Maharashtra Govt Formation: 18 वें सीएम बने उद्धव ठाकरे, कहा- किसानों के हित में बड़ा कदम उठाएंगे
आखिरकार अपने संकल्प को पूरा करते हुए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। अपने संकल्प को पूरा करते हुए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने आखिरकार गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। वह महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री हैं। उनके साथ शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के दो-दो मंत्रियों ने भी शपथ ली। खास बात यह रही कि न्योते के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समारोह में नहीं पहुंचे। शपथ ग्रहण से दो घंटे पहले तीनों पार्टियों ने सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम जारी किया। इसमें किसानों के लिए संपूर्ण कर्ज माफी, नौकरियों में स्थानीय लोगों को 80 फीसद प्राथमिकता और सेक्युलर मूल्यों पर दृढ़ रहने का वादा किया गया है।
24 साल बाद बनी शिवसेना की सरकार
1995 का इतिहास दोहराते हुए दादर स्थित शिवाजी पार्क में आयोजित भव्य समारोह में राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ लेने से पहले उद्धव ने जहां मंच पर रखी छत्रपति शिवाजी महाराज की सिंहासनारूढ़ प्रतिमा को प्रणाम किया, वहीं शपथ लेने के बाद जमीन से मत्था टेकते हुए जनता-जनार्दन को भी प्रणाम किया। इस शपथ ग्रहण समारोह का मंच उनके पिता शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे के स्मृतिस्थल से चंद कदमों की दूरी पर बनाया गया था। 2013 में बालासाहब ठाकरे के निधन के बाद इसी शिवाजी पार्क में उनकी अंत्येष्टि की गई थी। इसी शिवाजी पार्क में बालासाहब ठाकरे हर साल दशहरा के दिन शिवसैनिकों की विशाल सभा को संबोधित करते आए थे। यही नहीं, 1995 में पहली बार बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन की सरकार ने भी इसी शिवाजी पार्क में शपथ ली थी। तब मुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना के मनोहर जोशी एवं उपमुख्यमंत्री के रूप में भाजपा के गोपीनाथ मुंडे को शपथ दिलाई गई थी।
गठबंधन के छह मंत्रियों ने ली शपथ
मुहूर्त के अनुसार शाम 6.42 मिनट पर पहले 59 वर्षीय उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उसके बाद शिवसेना से एकनाथ शिंदे एवं सुभाष देसाई, राकांपा से जयंत पाटिल एवं छगन भुजबल, तथा कांग्रेस से बालासाहब थोरात एवं नितिन राऊत ने मंत्रीपद की शपथ ली। माना जा रहा है कि जयंत पाटिल नई सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की भूमिका निभाएंगे। लेकिन राकांपा से बगावत कर फड़नवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अजीत पवार की सरकार में भूमिका अभी स्पष्ट नहीं है। शपथ ग्रहण समारोह में इस गठबंधन सरकार के शिल्पकार शरद पवार के अलावा पिछले सप्ताह ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर चौथे दिन इस्तीफा दे चुके पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। कभी शिवसेना में बालासाहब ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जानेवाले उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे भी थे तो तमिलनाडु की डीएमके के नेता स्टालिन एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी नजर आए। प्रमुख उद्वयोगपति मुकेश अंबानी भी परिवार के साथ वहां मौजूद थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भी आने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन वह भी नहीं आईं।
उद्धव की राह में बिछाए दो टन फूल
उद्धव के शपथग्रहण को लेकर आज सुबह से शिवसेना के मजबूती वाले इलाकों में खासा उत्साह देखा जा रहा था। शाम को शपथ ग्रहण से ठीक पहले शिवसैनिकों के एक समूह ने दो टन गेंदे के फूल उद्धव के शिवाजी पार्क पहुंचने के मार्ग में बिछा दिए थे। बता दें कि इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान अपने प्रचार अभियान में उद्धव बार-बार अपने पिता के सपनों का जिक्र करते हुए मंत्रालय पर भगवा फहराने एवं किसी शिवसैनिक को ही मुख्यमंत्री पद पर बैठाने का संकल्प दोहरा रहे थे। लेकिन तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि वह स्वयं इस पद की शपथ ले सकते हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद परिस्थितियां ऐसी बदलीं कि 105 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भाजपा को दरकिनार कर 56 सीटों वाली शिवसेना ने अपने विरोधी दल कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला कर लिया। बीते चुनावों में राकांपा को 54 एवं कांग्रेस को 44 सीटें हासिल हुई हैं।
पहली कैबिनेट बैठक में रायगढ़ किले के लिए 20 करोड़ मंजूर
देर रात उद्धव ने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक की। बैठक के बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में अच्छी सरकार देंगे। छत्रपति शिवाजी की राजधानी रायगढ़ किले का संवर्धन करेंगे। इस किले के लिए 20 करोड़ रुपये का फंड जारी होगा। किसानों के हित में बड़ा कदम उठाएंगे। किसानों की खुशहाली के लिए ये सरकार काम करेगी। मुख्य सचिव से किसानों की जानकारी मांगी है। मैं चाहता हूं कि किसानों के पास सीधा पैसा पहुंचे। हम किसानों के लिए अगले दो दिन में बड़ी घोषणा करेंगे। सेक्युलर पर सवाल पूछे जाने पर वह भड़क उठे। उन्होंने कहा कि संविधान में जिस सेक्युलर का उल्लेख है, वही सेक्युलर है। बाद में उनकी जगह छगन भुजबल ने सेक्युलर शब्द पर जवाब दिया।