UP Cabinet Meeting : किसान सर्वहित बीमा योजना का प्रस्ताव लटका...शर्तों को लेकर उठे सवाल
UP Cabinet Meeting कैबिनेट में चर्चा के दौरान प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं में संशोधन कर किसान सर्वहित बीमा योजना का दायरा बढ़ाने का निर्देश दिया गया।
लखनऊ, जेएनएन। मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना में बीमा कंपनियों का दखल खत्म कर उसे जिलाधिकारियों की निगरानी में संचालित करने का प्रस्ताव भी मंगलवार को कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। कैबिनेट में चर्चा के दौरान प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं में संशोधन कर योजना का दायरा बढ़ाने का निर्देश दिया गया। कैबिनेट की मंशा के अनुरूप राजस्व विभाग अब प्रस्ताव में संशोधन करेगा।
चर्चा के दौरान यह बात सामने आयी कि कोई जमीन किसी किसान के नाम है जिसके सह-खातेदार के रूप में उसके पुत्रों का नाम नहीं दर्ज है। यदि उस जमीन पर खेती के दौरान दुर्घटनावश किसान के बेटे की मौत/अपंगता हो जाती है तो खातेदार या सह-खातेदार के तौर पर नाम दर्ज न होने के कारण उसके आश्रितों को या उसे योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा। ऐसे लोगों को भी योजना का लाभ मिल सके, इसके लिए योजना के प्रस्ताव में संशोधन कर उसका दायरा बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
दुर्घटना के कारण मरने वाले किसानों के आश्रितों को योजना का लाभ पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही देने का प्रावधान है। कैबिनेट में चर्चा के दौरान यह बात सामने आयी कि नहर में बह जाने या ऐसे अन्य मामलों में जहां मृतक का शव बरामद नहीं हो पाता या किन्हीं कारणवश पोसटमार्टम नहीं हो पाता, उन प्रकरणों में भी आश्रितों को योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसलिए पोस्टमार्टम की अनिवार्यता की शर्त का कोई हल निकाला जाए। योजना के तहत किसान की दुर्घटना में मृत्यु होने या स्थायी अपंगता होने पर पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता का प्रावधान है।