Kashmir Situation: अल्पसंख्यक दर्जे के लिए और इंतजार के मूड में नहीं जम्मू- कश्मीर के सिख
अल्पसंख्यक दर्जे के लिए और इंतजार के मूड में नहीं जम्मू कश्मीर के सिखउप राज्यपाल से जल्द हक दिलाने की मांग करेंगे सिख संगठनआनंद मैरिज एक्ट और पंजाबी भाषा के दर्जे की भी उठाई मांग
जम्मू, राज्य ब्यूरो। सात दशक से अपने अधिकारों से वंचित जम्मू कश्मीर का सिख समुदाय अब अलपसंख्यक दर्जे के लिए और इंतजार करने के मूड में नहीं है। राज्य के पुनर्गठन के बाद अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया जाना है। फिलहाल अभी यह तय नहीं हो पाया है कि राज्य का अपना आयोग गठित होगा या केंद्रीय आयोग के तहत ही अल्पसंख्यकों को सुविधाएं मिलेंगी। इसी तरह आनंद मैरिज एक्ट पर स्थिति साफ नहीं है। ऐसे में सिख समुदाय के प्रतिनिधियों ने मसले को उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के समक्ष उठाने की तैयारी शुरू कर दी है।
इससे पूर्व जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के नाम पर सिख समुदाय को उनके हकों से वंचित रखा गया। यहां तक की अल्पसंख्यक का दर्जा भी नहीं मिल पाया। साथ ही आनंद मैरिज एक्ट लागू करने, पंजाबी भाषा को लागू करने समेत कई मांगे कभी पूरी नहीं हुई। राज्य के पुनर्गठन के बाद अब उनकी उम्मीदें भी तेजी से बढ़ी हैं और आशा है कि उन्हें हक मिलेगा। बावजूद इसके अधिकारियों द्वारा स्थिति स्पष्ट न करने से उन्हें फिर से चिंता सताने लगी है।
फारूक, मुफ्ती और मनमोहन के समक्ष उठाया था मसला
सिख संगठन इस मसले पर लगातार आवाज उठाते रहे हैं। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों में भी इस मामले को बार-बार उठाया पर हर बार आश्वासन ही मिले। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल और मुफ्ती सईद के समक्ष भी इस मसले को उठाया। उन्होंने जल्द समाधान के वादे किए पर कुछ संभव नहीं हो सका। सिख संगठनों के अनुसार उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष भी अपनी पीड़ा व्यक्त की थी।
अभी काम आरंभ नहीं हुआ
आल पार्टी सिख कोर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन रैना ने कहा कि केंद्र कह रही है कि अल्पसंख्यकों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं का लाभ मिलेगा लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का फायदा अभी तक जम्मू कश्मीर को नहीं मिला है। भाषाओं के नए फार्मूले में पंजाबी भाषा को स्थान नहीं दिया जा रहा है।
जम्मू में खुले आयोग का कार्यालय
सिख नेता मंजीत का कहना है कि अगर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के क्षेत्राधिकार में जम्मू कश्मीर को लाया जाता है तो जम्मू में इसका कार्यालय खोला जाए। सिख प्रतिनिधियों को इस में शामिल किया जाए। आनंद मैरिज एक्ट को दिल्ली सरकार ने लागू कर दिया है और इसे जम्मू कश्मीर में भी लागू किया जाए। नेशनल सिख फ्रंट के चेयरमैन वीरेंद्र जीत ने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग और आनंद मैरिज एक्ट पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए जल्द उपराज्यपाल से मिलेंगे। जम्मू कश्मीर में अभी भी शादियां आनंद मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं हो रही है।
घाटी के सिखों लिए भी मांगी कश्मीरी विस्थापितों के समकक्ष सुविधाएं
आल पार्टीज सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन रैना ने कहा कि कश्मीरी विस्थापितों की तर्ज कश्मीर में रहने वाले पंडितों को पैकेज का लाभ दिया जा रहा है लेकिन कश्मीर के सिखों को वंचित रखा गया है। कश्मीर में सिख समुदाय चुनौतीपूर्ण हालात में रहता आया है। ऐसे में उनको भी समकक्ष सुविधाएं मिलनी चाहिएं।
रैना ने कहा कि नौकरियों के पैकेज का लाभ सिख समुदाय को न मिलने का मामला मुख्य सचिव से उठा चुके है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली में जम्मू कश्मीर के कुछ लोग जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ साजिश कर रहे है। जब राजनाथ देश के गृह मंत्री थे जो उस समय भी कमेटी ने मामले को उठाया था लेकिन कोई हल नहीं निकला।