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Unnao Case : नौकरी और शस्त्र लाइसेंस की शर्त पर दफनाया शव, अफसरों के आश्वासन पर माना पीड़िता का परिवार

Unnao Case पिता के मुताबिक जब तक मुख्यमंत्री घर नहीं आते शव को नहीं दफनाया जाएगा। हालांकि अफसरों के मनाने के बाद परिवार अंतिम संस्कार के लिए तैयार हो गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 09:32 AM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 09:04 PM (IST)
Unnao Case : नौकरी और शस्त्र लाइसेंस की शर्त पर दफनाया शव, अफसरों के आश्वासन पर माना पीड़िता का परिवार

उन्नाव, जेएनएन। दुष्कर्म पीड़िता की बड़ी बहन के नहीं पहुंचने का हवाला देकर शनिवार रात को अंतिम संस्कार करने की बात कहने वाला परिवार रविवार को सुबह मुकर गया। शर्त रखी कि मुख्यमंत्री के आने व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने पर ही अंतिम संस्कार होगा। 

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कमिश्नर लखनऊ व आइजी रेंज वार्ता के लिए गांव पहुंचे। सरकार के प्रतिनिधि के तौर मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और कमलरानी वरुण भी मौजूद रहीं। अंतत: दो पीएम आवास, एक सदस्य को सरकारी नौकरी और शस्त्र लाइसेंस का भरोसा देने पर परिवार तैयार हुआ। युवती का शव खेत में ही बाबा-दादी की समाधि के पास दफनाया गया।  अधिकारी सुबह अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे तो परिवार सीएम योगी आदित्यनाथ को बुलाने व एक सदस्य को नौकरी देने की शर्त पर अड़ गया। जानकारी पाकर डीएम देवेंद्र कुमार पांडेय और एसपी विक्रांत वीर के बाद कमिश्नर मुकेश मेश्राम और आइजी लखनऊ रेंज एसके भगत पहुंच गए। कमिश्नर ने पीड़िता के पिता की बात अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से कराई। तब परिवार तैयार हुआ। हालांकि, इसके बाद भी परिवार इस पर अड़ गया कि मांगें माने जाने की बात कमिश्नर लिखित में दें।

कमिश्नर ने लिखित में दिया कि पिता-भाई को अलग-अलग पीएम आवास, भाई को सरकारी नौकरी के साथ शस्त्र लाइसेंस भी मिलेगा। साढ़े 12 बजे के बाद श्रम व सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण की मौजूदगी में पीड़िता को दफनाया गया। 

बहनें बोलीं, लखनऊ में सही इलाज न मिलने से बिगड़ी हालत

मागें माने जाने के बाद भी पीडि़ता की बहनें सरकार पर हमलावर हैं। बड़ी बहन ने आरोप लगाया कि लखनऊ में पीड़िता को सही इलाज नहीं मिला। इससे हालत बिगड़ती चली गई और उसकी मौत हो गई। छोटी बहन ने कहा कि एक सप्ताह में मांगें पूरी नहीं होने पर परिवार विधानसभा भवन के बाहर धरने पर बैठ जाएगा।

शव पर राजनीति कर रही सपा : स्वामी प्रसाद

दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद सरकार के खिलाफ समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन पर श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा शव पर राजनीति कर रही है। शनिवार को पीडि़ता के पिता को चेक देते वक्त स्वामी प्रसाद को सपा के हंगामा-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा, सीएम घटना की पल-पल जानकारी ले रहे हैं। पीडि़ता को एयरलिफ्ट कराकर इलाज के दिल्ली भेजा गया। आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। घर पर सुरक्षा बंदोबस्त भी करा दिया गया। सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर दिया गया है। आरोपितों को छोड़ा नहीं जाएगा। स्वामी प्रसाद ने कहा कि आखिर सपा चाहती क्या है? सपा शासन में बदायूं समेत लेकर 500 जगहों पर दुष्कर्म की घटनाएं हुई थीं। उनके मुख्यमंत्री और पार्टी के लोग ही आरोपितों की पैरोकारी कर रहे थे। पीडि़ता के गांव में क्षेत्रीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के नहीं पहुंचने के सवाल पर कहा कि उनकी आंख का आपरेशन होना है। इसकी वजह से वह नहीं आ सके। 

राहुल का बयान गंभीरता से नहीं लिया जाता

प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाले राहुल गांधी के ट््वीट पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि वह जो मन में आता है, बोलते हैं। उनका बयान गंभीरता से नहीं लिया जाता। प्रियंका वाड्रा राज्यपाल से मिलने गईं तो यह ठीक है। राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है, कोई भी उनसे मिल सकता है। प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी वरुण ने कहा कि विरोधी दलों को अपने गिरहबान में झांकना चाहिए कि उनकी सरकार में क्या होता था।

सुरक्षा घेरे में रहेगा दुष्कर्म पीड़िता का परिवार

दुष्कर्म पीड़िता का परिवार हर समय सुरक्षा के घेरे में रहेगा। परिवार के आने-जाने में उनके साथ गार्ड साथ होंगे। घर के बाहर भी पुलिस टीम होगी। जवानों की ड्यूटी आठ-आठ घंटे में बदलेगी। एसपी ने सुरक्षा घेरा अगले आदेश तक बनाए रखने को कहा है। 

रातभर पीड़िता के घर के आगे डटे रहे सपा नेता

प्रियंका वाड्रा के पीड़िता के गांव पहुंचने के बाद सपा नेता व कार्यकर्ता भी सक्रिय हो गए। सपा नेता, विधायक और एमएलसी शनिवार की पूरी रात ठंड में पीडि़ता के घर के सामने तख्त डालकर बैठे रहे। हर गतिविधि की जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को देते रहे। रविवार को सबसे पहले शव को श्रद्धांजलि दी। सपा नेता शव दफ्न होने के बाद दोपहर करीब 3.15 बजे लौट गए। एमएलसी सुनील यादव 'साजन' ने स्वामी प्रसाद पर पलटवार किया कि हम यहां पर राजनीति करने नहीं आए थे। गलती हुई है और सरकार को मानना होगा। यदि सपा और मीडिया यह मुद्दा प्रमुखता से नहीं उठाती तो सरकार मामला दबा जाती। 

पीड़िता का मोबाइल खोलेगा कई राज

मौके से फोरेंसिक टीम को मिला दुष्कर्म पीडि़ता का अधजला मोबाइल घटना के कई राज खोलेगा। इसमें आरोपितों के साथ-साथ अन्य लोगों से हुई बातचीत भी सामने आएगी। इससे पुलिस को जांच में आसानी होगी। सोशल मीडिया पर भी सक्रिय होने की बात सामने आने से उसके वाट््सएप व फेसबुक को भी खंगाला जाएगा। इससे पीड़िता और आरोपितों के अलावा अन्य लोगों की भूमिका भी साफ होगी।

सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम

परिवार की सहमति पर शव दफना दिए जाने के बाद पीड़िता की छोटी बहन ने सरकार को चेतावनी दी कि जो मांगे की गई हैं अगर वह एक सप्ताह में पूरी नहीं की जाती हैं तो वह विधानसभा भवन के सामने परिवार के साथ धरने पर बैठ जाएगी। इससे पहले पीड़िता की बड़ी बहन ने उन्नाव से लेकर लखनऊ तक इलाज ठीक से नहीं होने का आरोप भी लगाया। उनका कहना है कि उनकी बहन कर तड़प-तड़प कर मर गई। बहन का कहना है कि पीड़िता ने अंतिम सांस लेते वक्त पूछा था कि सभी गिरफ्तार हुए कि नहीं, उसने सबको सजा दिलाने का वादा भी लिया था। 

सपा और कांग्रेस नेता मौजूद रहे

कल शाम से पीड़िता के घर पर मौजूद सपा नेता एमएलसी सुनील यादव `साजन` और पार्टी जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र यादव शव दफनाने के वक्त भी मौजूद रहे। वहीं पूर्व सांसद अन्नू टंडन ने युवा कांग्रेस नेता अंकित परिहार के साथ पीड़िता के घर जाकर पार्टी की ओर से पांच लाख की मदद देने के बाद अंतिम संस्कार में भी शिरकत की।

सुबह से सीएम को बुलाने की जिद पर अड़ा रहा परिवार

दुष्कर्म पीड़िता की शुक्रवार रात मौत हो जाने के बाद शनिवार रात करीब 9:08 बजे उसका शव गांव पहुंचा। रात को पीड़िता की बड़ी बहन के नहीं पहुंचने के कारण प्रशासन को सुबह अंतिम संस्कार करने की बात कहने वाला परिवार रविवार सुबह पलट गया था। बड़ी बहन के आने के बाद परिवार इस जिद पर अड़ गया कि जब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं आते शव नहीं दफनाया जाएगा। साथ ही परिवार ने एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की शर्त भी रख दी थी। पिता के मुताबिक जब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घर नहीं आते शव को नहीं दफनाया जाएगा। बड़ी बहन ने भी घर के एक सदस्य को नौकरी और आरोपितों को फांसी देने की शर्त रख दी। अधिकारियों ने तत्काल इसकी जानकारी शासन के आला अधिकारियों को दी। उसके साथ ही अधिकारी परिवार के रिश्तेदारों के जरिये पिता और बहन को किसी तरह से मनाने की कोशिश करते रहे। हालांकि इस बीच प्रशसन ने शव को दफनाने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। इसके लिए कब्र खोदवाई जाने लगी।  

बता दें कि शादी के झांसे में आकर सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई 25 वर्षीय युवती की शुक्रवार रात 11.40 बजे दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में मौत हो गई थी। दुष्कर्म का केस वापस लेने से इन्कार पर उसे गांव के ही पूर्व प्रधान समेत पांच लोगों ने जिंदा जला दिया था। सभी आरोपित जेल में हैं। शनिवार सुबह मौत की खबर मिलते ही देशभर में गुस्से का ज्वार फूट पड़ा।

यूपी सरकार पर विपक्ष का हल्ला बोल

शनिवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की मौत ने सियासी हंगामा मचा दिया। सरकार पर हमलावर विपक्षी दल सड़क पर उतर आए। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा के सामने धरने पर बैठ गए तो पहली बार बसपा प्रमुख मायावती राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने राजभवन पहुंच गईं। कांग्रेस ने भी सक्रियता दिखाई। पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा पीड़ित परिवार से मिलने उन्नाव पहुंच गईं और इधर लखनऊ में कार्यकर्ताओं ने भाजपा दफ्तर पर धावा बोल दिया। जीपीओ पर करीब चार घंटे प्रदर्शन किया। पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा। कई नेताओं की गिरफ्तारियां भी हुईं।

कब क्या हुआ

12 दिसंबर 2018 : लालगंज में युवती के साथ दुष्कर्म।

4 जनवरी 2019 : महिला आयोग की प्रदेश अध्यक्ष से शिकायत।

4 मार्च 2019 : महिला आयोग के आदेश पर बिहार थाने में एफआइआर।

5 मार्च 2019 : न्यायालय के आदेश पर लालगंज कोतवाली में एफआइआर।

1 जुलाई 2019 : आरोपित शुभम त्रिवेदी के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी हुआ।

19 अगस्त 2019 : आरोपित शुभम त्रिवेदी के खिलाफ धारा 82 की कार्रवाई।

19 सितंबर 2019 : आरोपित शिवम त्रिवेदी ने न्यायालय में सरेंडर किया।

25 नवंबर 2019 : आरोपित शिवम त्रिवेदी को हाईकोर्ट से जमानत मिली।

30 नवंबर 2019 : आरोपित शिवम त्रिवेदी जमानत पर जेल से छूटा। 

05 दिसंबर 2019 : उन्नाव में पीड़िता को जिंदा जला दिया गया।

06 दिसंबर 2019 : दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में पीड़िता की इलाज के दौरान मौत हो गई।


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