समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, किसानों पर पड़ी कोरोना संकट की सर्वाधिक मार
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा टीम-11 व भाजपा मंत्रिमंडल की बैठकों में किसानों को राहत देने के उपायों पर विचार करने की जगह हवाई रोजगार पैदा करने पर जोर दिया जा रहा है।
लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना संकट और लॉकडाउन की सर्वाधिक मार किसानों पर पड़ी है। टीम-11 और भाजपा मंत्रिमंडल की बैठकों में किसानों को वास्तविक राहत देने के उपायों पर विचार करने की जगह हवाई रोजगार पैदा करने पर जोर दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री किसानों की समस्याओं पर गौर नहीं करना चाहते हैं। कारण स्पष्ट है कि भाजपा का किसानों के हितों से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा है।
अब श्रमिकों के लिए नया आयोग बनाया जा रहा है जबकि ‘एम्पलॉयमेन्ट एक्सचेंज’ पहले से है. चाहे नीति आयोग हो, नया कोष या अब ये श्रम का विषय; जो है उसका उपयोग न करके हर एक मुद्दे पर कुछ नया बनाने का प्रयास क्यों.
ये सरकार का अपनी असफलताओं से ध्यान हटाने का तरीक़ा व जन-धन का अपव्यय है.— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 26, 2020
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा सरकार समझती है कि कोरोना की महामारी की आड़ में अन्य बुनियादी गंभीर समस्याओं की अनदेखी की जा सकती है। जहां, एक तरफ विस्थापित श्रमिकों और बेरोजगार नौजवानों के सामने भविष्य की चिंता है, वहीं किसानों की बदहाली ने खेती का संकट पैदा कर दिया है। इसके लिए भाजपा की डबल इंजन की सरकारें जिम्मेदार हैं।
मुख्यमंत्री जी की ‘दिव्य राजनीतिक गणित’ के हिसाब से यदि मुंबई-महाराष्ट्र से लौटे 75%, दिल्ली से लौटे 50% अन्य राज्यों से लौटे 25% लोग कोरोना-संक्रमित हैं तो फिर पचीसों लाख लौटे लोगों को मिलाकर उप्र में कोरोना का प्रकाशित आँकड़ा कुछ हजार ही क्यों है.
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है! — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 26, 2020
सरकारी दावों के बावजूद गेहूं क्रय केंद्रों का कोई अता-पता नहीं चला। किसान को 1925 रुपये प्रति कुंतल न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नसीब नहीं हुआ, जिसे औने-पौने दाम पर बिचौलिये लूटकर ले गए। प्रदेश में 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा गन्ना किसानों का बकाया है। चीनी मिलें बंद हो रही है, जबकि गन्ना खेतों में खड़ा है। खरीफ की बुवाई का समय है। धान रोपने की तैयारी है। लेकिन, सरकार की तरफ से कोई राहत-सुविधा नहीं मिली। ब्याज पर कर्ज की व्यवस्था समाप्त हो। किसानों को तत्काल कार्यपूंजी देने का इंतजाम हो। कर्ज के बोझ तले दबे पांच एकड़ से कम जोत वाले किसानों की नकद आॢथक मदद की जाए।