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UP Cabinet Approved : प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में गरीबों का घर हुआ महंगा

UP Cabinet Approved बढ़ती निर्माण लागत को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने घर का मूल्य 4.50 लाख से छह लाख रुपये करने का फैसला किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 11:00 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 10:37 AM (IST)
UP Cabinet Approved : प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में गरीबों का घर हुआ महंगा
UP Cabinet Approved : प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में गरीबों का घर हुआ महंगा

लखनऊ, जेएनएन। शहरी बेघर गरीबों को पक्की छत मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत दिए जाने वाले ईडब्ल्यूएस भवन की कीमत बढ़ा दी गई है। बढ़ती निर्माण लागत को देखते हुए राज्य सरकार ने घर का मूल्य 4.50 लाख से छह लाख रुपये करने का फैसला किया है। ऐसे में लाभार्थी को अब आशियाने के लिए 3.50 लाख रुपये देने होंगे। शेष 2.50 लाख रुपये केंद्र व राज्य सरकार की सब्सिडी रहेगी। बेहतर ईडब्ल्यूएस भवन बनाने के लिए बिल्डर आगे आएं, इसके लिए सरकार ने उन्हें कई तरह की सहूलियतें देने के साथ ही शर्तें भी लगाईं हैैं। 

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना के किफायती आवास (अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप) के तहत ईडब्ल्यूएस भवनों की निर्माण लागत और योजना में निजी क्षेत्र की सहभागिता को बढ़ाने के लिए अहम फैसले किए गए। सरकार के प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि निर्माण लागत में इजाफा होने से भवन की सीलिंग कॉस्ट (कीमत) 4.50 लाख रुपये से बढ़ाकर छह लाख रुपये करने का फैसला किया गया है।

चूंकि योजना के तहत ईडब्ल्यूएस भवनों के लिए केंद्र सरकार 1.50 लाख रुपये व राज्य सरकार एक लाख रुपये सब्सिडी देती है इसलिए अभी तक जहां लाभार्थी को दो लाख रुपये ही देने होते थे वहीं अब उसे 3.50 लाख रुपये देने होंगे। न्यूनतम 22.77 वर्गमीटर से 30 वर्गमीटर तक कारपेट एरिया के बढऩे पर भवनों के लिए सीलिंग कॉस्ट प्रोरेटा क्षेत्रफल के आधार पर तय होगी। मतलब यह है कि जैसे-जैसे भवन का क्षेत्रफल बढ़ेगा वैसे-वैसे उसकी कीमत भी छह लाख रुपये से बढ़ती जाएगी। ऐसे में 30 वर्गमीटर वाले भवन की कीमत लगभग 7.90 लाख रुपये तक हो सकती है। 

गौरतलब है कि निर्माण लागत बढ़ने के बावजूद भवनों की कीमत 5 सितंबर 2017 के आदेश के तहत अब तब 4.50 लाख रुपये ही है। ऐसे में न विकास प्राधिकरण-परिषद और न ही निजी क्षेत्र 4.50 लाख रुपये में ईडब्ल्यूएस भवन बनाने में दिलचस्पी रहे थे। स्थिति यह है कि चार लाख भवन बनाने का लक्ष्य तो है, लेकिन प्राधिकरण-परिषद ने एक चौथाई भवनों के निर्माण का भी काम नहीं शुरू किया है। ईडब्ल्यूएस भवन बनाने में निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाने के लिए कैबिनेट ने तय किया है कि अब बिल्डर को प्रति हेक्टेयर 150 के बजाय 100 ईडब्ल्यूएस भवन ही बनाने होंगे। ऐसे में बिल्डर, दूसरी श्रेणियों के महंगे फ्लैट कहीं अधिक बना सकेंगे।

कैबिनेट ने सिर्फ ईडब्ल्यूएस भवन बनाने वाले बिल्डर को विकास शुल्क से जहां शत-प्रतिशत छूट देने वहीं 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर में 35 फीसद ईडब्ल्यूएस भवन बनाने पर 50 फीसद व 10 लाख से कम आबादी होने पर 75 फीसद विकास शुल्क से छूट देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। हालांकि बिल्डर को ही अब विकास संबंधी सभी कार्य कराने होंगे। बिल्डर को ईडब्ल्यूएस भवनों की एप्रोच रोड की चौड़ाई उतनी ही रखनी होगी जितनी अन्य श्रेणी के भवनों के लिए होगी। ईडब्ल्यूएस भवन का निर्माण अब तभी किया जा सकेगा जब उसकी मांग होगी। योजना के क्रियान्वयन में किसी तरह के संशोधन के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को अधिकृत करने का भी निर्णय किया है।


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