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लोकसभा चुनाव: रंजीता रंजन को ले राजद-कांग्रेस में ठनी, कीर्ति आजाद पर भी फंसा पेंच

लोकसभा चुनाव में सीटों को ले महागठबंधन में किचकिच जारी है। अभी भी कई सीटों पर उम्‍मीदवारी घटक दलों की दावेदारी में फंसी हुई है। आइए डालते हैं इन विवादित सीटों पर नजर।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 11:55 AM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 12:05 AM (IST)
लोकसभा चुनाव: रंजीता रंजन को ले राजद-कांग्रेस में ठनी, कीर्ति आजाद पर भी फंसा पेंच
लोकसभा चुनाव: रंजीता रंजन को ले राजद-कांग्रेस में ठनी, कीर्ति आजाद पर भी फंसा पेंच
पटना [राज्य ब्यूरो]। राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने घटक दलों में सीटों की हिस्सेदारी के मसले को सबसे पहले सुलझाते हुए चुनाव का रास्ता पकड़ लिया है, लेकिन विपक्षी महागठबंधन में किचकिच जारी है। महागठबंधन में कटिहार को लेकर विवाद तो सुलझ गया, लेकिन दरभंगा, मधुबनी, मुंगेर और पटना साहिब सीटों पर मामला अभी भी फंसा हुआ है। खासकर सुपौल में रंजीता रंजन तथा दरभंगा में कीर्ति आजाद को लेकर राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) व कांग्रेस आमने-सामने दिख रहे हैं।
दरभंगा सीट पर कीर्ति आजाद को ले फंसा पेंच
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कांग्रेस में आए सांसद कीर्ति आजाद के लिए कांग्रेस दरभंगा सीट चाहती है। किंतु राजद भी यह सीट अपने वरिष्‍ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के लिए चाहता है। राजद के प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने सोमवार को दावा कर दिया कि दरभंगा की सीट पर राजद का अधिकार है। भाई वीरेंद्र का यह बयान राजद-कांग्रेस में गतिरोध-प्रतिरोध का संकेत है। दरभंगा में चौथे चरण में चुनाव है। ऐसे में इस सीट को लेकर बयानबाजी बड़ा संकेत है।
शत्रुघ्‍न के बदले राजद को चाहिए एक और सीट
इसी तरह पटना साहिब सीट को लेकर भी दोनों दलों में रस्साकशी है। इस क्षेत्र से भाजपा के मौजूदा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा दावेदार हैं। पहले उन्‍हें राजद से लडऩे की तैयारी थी, किंतु मतदाताओं का मन-मिजाज भांपकर लालू ने उन्हें कांग्रेस के टिकट पर लडऩे की सलाह दी है। कांग्रेस राजी है, किंतु इसके लिए उसे एक सीट ज्यादा चाहिए। राजद तैयार नहीं है। इसी चलते शत्रुघ्न सिन्‍हा का कांग्रेस में आना भी टल रहा है। पहले कहा गया था कि 24 मार्च को कांग्रेस का दामन थाम लेंगे, लेकिन तारीख बीत गई। अब उनके 28 मार्च को कांग्रेस में शामिल होने की बात कही जा रही है।
मुंगेर में अनंत सिंह पर नहीं बन पा रही बात
मुंगेर से अनंत सिंह को लड़ाने पर भी दोनों दलों में बात नहीं बन सकी है। अभी तक विचार-विमर्श और इकरार-इनकार का सिलसिला चल रहा है। अनंत सिंह के खिलाफ राजद का स्‍टैंड साफ है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्‍वी यादव ने खुद अनंत सिंह की दावेदारी खारिज कर दी है। लेकिन कांग्रेस का एक धड़ा अनंत सिंह के पक्ष में मजबूती से खड़ा है। माना जा रहा है कि अनंत सिंह के बदले उनकी पत्‍नी को चुनाव में खड़ा किया जा सकता है।
कांग्रेस पर सुपौल में उम्‍मीदवार बदलने का दबाव
राजद की आपत्ति के कारण जन अधिकार पार्टी के संरक्षक व मधेपुरा से सांसद पप्‍पू यादव का महागठबंधन में आना भी संभव नहीं हो सका। राजद ने अपने कोटे में गई इस सीट पर अपने टिकट पर शरद यादव को खड़ा कर रहा है। इससे खफा पप्‍पू यादव ने मधेपुरा से ही ताल ठोकने की घोषणा कर दी है। इसका असर भी राजद-कांग्रेस के रिश्‍तों पर पड़ता दिख रहा है। राजद ने सुपौल में कांग्रेस पर वहां से अपना उम्‍मीदवार बदलने का दबाव बनाया है। सुपौल से पप्पू यादव की पत्‍नी रंजीत रंजन कांग्रेस की उम्‍मीदवार हैं। शरद यादव को लालटेन थमाकर मधेपुरा में पप्पू के लिए महागठबंधन का रास्ता बंद करने के बाद राजद की नजर अब सुपौल पर है।
मोतिहारी पर भी जारी महाझंझट
मोतिहारी से राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने महीने भर पहले माधव आनंद को अपना उम्मीदवार तय कर दिया है, लेकिन अब राजद की ओर से विनोद श्रीवास्तव के लिए दबाव बनाया जा रहा है। राजेंद्र राम समेत जिले के राजद के चारों विधायकों ने समर्थकों के साथ पटना आकर राबड़ी देवी के सरकारी आवास के सामने नारेबाजी की। उन्‍होंने मोतिहारी पर राजद का दावा जताया। जाहिर है, अभी यहां भी पेच है।

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