बरेली में स्वामी ने उछाला मौर्य फैक्टर, पुराने सपाई लपक ले गए
सपाई होने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने जिले में मौर्य फैक्टर उछाल तो दिया मगर गेंद उनके मन मुताबिक नहीं गिरी। मौके को पुराने सपाई लपक ले गए। तर्क यह भी दिया जा रहा कि पार्टी नेतृत्व स्वामी प्रसाद खेमे को एक दायरे तक रखना चाहता ।
अभिषेक पांडेय, बरेली: सपाई होने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने जिले में मौर्य फैक्टर उछाल तो दिया मगर, गेंद उनके मन मुताबिक नहीं गिरी। मौके को पुराने सपाई लपक ले गए। इसके पीछे तर्क यह भी दिया जा रहा कि पार्टी नेतृत्व स्वामी प्रसाद खेमे को एक दायरे तक रखना चाहता है।
बिथरी चैनपुर सीट से आदेश यादव गुड्डू का नाम तेजी से चर्चा पकड़ रहा था। अचानक स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी कहे जाने वाले भाजपा नेता नेमचंद्र मौर्य का इस्तीफा कराया गया। आनन-फानन उनका नाम भी टिकट दावेदारों की सूची में शामिल कर लिया गया था। पार्टी के नेता स्वीकारते हैं कि पार्टी नेतृत्व को मौर्य फैक्टर बताते हुए नेमचंद्र के नाम की जोरदार पैरवी हुई थी। मंथन हुआ और जातिगत के दावे पर हामी भरते हुए पार्टी नेतृत्व ने कह दिया कि मौर्य को ही लड़ाना है तो जिलाध्यक्ष अगम मौर्य को अवसर दे दिया जाए। बुधवार से उनका नाम घोषित करने की पृष्ठभूमि तैयार हुई, इसलिए तुरंत लखनऊ बुला लिया गया। शनिवार को सूची में उनका नाम शामिल था।
कैंट सीट से सुप्रिया ऐरन और प्रवीन सिंह ऐरन के सपा में जाने की बात पहले ही तय हो चुकी थी। मगर, वे कांग्रेस से दूरी नहीं बना सके। वहां से सुप्रिया ऐरन का टिकट होने के बाद उनके कदम कुछ ठिठके तो डा. अनीस बेग का दावा मजबूत होने लगा। शुक्रवार शाम को एक बार फिर राजनीतिक घटनाक्रम ने पलटी मारी। ऐरन दंपती ने कदम बढ़ाने पर हामी भरी तो डा. अनीस बेग के हाथ से सिंबल वाला पत्र वापस ले लिया गया। रात में ही वे सपा मुख्यालय के लिए निकल गए थे।
फरीदपुर में पूर्व विधायक विजयपाल सिंह का दावा पहले से मजबूत था मगर, निर्विवाद युवा चेहरे के तौर पर हरीश सागर लाखा के नाम पर चर्चा जोर पकड़ गई थी। लखनऊ में कई दिन से डेरा जमाए पार्टी नेताओं ने माना कि डा. सियाराम सागर के परिवार और विजयपाल सिंह के दावे की खींचतान के बीच हरीश सागर के तौर पर बीच का रास्ता बनाने का तर्क दिया गया था। नये दावेदारों में ब्रहृमस्वरूप सागर का नाम भी था, ऐसे में पार्टी ने पूर्व विधायक विजयपाल सिंह का नाम ही फाइनल कर दिया।
मीरगंज में सुल्तान बेग का दावा कैंट के कारण फंस रहा था। शुक्रवार शाम को जैसे ही डा. अनीस बेग का निरस्त हुआ, सुल्तान का रास्ता बन गया। जब तक सुल्तान बेग का नाम फंसा हुआ था, तब तक भूपेंद्र कुर्मी का दावा दम पकड़ता रहा।