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Rajasthan Politics: वसुंधरा राजे युग का अंत करने में जुटे भाजपा के दिग्गज नेता

Vasundhara Raje. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निकट माने जाने वाले सतीश पूनिया शुरू से ही वसुंधरा राजे विरोधी खेमे में शामिल रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 12:32 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 01:18 PM (IST)
Rajasthan Politics: वसुंधरा राजे युग का अंत करने में जुटे भाजपा के दिग्गज नेता
Rajasthan Politics: वसुंधरा राजे युग का अंत करने में जुटे भाजपा के दिग्गज नेता

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Vasundhara Raje. राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विरोधी नेता एकजुट होने लगे हैं। एक साल पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद वसुंधरा राजे विरोधी नेताओं की सक्रियता बढ़ी और अब यह खेमा लगातार मजबूत होता जा रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर सतीश पूनिया की ताजपोशी के बाद यह खेमा और अधिक मजबूत हो गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के निकट माने जाने वाले सतीश पूनिया शुरू से ही वसुंधरा राजे विरोधी खेमे में शामिल रहे हैं। वसुंधरा राजे के सत्ता से हटने के बाद उनके विरोधी नेताओं ने आरएसएस के प्रदेश पदाधिकारियों के माध्यम से सतीश पूनिया को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व को तैयार किया। अब पूनिया के अध्यक्ष बनने के बाद ये नेता वसुंधरा राजे समर्थकों को मुख्यधारा से दूर करने की कोशिश में जुटे हैं।

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केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, संसदीय कार्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया, राज्यसभा सदस्य डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, सांसद दीया कुमारी, पूर्व मंत्री मदन दिलावर, जोगेश्वर गर्ग, पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा और पूर्व मुख्य सचेतक महावीर प्रसाद जैन आदि नेता वसुंधरा राजे विरोधियों को एकजुट करने में जुटे हैं। इन सभी नेताओं का मकसद राज्य भाजपा में वसुंधरा राजे युग का अंत करना है।

वसुंधरा समर्थकों ने भी पाला बदला

इन नेताओं की रणनीति है कि वसुंधरा राजे के समर्थक नेताओं को पार्टी की मुख्यधारा से अलग करने की है। इसी के तहत वसुंधरा राजे के कट्टर विरोधी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष सांसद हनुमान बेनीवाल से निकटता बढ़ाई जा रही है। इसी रणनीति के तहत कुछ दिनों पूर्व हुए दो विधानसभा सीटों के उप चुनाव में खींवसर सीट पर वसुंधरा राजे के विरोध के बावजूद हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल को समर्थन दिया गया। पार्टी के इस फैसले से नाराज वसुंधरा राजे खींवसर के साथ ही मंडावा में भी चुनाव प्रचार करने नहीं गई।

हनुमान बेनीवाल सार्वजनिक रूप से वसुंधरा राजे के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। उधर, पार्टी के मौजूदा माहौल को देखते हुए वसुंधरा राजे के खास माने जाने वाले पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़, गजेंद्र सिंह खींवसर और भवानी सिंह राजावत ने पाला बदल लिया है। ये नेता अब सतीश पूनिया के नेतृत्व में वसुंधरा राजे को दरकिनार करने को लेकर चलाई जा रही गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

वसुंधरा राजे के खिलाफ भाजपा प्रदेश इकाई में बन रहे माहौल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सतीश पूनिया ने पांच दिन पूर्व अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालते हुए सार्वजनिक रूप से कहा कि अब चाहे कितना भी बड़ा नेता हो अनुशासनहीनता बर्दास्त नहीं की जाएगी। पार्टी के निर्देश का सभी को पालन करना होगा। पूनिया का इशारा वसुंधरा राजे की तरफ था जो पिछले काफी समय से पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो रही है। प्रदेश नेतृत्व के आग्रह के बावजूद वे खींवसर और मंडावा विधानसभा सीटों के उप चुनाव में प्रचार के लिए भी नहीं गई। 

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