Bihar Assembly Election 2020 : मुजफ्फरपुर के इस विधायक को चुनाव के ठीक पहले पार्टी से किया गया निष्कासित
Bihar Assembly Election 2020 राजद ने मुजफ्फरपुर के गायघाट से अपने विधायक महेश्वर यादव को पार्टी से छह साल के लिए निकाल दिया है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Bihar Assembly Election 2020 : चुनाव का समय जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक घटनाक्रम भी तेज हो रहा। अभी चर्चा के केंद्र में राजद है। जिसने जिले के गायघाट से अपने विधायक महेश्वर यादव को पार्टी से निकाल दिया है। उनपर पार्टी की लाइन से अलग काम करने का आरोप था। उनके साथ दो और विधायक प्रेमा चौधरी और फराज फातमी को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया है। सभी को छह साल के लिए बाहर किया गया है।
दूसरी बार राजद से निकाले गए विधायक महेश्वर प्रसाद यादव
मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट विधानसभा से पांच बार विधायक रहे महेश्वर प्रसाद यादव को राजद ने पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। पिछले चार साल से वे पार्टी पर लगातार परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे थे। उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर पुत्र मोह में फंसकर महा गठबंधन सरकार गंवाने का आरोप लगाया था। साथ ही वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति अपनी आस्था व्यक्त कर रहे थे। विधायक महेश्वर प्रसाद यादव को राजद ने दूसरी बार पार्टी से निकाला है। वर्ष 1997 में भी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का उन्होंने विरोध किया था, जिसके बाद उनको पार्टी से निकाल दिया गया था। तब उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली थी और उसके प्रदेश अध्यक्ष बने थे।
Rashtriya Janata Dal (RJD) expels for 6 years its 3 MLAs- Maheshwar Prasad Yadav, Prema Chaudhary and Faraz Fatami for anti-party activities. #Bihar— ANI (@ANI) August 16, 2020
उन्होंने 2000 में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में वे फिर से राजद में शामिल हो गए थे और गायघाट से विधायक बने थे। पार्टी से निकाले जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें तो चार साल पहले निकाल दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि राजद एक परिवार की पार्टी बनकर रह गई है। पार्टी में वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं है।
गायघाट से पांचवी बार विधायक हैं महेश्वर प्रसाद यादव
महेश्वर प्रसाद यादव वर्ष 1972 से राजनीति में है। समाजवारी पार्टी से उनका जुड़ाव था। जेपी आंदोलन में वे 19 माह 21 दिन तक जेल में बंद रहे। वर्ष 1985 में वे पहली बार गायघाट से लोकदल के टिकट पर विधानसभा चुनाव में उतरे थे और कांग्रेस के बीरेंद्र कुमार से 500 वोट से हार गए थे। उसके बाद वर्ष 1990 में एकबार फिर गायघाट से निर्दलीय विधानसभा चुनाव में उतरे और जनता दल के विनोदानंद को हराकर पहली बार विधायक बने। वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और बिहार पीपुल्स पार्टी के आनंद मोहन को पराजित कर अपनी कुर्सी बरकरार रखी। वर्ष 1997 में जनता दल का विभाजन हुआ और ये राजद के साथ हो लिए, लेकिन उसी समय राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध करने के कारण उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। उन्होंने 2000 का चुनाव नहीं लड़ा। वर्ष 2005 में गायघाट से फिर राजद के टिकट पर मैदान में उतरे और 2005 में हुए दोनों चुनावों को जीत विधायक बने। हालांकि 2010 का चुनाव भाजपा की वीणा देवी से हार गए। लेकिन 2015 का चुनाव उन्होंने वीणा देवी को हराकर फिर से जीत लिया।