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MP Political Crisis: महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश जैसी स्थिति नहींः शरद पवार

MP Political Crisis राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि राज्य की महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार बहुत अच्छी चल रही है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2020 08:05 PM (IST)Updated: Wed, 11 Mar 2020 08:05 PM (IST)
MP Political Crisis: महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश जैसी स्थिति नहींः शरद पवार
MP Political Crisis: महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश जैसी स्थिति नहींः शरद पवार

राज्य ब्यूरो, मुंबई। MP Political Crisis: महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ दलों के नेताओं का मानना है कि महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश जैसी स्थिति पैदा नहीं होगी। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि राज्य की महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार बहुत अच्छी चल रही है और शिवसेना नेता संजय राउत का भी मानना है कि ‘मध्य प्रदेश वायरस’ महाराष्ट्र में प्रवेश नहीं करेगा।

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बुधवार को महाराष्ट्र विधान भवन में पत्रकारों से बात करते हुए शरद पवार ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की क्षमताओं पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को कमलनाथ की क्षमताओं पर भरोसा है, और उन्हें लगता है कि चमत्कार हो सकता है। एक-दो दिन में पता चल जाएगा कि ऐसा होगा कि नहीं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर पवार ने कहा कि यदि राजा साहब (सिंधिया) के साथ बातचीत की गई होती तो यह स्थिति पैदा नहीं होती। पवार कहते हैं कि सिंधिया लोकसभा चुनाव हारने के तुरंत बाद अपना पुनर्वास चाहते थे, लेकिन कांग्रेस की ऐसी संस्कृति नहीं है। इसलिए ऐसा होना आसान नहीं था। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के असर के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि उनके (कांग्रेस) के पास कई अच्छे नेता हैं।

इसी प्रकार महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना के सांसद एवं प्रवक्ता संजय राउत ने भी महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार को मध्य प्रदेश के असर से अछूता बताया। उन्होंने मजाक का पुट देते हुए ट्वीट किया है कि ‘मध्य प्रदेश वायरस’ महाराष्ट्र में प्रवेश नहीं करेगा। राउत का कहना है कि महाराष्ट्र की शक्ति अलग है। यहां 100 दिन पहले एक ऑपरेशन फेल हो चुका है। महाराष्ट्र विकास आघाड़ी ने एक बाईपास सर्जरी करके महाराष्ट्र को बचा लिया।

राउत का इशारा देवेंद्र फड़नवीस के साथ शपथ ले चुके राकांपा नेता अजीत पवार की कुछ ही घंटों के अंदर वापसी की ओर था। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी और शिवसेना ने कांग्रेस-राकांपा के साथ मिलकर 28 नवंबर को सरकार बना ली। जिसे 165 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।  

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