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सुन्नी वक्फ बोर्ड के आठ में से दो सदस्य जमीन लेने के खिलाफ, मस्जिद के साथ बनेगा चैरिटेबल हॉस्पिटल

यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड की लखनऊ में अहम बैठक में फैसला लिया गया कि अयोध्या में सरकार से मिली पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद बनेगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 10:11 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 11:07 AM (IST)
सुन्नी वक्फ बोर्ड के आठ में से दो सदस्य जमीन लेने के खिलाफ, मस्जिद के साथ बनेगा चैरिटेबल हॉस्पिटल
सुन्नी वक्फ बोर्ड के आठ में से दो सदस्य जमीन लेने के खिलाफ, मस्जिद के साथ बनेगा चैरिटेबल हॉस्पिटल

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड की सोमवार को लखनऊ में हुई बैठक में आयोध्या में पांच एकड़ जमीन लेने का फैसला किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए यूपी सरकार द्वारा दी गई जमीन स्वीकार करने का निर्णय लेते हुए बैठक में तय किया गया कि मस्जिद निर्माण के लिए ट्रस्ट का भी गठन किया जाएगा। यह ट्रस्ट मस्जिद निर्माण के अलावा एक ऐसा केंद्र स्थापित करेगी जो कई सदियों की इंडो-इस्लामिक सभ्यता को प्रदर्शित करेगा।

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अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एतिहासिक फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की सोमवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक में सरकार की ओर से अयोध्या के रौनाही में मस्जिद निर्माण के लिए दी गई पांच एकड़ जमीन को स्वीकार कर लिया गया है। बोर्ड इस जमीन पर मस्जिद के साथ चैरिटेबल हॉस्पिटल और एक पब्लिक लाइब्रेरी का निर्माण कराएगा। बोर्ड के आठ में से छह सदस्यों ने जमीन स्वीकार करने पर मुहर लगाई जबकि दो इसके खिलाफ थे और बैठक छोड़कर बाहर चले गए।

उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड श्रीराम मंदिर ट्रस्ट की तर्ज पर ही एक ट्रस्ट का गठन भी करेगा। बैठक के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में पांच एकड़ भूमि मस्जिद के निर्माण के लिए प्रदान की है। आज बैठक में भूमि को स्वीकार किए जाने का फैसला लिया गया। बोर्ड पांच एकड़ भूमि पर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट गठित करेगा। ट्रस्ट दी गई भूमि पर एक मस्जिद के साथ ऐसा केंद्र स्थापित करेगा जो सदियों तक इंडो-इस्लामिक सभ्यता को प्रदर्शित करेगा। पांच एकड़ जमीन पर भारतीय तथा इस्लामिक सभ्यता के अन्वेषण तथा अध्ययन के लिए एक केंद्र की भी स्थापना होगी। इसके साथ ही चैरिटेबल अस्पताल एवं पब्लिक लाइब्रेरी और अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की जाएगी। ट्रस्ट और उसके पदाधिकारियों से संबंधित संपूर्ण विवरण की घोषणा प्रस्तावित ट्रस्ट के गठन के उपरांत की जाएगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही अयोध्या में मस्जिद सहित अन्य गतिविधियों के निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित किया जाएगा। जहां पर मस्जिद सहित अन्य निर्माण कार्य ट्रस्ट अपने संसाधनों से करेगा। यह ट्रस्ट समाज से मदद भी लेगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड इसके लिए एक भी पैसा खर्च नहीं करेगा। यहां बनने वाली मस्जिद का नाम क्या होगा यह भी बाद में तय किया जाएगा।

इससे पहले उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड की सोमवार को लखनऊ में हुई बैठक में शामिल होने के लिए छह सदस्य पहुंचे थे। बैठक की अध्यक्षता सुन्नी वक्फ बोर्ड चेयरमैन जुफर फारूकी ने की। बैठक में अदनान फरूक शाह, जुनैद सिद्दीकी, सैयद अहमद अली, अबरार अहमद, जुनीद अहमद बैठक में मौजूद, जबकि अब्दुल रज्जाक खान और इमरान माबूद ने बैठक का बहिष्कार कर दिया है।

इन सदस्यों ने किया विरोध

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य अब्दुल रज्जाक ने कहा है कि शरीयत मस्जिद की जमीन के बदले जमीन लेने की इजाजत नहीं देता। इसी कारण हमको जमीन नहीं लेनी चाहिए और हम इसका विरोध कर रहे हैं। दूसरे सदस्य इमरान माबूद खान ने भी बैठक का बायकॉट किया। उन्होंने भी शरीयत का हवाला देते हुए बैठक में नहीं आने की बात कही है। बाकी के सारे छह सदस्य चेयरमैन के साथ हैं, जिसकी वजह से जमीन लेने के फैसले को बहुमत से पास कर दिया। इसके बाद जमीन लेने और ट्रस्ट बना कर उस पर निर्माण करने के रास्ते साफ हो गए।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर को अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण करने और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन देने के आदेश दिए थे। योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने पांच फरवरी को अयोध्या-लखनऊ राजमार्ग पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का फैसला किया था। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी राज्य सरकार द्वारा अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए दी गई जमीन लेने के मुद्दे पर पहले ही कह चुके हैं कि वह इसे लेने से इनकार नहीं कर सकते हैं।


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