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Maharashtra Politics: बिखर गया भाजपा का दांव, उद्धव ठाकरे होंगे नए मुख्यमंत्री

Maharashtra Politics उद्धव ठाकरे बार-बार कहते आ रहे थे वह महाराष्ट्र में किसी शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाने का अपने पिता का स्वप्न जरूर पूरा करेंगे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 04:40 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 08:04 AM (IST)
Maharashtra Politics: बिखर गया भाजपा का दांव, उद्धव ठाकरे होंगे नए मुख्यमंत्री
Maharashtra Politics: बिखर गया भाजपा का दांव, उद्धव ठाकरे होंगे नए मुख्यमंत्री

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Maharashtra Politics संविधान दिवस के दिन मंगलवार को महाराष्ट्र में लोकतंत्र कई रंग देखने को मिले। विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के चौथे दिन ही इस्तीफा देना पड़ा। और अब दूसरे-तीसरे-चौथे क्रमांक के दलों की संयुक्त सरकार 28 नवंबर की शाम शिवाजी पार्क में शपथ लेने को तैयार दिख रही है। इस नई सरकार के मुख्यमंत्री शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे होंगे।

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देवेंद्र फडणवीस को देना पड़ा इस्‍तीफा

22 नवंबर की देर रात राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विधायक दल के नेता अजीत पवार के समर्थन के भरोसे 23 नवंबर की सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनेवाले देवेंद्र फडणवीस को आज दोपहर बाद तब अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, जब अजीत पवार ने भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पहुंचकर सूचना दी कि उनके पास भाजपा को समर्थन देने लायक विधायक संख्या नहीं है। वह व्यक्तिगत कारणों से उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहते हैं। इसके बाद ही राज्य में पिछले एक माह से चल रहे अनिश्चितताओं के दौर का पटाक्षेप हो गया।

फडणवीस के इस्तीफे के 3.30 घंटे बाद ही शाम को बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित होटल ट्राइडेंट में तीनों दलों की संयुक्त बैठक में नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने जा रहे राकांपा विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता जयंत पाटिल ने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव रखा एवं कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहब थोरात ने उनके प्रस्ताव का अनुमोदन किया। ठाकरे परिवार से मुख्यमंत्री बनने जा रहे उद्धव ठाकरे अपने पिता शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे के स्मृतिस्थल शिवतीर्थ यानी शिवाजी पार्क में 28 नवंबर की शाम शपथग्रहण करेंगे।

पिता का स्‍वप्‍न पूरा किया

इस विधानसभा चुनाव के दौरान उद्धव ठाकरे बार-बार कहते आ रहे थे वह महाराष्ट्र में किसी शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाने का अपने पिता का स्वप्न जरूर पूरा करेंगे। लेकिन तब भाजपा की कनिष्ठ सहयोगी शिवसेना के इस स्वप्न को गंभीरता से किसी नहीं लिया गया। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद स्वयं सत्ता संतुलन की स्थिति में आते ही उद्धव ठाकरे ने भाजपा के अलावा अन्य विकल्प भी मौजूद होने की बात कहकर भाजपा के पांव के नीचे से जमीन खींच ली थी।

उनके इस स्वप्न को परवान चढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई शिवसेना नेता संजय राऊत ने। जिन्होंने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से लगातार संपर्क साधकर शिवसेना के नेतृत्व में कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना की संयुक्त सरकार बनाने का रास्ता तैयार किया। शिवसेना की सरकार बनने का रास्ता 11 नवंबर को ही साफ हो सकता था। लेकिन राज्यपाल द्वारा शिवसेना को दी गई समयावधि के भीतर कांग्रेस-राकांपा के समर्थन का पत्र राजभवन न पहुंच पाने के कारण उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे को राजभवन से खाली हाथ वापस लौटना पड़ा था।

मिशन पर लगा रही शिवसेना और ठाकरे परिवार

इसके बावजूद उद्धव ने हिम्मत नहीं हारी। बल्कि राजनीति की कमान खुद अपने हाथ में संभाल ली। जबकि इससे पहले उनके पिता बालासाहब ठाकरे एवं स्वयं वह भी अपने सहयोगी दल से बातचीत करने के लिए शिवसेना के अन्य नेताओं पर निर्भर रहते थे। अपने निवास मातोश्री से बाहर न निकलना उनकी खूबी समझी जाती थी। लेकिन इस बार उद्धव ने न सिर्फ कमान खुद संभाली, बल्कि मातोश्री से बाहर पांव भी निकाले। मुंबई के विभिन्न होटलों में रखे गए अपने एवं कांग्रेस-राकांपा विधायकों से मिलने और उनसे संवाद साधने जाते रहे। दिल्ली से आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मिलने आधी-आधी रात को उनके होटलों में गए। पवार से तो वह लगातार संपर्क में रहे ही।

इसके लिए उन्हें अपनी पूर्व सहयोगी भाजपा के ताने भी मिले। लेकिन वह इन तानों की परवाह किए बिना अपने मिशन में लगे रहे। 22 नवंबर की बैठक में शरद पवार द्वारा उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित किए जाने के बाद शुरू हुए अजीत पवार प्रकरण के कारण एक बार फिर मुख्यमंत्री पद हाथ से फिसलता दिखाई दिया। लेकिन उन्होंने धीरज नहीं खोया। नए मित्र शरद पवार पर भरोसा रखा, और अब न सिर्फ एक शिवसैनिक, बल्कि स्वयं बालासाहब ठाकरे पुत्र उद्धव बालासाहब ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता लगभग साफ हो चुका है।

किसानों की आंखों से आंसू नहीं छलकने देंगे 

महा विकास अघाड़ी के सीएम पद के उम्मीदवार चुने जाने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, मैंने सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि मैं राज्य का नेतृत्व करुंगा। मैं सोनिया गांधी, शरद पवार और अन्य लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं। हम एक दूसरे पर विश्वास रखकर देश को एक नई दिशा दे रहे हैं। ये सरकार नहीं मेरा परिवार है। भाजपा ने 30 साल की दोस्‍ती तोड़ी। 30 साल से जो साथ थे उसे पर भरोसा नहीं किया। मेरे हिंदुत्‍व में झूठ नहीं है। मेरे हिंदुत्‍व में गलत का साथ देना नहीं है। लेकिन मैं बड़े भाई से मिलने दिल्ली जाऊंगा।

बालासाहेब ठाकरे कहते थे कि जिसको जुबान दे दी तो पीछे मत हटो। हम इस महाराष्ट्र को एक बार फिर से महाराष्ट्र बना देंगे, जैसा छत्रपति शिवाजी महाराज ने सपना देखा था।किसानों को लेकर सबसे पहले काम करेंगे। किसानों के आंखों में आंसू नहीं छलकने देंगे। वहीं इस मौके पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, राज्‍य में बदलाव की जरूरत थी। नया गठबंधन स्थिर सरकार देगा। महाराष्‍ट्र विकास अगाड़ी के तीन प्रतिनिधि आज शाम राज्यपाल से मिलेंगे। एक दिसंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में शपथ ग्रहण आयोजित किया जाएगा।


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