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UP By Election 2020: कम मतदान से उम्मीदवारों की बढ़ीं धड़कनें, कहीं सीधा तो कहीं बहुकोणीय संघर्ष

UP By Election 2020 उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर मंगलवार को हुए उपचुनावों में मतदान का प्रतिशत कम रहने से उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। मतदाताओं के रुझान को देखते हुए कहीं सीधी टक्कर तो कहीं बहुकोणीय मुकाबले जैसे हालात दिख रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 08:59 AM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 08:59 AM (IST)
UP By Election 2020: कम मतदान से उम्मीदवारों की बढ़ीं धड़कनें, कहीं सीधा तो कहीं बहुकोणीय संघर्ष
उपचुनावों में मतदान का प्रतिशत कम रहने से उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर मंगलवार को हुए उपचुनावों में मतदान का प्रतिशत कम रहने से उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। मतदाताओं के रुझान को देखते हुए कहीं सीधी टक्कर तो कहीं बहुकोणीय मुकाबले जैसे हालात दिख रहे हैं। वोटरों में उत्साह नहीं दिखने की एक वजह कोरोना संक्रमण का खौफ भी माना जा रहा है, लेकिन वोटिंग कम होने से चुनावी नतीजों को लेकर आशंकित प्रमुख दलों द्वारा अपनी अपनी बढ़त के दावे भी किए जा रहे हैं। 

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उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के आम चुनाव से तुलना करें तो दस प्रतिशत कम मतदान होना कई सवाल भी खड़े भी करता है। अमरोहा जिले की नौगावां सादात सीट पर गत चुनाव में 76 प्रतिशत से अधिक मतदान करने वाले वोटरों ने उपचुनाव में मात्र 61.50 फीसद वोट डाले। कम वोट होने से भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों खेमे में बेचैनी है। हालांकि इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी मुकाबले का त्रिकोण बताती दिखी। बुलंदशहर सीट पर भाजपा और बसपा के बीच टक्कर में रालोद सपा के उम्मीदवार ने भी घुसपैठ करने की कोशिश की। यहां भीम आर्मी की राजनीतिक विंग आजाद समाज पार्टी की प्रदर्शन पर सबकी निगाह लगी है।

टूंडला सीट पर गत चुनाव से कम मतदान हुआ, लेकिन यहां भाजपा सपा और बसपा के त्रिकोणीय संघर्ष का परिणाम जातीय समीकरण बनने बिगड़ने से तय होगा। उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट पर मतदान से एक दिन पहले कांग्रेस की पूर्व सांसद अन्नू टंडन का पाला बदलकर सपा की साइकिल पर सवार हो जाना किसका गणित बिगाड़ेगा, यह कहना अभी मुश्किल है। हालांकि भाजपा को यहां वर्ष 2017 जैसा चमत्कार होने की उम्मीद है।

घाटमपुर सीट पर पूर्व मंत्री स्व.कमल रानी वरुण का उत्तराधिकारी कौन होगा, इस सवाल को वोटों के बिखराव ने उलझा दिया है। यहां भाजपा, सपा व बसपा के अलावा कांग्रेस भी अपनी मजबूत स्थिति बता रही है। मल्हनी सीट को बचाए रखने के लिए इस बार समाजवादी पार्टी ने काफी मशक्कत की है। यहां वोट प्रतिशत में अधिक गिरावट नहीं है, लेकिन देखना होगा कि जातीय वोटों का बंटवारा किसके पक्ष में रहेगा।

देवरिया सीट पर भाजपा की राह में बागी निर्दल उम्मीदवार कितना अवरोध उत्पन्न करते हैं, यह बाद में पता चलेगा। बहरहाल यहां सपा भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला दिखा।

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