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Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में 35 दिन तक चले सियासी घमासान के बाद अब सत्ता और संगठन में होगा बड़ा बदलाव

Rajasthan Political Crisis राजस्थान सत्ता और संगठन में बड़ा बदलाव होगा मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियां होगी

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 09:23 AM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2020 09:27 AM (IST)
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में 35 दिन तक चले सियासी घमासान के बाद अब सत्ता और संगठन में होगा बड़ा बदलाव
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में 35 दिन तक चले सियासी घमासान के बाद अब सत्ता और संगठन में होगा बड़ा बदलाव

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। करीब 35 दिन तक चले सियासी संग्राम के बाद अब राजस्थान कांग्रेस के सत्ता और संगठन में बड़े बदलाव होंगे। इनमें अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल, राजनीतिक नियुक्तियां एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी व जिला कांग्रेस कमेटियों की कार्यकारिणी का गठन शामिल है।

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सचिन पायलट से किए गए वादे के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को हटाते हुए प्रदेश के मुद्दों को सुलझाने के लिए अहमद पटेल,संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल व महासचिव अजय माकन की कमेटी बना दी। सूत्रों के अनुसार इस माह के अंत तक प्रदेश के चारों प्रभारी सचिवों को भी हटाकर उनके स्थान पर नई नियुक्तियां होगी। पांडे को हटाने के साथ ही उनके चारों सहयोगी सचिवों देवेंद्र यादव, विवेक बंसल, काजी निजामुद्दीन व तरूण कुमार को हटाने का निर्णय किया गया है। दो दिन दिल्ली में रहकर पायलट ने राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने अपने समर्थकों के लिए मंत्रिमंडल में चार से पांच स्थान मांगे हैं।

पायलट ने सौंपे दस्तावेज

जानकारी के अनुसार सीएम गहलोत व सचिन पायलट के बीच विवाद का अंत कराने को लेकर दिल्ली में हुए मंथन के दौरान प्रदेश सत्ता और संगठन में कई बदलाव करने को लेकर सहमति बनी थी। इस दौरान बागी रूख अख्तियार किए पायलट को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी ने आश्वासन दिया था कि प्रदेश का काम संभालने वाले पदाधिकारियों को बदलने के साथ ही सत्ता और संगठन में बदलाव किए जाएंगे।

राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के साथ बैठक के दौरान पायलट ने सबसे अधिक नाराजगी अविनाश पांडे को लेकर जताई थी। पायलट का कहना था कि पांडे ने प्रभारी होने के नाते दोनों खेमों में समन्वय का काम करने के बजाय केवल गहलोत का पक्ष लेते रहे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित अन्य नेताओं तक पांडे ने प्रदेश की सही स्थिति नहीं पहुंचाई। सूत्रों के अनुसार पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने पांडे के साथ ही चारों राष्ट्रीय सचिवों से जुड़े कुछ दस्तावेज भी राहुल गांधी व प्रियंका गांधी को सौंपें थे। पायलट खेमे का कहना था कि इस टीम के भरोसे प्रदेश में सही तरह से समन्वय नहीं हो सकेगा।

गहलोत और पायलट में होगी हिस्सेदारी

जानकारी के अनुसार सितंबर माह में गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा। फेरबदल में मौजूदा दो से तीन मंत्रियों को हटाने के साथ ही पायलट खेमे से मंत्री शामिल किए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार एक उप मुख्यमंत्री पायलट खेमे के विधायक को बनाया जाएगा। सियासी संग्राम के दौरान गहलोत ने पायलट को उप मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त करने के साथ ही उनके खेमे के दो मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह व रमेश मीणा को भी हटा दिया था।

सूत्रों के अनुसार अब पायलट तो सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन उन्हे चार से पांच समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिलाने का भरोसा केंद्रीय नेतृत्व ने दिया है। मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद राजनीतिक नियुक्तियों का काम शुरू होगा। कार्यकर्ता लंबे समय से नेताओं पर राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर दबाव बना रहे हैं। राजनीतिक नियुक्तयों में भी गहलोत व पायलट के बीच हिस्सेदारी होगी। इसी तरह पायलट के स्थान पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए गोविंद सिंह डोटासरा की कार्यकारिणी में भी गहलोत व पायलट खेमे के बीच पदों का बंटवारा होगा। 


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