सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, प्रवासी कामगारों की दशा पर घड़ियाली आंसू बहा रही सरकार
यूपी के पूर्वा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि लंबे लॉकडाउन के बावजूद संकट बढ़ रहा है। श्रमिकों के पलायन और बेरोजगारी से अराजकता जैसी स्थिति बन रही है।
लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की दयनीय दशा पर सरकार सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रही है। लाचार मजदूरों की सरकार अनदेखी कर रही है। रेल पटरियों से लेकर राजमार्ग, खेत से लेकर खलिहान तक लहूलुहान हो रहे हैं। कोरोना वायरस के संकट से निबटने में अदूरदर्शिता व अव्यावहारिक निर्णयों के चलते सरकार विफल साबित हुई है। सरकार ठोस व सकारात्मक कदम उठाने की जगह छिटपुट फौरी निर्णयों से जनता को गुमराह कर रही है।
सरकार से उम्मीद करते-करते जब हार गये तो ‘आत्मनिर्भर’ होकर... बेबस लोगों ने अपनी गाड़ी ख़ुद चला ली... #AatmNirbhar pic.twitter.com/rzTiFHiRfN
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 14, 2020
यूपी के पूर्वा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि लंबे लॉकडाउन के बावजूद संकट बढ़ रहा है। श्रमिकों के पलायन और बेरोजगारी से अराजकता जैसी स्थिति बन रही है। इंदौर बाईपास पर बारी-बारी एक युवक फिर महिला बैलगाड़ी में एक बैल की जगह खुद जुतकर परिवार को खींच रही है। यह दृश्य निहायत शर्मनाक और अमानवीय है। आगरा में एक महिला अपने बच्चे के साथ सामान को घसीटते हुए ले जाने को मजबूर है। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर हाई-वे पर हुए दर्दनाक सड़क हादसे में कई प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। पहले ट्रेन और अब बस हादसा।
उप्र के मुजफ्फरनगर बस हादसे में प्रवासी मज़दूरों की दर्दनाक मौत पर गहरा दुख. श्रद्धांजलि!
पहले ट्रेन और अब बस हादसा, मज़दूरों की ज़िंदगी इतनी सस्ती क्यों. ‘वंदे भारत मिशन’ में क्या देश की गरीब जनता नहीं आ सकती. इतना ऊपर भी उड़ना ठीक नहीं कि ज़मीन की सच्चाई की उपेक्षा हो जाए.— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 14, 2020
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कानपुर देहात, फतेहपुर, रायबरेली सहित कई जिलों में घर लौट रहे श्रमिक अपनी जान गंवा बैठे हैं। जगह-जगह मजदूरों और कामगारों के मारे जाने की खबरें विचलित करने वाली हैं। इस पूरी दुर्दशा के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। अमीरों को हवाई जहाज भेजकर एयरलिफ्ट कराने वाली भाजपा सरकार जमीन पर गाड़ियों के नीचे कुचले जा रहे मजदूरों की मौत पर असंवेदनशील रवैया क्यों अपना रही है? कब तक ये अपनी गरीबी की कीमत मौत से चुकाते रहेंगे। 'वंदेभारत मिशन' में क्या देश की गरीब जनता नहीं आ सकती है।