महाराष्ट्र सरकार की आलोचना के अगले दिन शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने की एक-दूसरे की तारीफ
महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने एक-दूसरे की तारीफ की।
जलगांव, प्रेट्र। भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआइए को सौंपने की इजाजत देने के लिए शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने एक-दूसरे की तारीफ की। शुक्रवार को कोल्हापुर में पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा एलगार परिषद मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआइए को सौंप देना सही नहीं है। लेकिन, राज्य सरकार द्वारा मुकदमा हस्तांतरण का समर्थन करना और ज्यादा गलत बात है।
पवार ने ठाकरे की फोटोग्राफी हुनर की तारीफ की
हालांकि, शनिवार को जलगांव जिले में किसानों की एक रैली को संबोधित करते हुए पवार ने ठाकरे की फोटोग्राफी हुनर की तारीफ की। राकांपा अध्यक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र को एक अच्छा फोटोग्राफर मिला है, जिसने चंद्रकांत पाटिल जैसे बाघ की तस्वीर खींची है। उनका इशारा स्थानीय निर्दलीय उम्मीदवार चंद्रकांत पाटिल की तरफ था, जिन्होंने अक्टूबर 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता एकनाथ खडसे की बेटी को हराया था। इस पर उद्धव ने खडसे का नाम लिए बगैर कहा कि चूंकि यहां चंद्रकांत पाटिल जैसा एक बाघ था, इसलिए हर कोई भाग गया।
उद्धव ने राकांपा प्रमुख को अपना मार्गदर्शक बताया, भाजपा को दी सरकार गिराने की चुनौती
ठाकरे ने पवार को अपना गाइड भी बताया। उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री के तौर पर काम करता हूं, तो लोगों का आशीर्वाद और शरद पवार साहेब का मार्गदर्शन मेरे साथ रहता है। ठाकरे ने विपक्षी दल भाजपा को सरकार गिराने की चुनौती भी दी।
शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार के कदम पर बरसे
ज्ञात रहे कि भीमा कोरेगांव मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआइए को सौंपे जाने को लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार आपत्तिजनक था। मैं चाहता हूं कि इन अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो। भीमा कोरेगांव मामले की जांच को केंद्र सरकार ने एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंप दिया है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार भीमा कोरेगांव मामले को खत्म करने की तैयारी कर रही थी। इस बीच केंद्र सरकार ने मामले को एनआइए को सौंप दिया। इससे महाराष्ट्र सरकार भी गुस्से में है।
राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख का कहना है कि भीमा कोरेगांव केस की जांच महाराष्ट्र सरकार की सहमति के बिना एनआइए को सौंपी जा रही है। इस मामले की जांच एनआइए को सौंपे जाना संविधान के विरुद्ध है और मैं इसकी निंदा करता हूं।