़ व सीपीएफ के 822.20 करोड़ रुपये डीएचएफसीएल में फंस गए हैैं। डीएचएफसीएल को सपा सरकार के दौरान पहले-पहल पीएफ के 21 करोड़ रुपये 17 मार्च 2017 को तब दिए गए, जब भाजपा की सरकार बनना तय हो चुका था।

गौर करने की बात है कि 19 मार्च को भाजपा सरकार बनने के बाद भी डीएचएफएल को पावर कारपोरेशन के वित्त विभाग से जुड़े अफसरों से बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि का पैसा मिलने का सिलसिला थमा नहीं। सत्ता परिवर्तन के हफ्तेभर बाद ही डीएचएफएल को दूसरी किस्त के तौर पर पहले से कहीं अधिक 33 करोड़ रुपये दिए गए। इतना ही नहीं, तीन अप्रैल को 215 करोड़, 15 अप्रैल को 96 करोड़, पहली मई को 220 करोड़, 19 मई को 169 करोड़ रुपये डीएचएफएल को दिए जाते रहे। ट्रस्ट का 65 फीसद से अधिक 4122.70 करोड़ रुपये निवेश करने बाद तब यह सिलसिला थमा, जब डीएचएफएल के सामने ही दिक्कतें खड़ी होने लगीं और एक शिकायत की जांच के बाद घोटाला सामने आ गया। इस संबंध में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है कि पावर कारपोरेशन के भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुहिम में अब तक तीन दागी अफसर जेल जा चुके हैैैं। किसी भी भ्रष्टाचारी को कतई बख्शा नहीं जाएगा।

न मंत्री और न ही अध्यक्ष तथा एमडी के हैैं हस्ताक्षर

पीएफ के 4122.70 करोड़ रुपये डीएचएफएल में निवेश करने पर न ही ऊर्जा मंत्री होने के नाते तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव या मौजूदा ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के कहीं हस्ताक्षर हैैैं और न ही पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष संजय अग्रवाल, प्रबंध निदेशक विशाल चौहान व एपी मिश्र के साइन हैैं। 20 मई 2017 से प्रमुख सचिव ऊर्जा व अध्यक्ष आलोक कुमार या हाल ही में प्रबंध निदेशक पद से हटाई गईं अपर्णा यू. के भी डीएचएफएल में निवेश को लेकर कहीं हस्ताक्षर नहीं हैैं।

ट्रस्टीज के फैसले को किया गया दरकिनार

वैसे तो ट्रस्ट की नियमित बैठकें होनी चाहिए लेकिन, उत्तर प्रदेश राज्य पावर सेक्टर इम्प्लॉइज ट्रस्ट के ट्रस्टीज की 21 अप्रैल 2014 को और उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट की 24 मार्च 2017 को बैठक हुई। दोनों ही बैठकें पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में हुईं। 2014 की बैठक में तय हुआ कि 'बैैंक के निवेश की तरह सुरक्षित एवं अधिक ब्याज वाले विकल्प यदि हों, तो उन पर विचार कर प्रस्तुत किया जाए एवं आवश्यकता पडऩे पर निवेश सलाहकार की सेवाएं लेने के लिए निदेशक (वित्त) को अधिकृत किया गया। इसी तरह 2017 में 'केंद्र सरकार की अधिसूचना के मुताबिक सिक्योरिटीज में निवेश पर सशर्त सहमति दी गई कि राष्ट्रीय बैैंकों तथा ट्रिपल ए रेटेड कंपनियों में सावधि जमा से अधिक सुरक्षित और अधिक ब्याज दर वाली हों। सिक्योरिटीज में निवेश का निर्णय केस-टू-केस बेसिस पर सचिव ट्रस्ट द्वारा कारपोरेशन के निदेशक(वित्त) की सहमति से लिया जाएगा। स्पष्ट है कि ट्रस्ट ने सिक्योरिटीज के अलावा पीएनबी हाउसिंग या एचडीएफएल जैसे में पीएफ का पैसा लगाने का अधिकार किसी को नहीं दिया लेकिन, 17 दिसंबर 2016 को 100 करोड़ पीएनबी हाउसिंग में और फिर डीएचएफएल में भारी-भरकम निवेश कर दिया गया, जिससे पीएफ के 2267.90 करोड़ रुपये फंस गए हैैं। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2016 तक पीएफ का पैसा राष्ट्रीयकृत बैंकों के फिक्स्ड डिपाजिट में ही निवेश किया जाता रहा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.