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तो पांच साल दौड़ेगी मनोहर व दुष्यंत की गाड़ी, आज करेंगे दावा पेश, जानें भाजपा ने क्‍यों चुना चौटाला को

उम्‍मीद की जा रही है कि हरियाणा में किसी दल को बहुमत नहीं मिलने के बाद अब भाजपा और जेजेपी गठजोड़ स्थिर सरकार देगी। भाजपा द्वारा दुष्‍यंत चौटाला को साथी चुनने का बड़ा कारण है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 09:15 AM (IST)Updated: Sat, 26 Oct 2019 11:56 AM (IST)
तो पांच साल दौड़ेगी मनोहर व दुष्यंत की गाड़ी, आज करेंगे दावा पेश, जानें भाजपा ने क्‍यों चुना चौटाला को
तो पांच साल दौड़ेगी मनोहर व दुष्यंत की गाड़ी, आज करेंगे दावा पेश, जानें भाजपा ने क्‍यों चुना चौटाला को

चंडीगढ़, जेएनएन/एएनआइ। Haryana Assembly Election 2019 में किसी दल को बहुमत नहीं मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठजोड़ बहद अहम है। इसने राज्‍य में नई सियासी माहौल बनाया है और उम्‍मीद है कि भाजपा-जेजेपी पांच साल तक स्थिर सरकार राज्‍य को देंगे। इसके साथ ही पहले निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर रही भाजपा ने बेहद खास कारण से दुष्‍यंत चौटाला को अपना साथी चुना है। समझा जाता है कि भाजपा दुष्‍यंत के जरिये जाटों की नाराजगी दूर करना चाहती है। इसके साथ ही कांग्रेस को भी किनारा करने में भी वह सफल हुई है। गठबंधन के साथ सात निर्दलीय विधायकों का आना भी सरकार को मजबूती प्रदान करेगा। इस तरह विधानसभा में भाजपा-जेजेपी सरकार के बहुमत का आंकड़ा 57 हो गया है।

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भाजपा ने दुष्यंत के जरिये की जाटों की नाराजगी दूर करने की कोशिश

भाजपा ने जेजेपी के साथ गठबंधन कर बिना किसी डर और राजनीतिक बाधा के पूरे पांच साल का सफर तय करने का रास्ता साफ किया है। इसके साथ ही जननायक जनता पार्टी ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लागू करने के लिए सरकार में शामिल होने को जरूरी बताते हुए राजनीति में ऊंची उड़ान भर ली है।

हरियाणा में अब भाजपा व जेजेपी गठबंधन की सरकार से जातीय संतुलन भी साधने की कोशिश होगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भाजपा का बड़ा गैर जाट चेहरा हैं, तो दुष्यंत चौटाला को सत्ता में शामिल कर भाजपा जाटों की नाराजगी दूर करने की कोशिश करेगी। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी पार्टी से करीब 20 जाट उम्मीदवारों को टिकट दिए थे, लेकिन जीत सिर्फ चार की हुई। भाजपा के बाकी जाट उम्मीदवारों को लोगों ने पूरी तरह से नकार दिया है।

दुष्यंत ने सरकार में रहकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लागू करने का उठाया बीड़ा

भाजपा की मनोहर सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्‍नी प्रेमलता तक चुनाव हार गईं। जननायक जनता पार्टी ने करीब 30 जाटों को टिकट दिए थे, जिसमें ज्यादातर चुनाव जीत कर आए हैं। जेजेपी को इस बार पहली दफा में ही 10 विधायक मिले हैं। जेजेपी ने भाजपा के साथ सत्ता में शामिल होने के पीछे युवाओं व बुजुर्गों के साथ-साथ बेरोजगारों के लिए पार्टी के न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लागू करने के प्रयासों को आधार बनाया है।

हुड्डा के निर्दलीय विधायकों को तोडऩे की संभावनाओं पर भाजपा ने लगाया ब्रेक

जेजेपी ने कहा है कि वह हरियाणा में स्थापित उद्योगों तथा सरकारी नौकरियों में यहां के मूल निवासी 75 फीसदी युवाओं को रोजगार चाहती है। पेंशन भी करीब पांच हजार रुपये मासिक करने का एजेंडा जजपा ने रखा है। भाजपा इन दोनों मुद्दों को धीरे धीरे हल करने के दुष्यंत चौटाला के प्रस्ताव को  लागू करने के लिए राजी हो गई है। दुष्यंत चौटाला की सोच सिर्फ सत्ता तक ही सीमित नहीं है। दुष्यंत सांसद भी रह चुके हैं, लेकिन हरियाणा की राजनीति में सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की उनकी महत्वकांक्षा का यह पहला बड़ा पड़ाव है, जिसे जरिये वह बहुत दूर तक जाने का इरादा रखते हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल व भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की भी यही सोच है कि हरियाणा में सरकार पूरे पांच साल चले। इसलिए वह सिर्फ निर्दलीय विधायकों के सहारे नहीं रहना चाहते थे। निर्दलीय विधायकों का मान सम्मान हालांकि भाजपा किसी सूरत में कम नहीं होने देगी, लेकिन यदि उसे डर सता रहा था कि यदि जजपा भविष्य में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ चली गई और सरकार में कोई तोडफ़ोड़ हुई तो राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है। लिहाजा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शुरुआती दौर में ही ऐसी तमाम संभावनाओं पर विराम लगा दिया है।

यह हुआ अब संख्या बल का खेल

भाजपा - 40

जजपा - 10

आजाद - 7

कुल - 57 विधायक

बहुमत के लिए जरूरी - 46 विधायक


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