Bihar Assembly Elections 2020 : पूर्वी चंपारण में कमजोर होते जा रहे 'चित्तौडग़ढ़' के किले को बचाने की चुनौती
Bihar Assembly Elections 2020 क्षत्रिय बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण चंपारण की मधुबन विस सीट चित्तौडग़ढ़ के नाम से चर्चित। सूबे के सहकारिता मंत्री राणा रंधीर सिंह यहां से वर्तमान विधायक। यह सीट कभी उनके पिता सीताराम सिंह के नाम से जुड़ गई थी।
पूर्वी चंपारण, [अनिल तिवारी ]। Bihar Assembly Elections 2020 : क्षत्रिय बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण ' चित्तौडग़ढ़' का नाम हासिल कर चुकी चंपारण की मधुबन विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला रोचक है। कमजोर होते किले को सहेज पाना सूबे के सहकारिता मंत्री राणा रंधीर सिंह के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। यह सीट कभी उनके पिता सीताराम सिंह के नाम से जुड़ गई थी, मगर जब उन्होंने यह सीट छोड़ी तो यदुवंशियों का कब्जा हो गया। हालांकि, बदले हालात में पाला बदल राणा रंधीर ने पिता की विरासत वापस अपने हाथ में ले ली।
वर्ष 1985 के बाद से इस सीट पर लगातार 20 साल तक काबिज रहे सीताराम सिंह चुनौतियों को सहजता से निबटाते रहे। वर्ष 2004 में उन्होंने यह सीट पुत्र के लिए छोड़ दी और शिवहर से राजद के टिकट पर सांसद बन गए। अगले साल 2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में राणा रंधीर को राजद से न सिर्फ टिकट, बल्कि जीत दिलाने में भी सफल रहे। हालांकि, सरकार नहीं बन पाने की वजह से उसी साल नवंबर में हुए चुनाव में वे सीट संभाल नहीं सके। सीताराम सिंह के धुर विरोधी रहे शिवजी राय ने उन्हें मात दी।
2015 में अभिभावक की भूमिका में आए थे राधामोहन सिंह
वर्ष 2014 में सीताराम सिंह का स्वर्गवास हो गया। तब 2015 में अभिभावक की भूमिका में उनके संबंधी राधामोहन सिंह आए। उन्होंने भाजपा से टिकट दिलाया। किस्मत के धनी राणा रंधीर एक बार फिर चमके और जीत के साथ ही सूबे के सहकारिता मंत्री बनाए गए। जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े शिवजी राय को परास्त कर दिया। इस बार भी मुकाबला 2005 का ही लग रहा है। क्योंकि, मैदान में चेहरे वही नजर आ रहे हैं। शिवजी राय पाला बदल अब राजद में आ गए हैं। गठबंधन की ओर से राजद टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। मगर, पार्टी के अंदर के दावेदारों की चुनौती बड़ी बात है। इधर, एनडीए में राणा रंधीर भाजपा से सीटिंग विधायक हैं, ऊपर से सूबे में मंत्री भी, ऐसे में दूसरे दलों के लिए दावेदारी जरा मुश्किल नजर आती है।
राजद में भी टिकट के कई दावेदार
पिछले चुनाव में बसपा के टिकट पर भाग्य आजमाने उतरे डॉ. संतोष कुमार सिंह कुशवाहा ने दोनों दलों की चिंता बढ़ा दी थी। हालांकि, इस बार पल्ला बदलकर वे राजद में आ गए हैं। टिकट की होड़ में उनका भी नाम है। उनके अलावा डॉ. मदन प्रसाद भी प्रयासरत हैं। ऐसे में देखना यह है कि राणा चित्तौडग़ढ़ का किला बचा पाते हैं या नहीं।