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UP Assembly Bypolls 2020 : दांव पर भाजपा व सपा की प्रतिष्ठा, बसपा व कांग्रेस के पास कमाने का मौका

UP Assembly by Election 2020 कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के छह-छह प्रत्याशी मैदान में हैं तो भाजपा व बसपा सातों सीट पर ताल ठोंक रही है। सपा ने बुलंदशहर सीट राष्ट्रीय लोकदल को सौंप दी है तो कांग्रेस के प्रत्याशी का टूंडला सुरक्षित सीट से नामांकन ही खारिज हो गया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 07:47 AM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 04:57 PM (IST)
UP Assembly Bypolls 2020 : दांव पर भाजपा व सपा की प्रतिष्ठा, बसपा व कांग्रेस के पास कमाने का मौका
पार्टी के किलों को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी

लखनऊ, जेएनएन। UP Assembly by Election 2020: उत्तर प्रदेश में सात विधानसभा सीट के लिए आज के मतदान में सत्ता पर काबिज भाजपा के साथ ही समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। भाजपा के पास सात में से छह सीट है जबकि समाजवादी पार्टी के पास एक सीट है। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी तथा कांग्रेस भी जोश के साथ मैदान में हैं। कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के छह-छह प्रत्याशी मैदान में हैं तो भाजपा व बसपा सातों सीट पर ताल ठोंक रही है। सपा ने बुलंदशहर सीट अपने सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल को सौंप दी है तो कांग्रेस के प्रत्याशी का टूंडला सुरक्षित सीट से नामांकन ही खारिज हो गया।

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विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव के लिए मंगलवार को मतदान को मतदान के बाद दस को आने वाले परिणाम पूरब से पश्चिम तक वर्ष 2022 के आम चुनाव से पहले सियासी मिजाज का संकेत देंगे। इस चुनाव को लेकर भाजपा की गंभीरता का अंदाज तो इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दोनों उपमुख्यमंत्री और दर्जनों मंत्रियों ने पार्टी के किलों को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। भाजपा का प्रदेश संगठन भी खासा सक्रिय रहा। प्रमुख विपक्षी दलों के नेता सपा के मुखिया अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने उपचुनाव के प्रचार से दूरी बनाए रखी। इन दलों के प्रत्याशियों ने अपना पूरा जोर लगाया है। इनके प्रदेश स्तर के नेता भले ही प्रचार कार्यक्रमों में लगे रहे।

मल्हनी में तय होगा लकी यादव का राजनीतिक भविष्य

जौनपुर जिले की मल्हनी सीट पर सपा नेता पारसनाथ यादव के वारिस लकी यादव का राजनीतिक भविष्य तय करेगी। मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पारसनाथ यादव के निधन के कारण होने वाले यहां के चुनाव में भाजपा ने नया प्रत्याशी उतारा है तो दबंग निर्दलीय धनंजय सिंह ने भी मजबूत कदम बढ़ाया है। यहां बसपा ने जयप्रकाश दुबे और कांग्रेस ने राकेश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है। यादव बहुल सीट पर लकी को सहानुभूति लहर की उम्मीद है। उनके सामने दो ब्राह्मण व दो क्षत्रिय प्रत्याशी हैं। भाजपा ने मनोज सिंह को मैदान में उतारा है। पार्टी की राह में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को रोड़ा माना जा रहा है। वहीं बसपा व कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर जातिगत समीकरणों को उलझा दिया है। बसपा ने जयप्रकाश दुबे और कांग्रेस ने राकेश मिश्र को प्रत्याशी बनाया है।  इस सीट से दो बार विधायक और एक बार जौनपुर से सांसद रहे बाहुबली धनंजय सिंह ने निर्दल उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया है। 2017 के चुनाव में धनंजय निषाद पार्टी से दूसरे स्थान पर रहे थे।  3.62 लाख मतदाताओं वाले मल्हनी क्षेत्र में सर्वाधिक लगभग 90 हजार यादव, 55 हजार अनुसूचित जाति, 45 हजार क्षत्रिय, 40 हजार ब्राह्मण, 30 हजार मुस्लिम और 50 हजार गैर यादव ओबीसी वोटर हैं।

देवरिया में तो विजेता कोई त्रिपाठी ही होगा

देवरिया सदर सीट पर भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं। यह इत्तेफाक है कि सभी प्रत्याशी त्रिपाठी हैं। भाजपा ने डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस से मुकुंद भाष्कर मणि त्रिपाठी और बसपा से अभयनाथ त्रिपाठी मैदान में हैं। सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अभयनाथ 2017 में भी बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े थे। वह तीसरे नंबर पर रहे थे। यहां अति पिछड़े व वैश्य वोटर निर्णायक हो सकते हैं। यहां से 2012 और 2017 में विधायक रहे जनमेजय सिंह के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है। उनके बेटे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। जनमेजय सिंह के बेटे अजय सिंह उर्फ पिंटू पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़ रहे हैं। वह चुनावी समीकरण में उलटफेर कर सकते हैं। 3.34 लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में भाजपा, सपा, बसपा व कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशियों पर दांव लगाया है।  

नौगावां सादात : भाजपा-सपा एक बार फिर आमने-सामने

अमरोहा की नौगावां सादात सीट पर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा और सपा के बीच सीधे मुकाबले के आसार हैं। बसपा इस बार चुनाव को त्रिकोणात्मक बना रही है। पूर्व क्रिकेटर व मंत्री चेतन चौहान के निधन के कारण हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने उनकी पत्नी संगीता चौहान को उम्मीदवार बनाया है। सपा ने मौलाना जावेद आब्दी तथा बसपा ने फुरकान अहमद को मोर्चे पर लगाया है। भाजपा ने चेतन चौहान की पत्नी संगीता चौहान को उम्मीदवार बनाया है। अहम सवाल यह है कि क्षेत्र की जनता क्रिकेटर व राजनीतिज्ञ रहे चेतन चौहान की पत्नी को उनकी विरासत सौंपती है या नहीं। सपा ने यहां मौलाना जावेद आब्दी और बसपा ने फुरकान अहमद को प्रत्याशी बनाया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में जावेद आब्दी दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस ने जाट बिरादरी से ताल्लुक रखने वाली डॉ. श्रीमती कमलेश सिंह पर दांव लगाया है। 3.05 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर सर्वाधिक लगभग सवा लाख मुस्लिम मतदाता हैं। जाट मतदाताओं की संख्या 30-32 हजार है। चौहान (राजपूत) वोट लगभग 28 हजार हैं। लगभग 15 हजार सैनी, 10-12 हजार यादव और इतने ही गुर्जर मतदाता हैं।

बुलंदशहर : भाजपा का मुकाबला बसपा व रालोद से

बुलंदशहर सदर सीट पर विधायक और पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिरोही के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है। यहां पर काफी दल मैदान में हैं। भाजपा ने उनकी पत्नी उषा सिरोही को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने गठबंधन में यह सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ी है। रालोद ने पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री जगवीर सिंह के बेटे प्रवीण कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। बसपा ने यहां से पूर्व विधायक हाजी अलीम के भाई हाजी यूनुस और कांग्रेस ने सुशील चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। असदउद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने रियाजुद्दीन और भीम आर्मी चलाने वाले चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी ने हाजी यामीन को मैदान में उतारा है। इस सीट पर कुल 3.88 लाख मतदाता हैं। सर्वाधिक संख्या मुस्लिम मतदाताओं की है। उसके बाद अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। यहां जाट, मुस्लिम व दलित मतों में विभाजन की अटकलों के बीच मतदान प्रतिशत पर नजरें टिकी हैं। कुल 3.88 लाख मतदाता में एक तिहाई मुस्लिम, 17-18 फीसदी दलित, 11 से 12 फीसदी जाट और लगभग 8 फीसदी लोधी हैं। वहीं, 17 फीसदी सामान्य वर्ग के मतदाताओं में वैश्य, राजपूत व ब्राह्मण मुख्य हैं।

टूंडला में समीकरण इस बार कुछ बदले

फिरोजाबाद जिले में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित टूंडला सीट पर भाजपा से प्रेमपाल धनगर, सपा से महाराज सिंह धनगर, बसपा से संजीव और कांग्रेस से स्नेहलता उर्फ बबली चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार की तुलना में समीकरण थोड़े बदले हैं, लेकिन कांटे की टक्कर के आसार हैं। उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। डेढ़ साल से खाली इस सीट से भाजपा ने नए चेहरे प्रेमपाल धनगर पर दांव लगाया है। सपा से महाराज सिंह धनगर, बसपा से संजीव चक और कांग्रेस से स्नेहलता उर्फ बबली चुनाव मैदान में हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से एसपी सिंह बघेल विधायक चुने गए थे। वह यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वह आगरा से सांसद चुन लिए गए। टूंडला विधानसभा क्षेत्र से उनके इस्तीफे के बाद उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर कुल 3.64 लाख मतदाता हैं। इनमें बघेल, दलित और क्षत्रिय मतदाताओं की सर्वाधिक संख्या है।

उन्नाव के बांगरमऊ में मुकाबला रोचक होने की संभावना

उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर आखिरी क्षण तक गोटियां बिछती रहीं। कांग्रेस की पूर्व सांसद अन्नू टंडन मतदान से एक दिन पहले सपा की साइकिल पर सवार हो गईं। भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा हो जाने पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत कटियार, सपा ने सुरेश पाल, बसपा ने महेश पाल और कांग्रेस ने पूर्व मंत्री गोपीनाथ दीक्षित की बेटी आरती वाजपेयी को उम्मीदवार बनाया है। 2017 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार यहां जीत दर्ज की थी। सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कुलदीप सेंगर ने 87,657 वोट हासिल कर भाजपा को जीत दिलाई थी। कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा होने के बाद यहां उपचुनाव हो रहे हैं। अब भाजपा प्रत्याशी के सामने असंतुष्टों को मनाना और गुटबाजी से निपटना भी बड़ी चुनौती होगी। इस सीट पर 2007 और 2012 में सपा का कब्जा था। बसपा यहां 1996 और 2002 में जीत दर्ज कर चुकी है। भाजपा, सपा व बसपा ने यहां पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी उतारे हैं। भाजपा से श्रीकांत कटियार, सपा से सुरेश पाल और बसपा से महेश पाल चुनाव मैदान में हैं। लंबे समय से वजूद के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस के लिए भी यह उपचुनाव जिले में फिर से स्थापित होने का मौका है। कांग्रेस प्रत्याशी आरती बाजपेयी के पिता गोपीनाथ दीक्षित यहां से 1969, 1980, 1985 व 1991 में विधायक रहे। आरती के सामने भी पार्टी व परिवार के परंपरागत वोट को फिर से अपने पाले में लाने की चुनौती है।

घाटमपुर में मतदाताओं को बूथ तक लाने की सबसे बड़ी चुनौती

कानपुर के घाटमपुर में सभी धुरंधर कानपुर नगर की घाटमपुर सुरक्षित सीट पर प्रदेश सरकार की मंत्री कमलरानी वरुण के निधन के कारण चुनाव हो रहा है। यहां भाजपा से उपेंद्रनाथ पासवान, सपा से पूर्व विधायक इंद्रजीत कोरी, बसपा से कुलदीप शंखवार और कांग्रेस से डॉ. कृपा शंकर उम्मीदवार हैं। यहां सर्वाधिक मतदाता दलित समाज के हैं। सभी पार्टियों के सामने मतदाताओं को बूथ तक लाने की सबसे बड़ी चुनौती है। भाजपा ने यहां अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र नाथ पासवान को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने पूर्व विधायक इंद्रजीत कोरी, बसपा ने कुलदीप शंखवार और कांग्रेस ने डॉ. कृपा शंकर को चुनाव मैदान में उतारा है। इंद्रजीत को छोड़कर शेष तीनों प्रमुख उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। 3.18 लाख से अधिक मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 1.31 लाख पिछड़े वर्ग और लगभग एक लाख अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व अन्य सामान्य वर्ग के करीब 60 हजार वोटर हैं जबकि अल्पसंख्यक मतदाता करीब 25 हजार हैं।


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