शहीद की मां ने शाह फैसल को सिखाया देशभक्ति का सबक, ट्विटर पर हुई दोनों की बातचीत हो रही है वायरल
फैसल ने अपने जन्मदिन पर किया ट्वीट कश्मीर में सभी युवाओं को 36 की आयु भी नसीब नहीं होती शहीद मेजर अक्षय की मां ने कहा-आपसे कम उम्र के मेरे बेटे व सैनिक जान गंवा रहे।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। नौकरशाही छोड़कर राज्य की सियासत में सक्रिय हुए शाह फैसल को एक शहीद की मां ने देशभक्ति का सबक सिखाया। ट्विटर पर हुई दोनों की बातचीत वायरल हो रही है, जिसके तुरंत बाद फैसल ने ट्वीट किया, 'मैं आपकी पीड़ा समझता हूं, मैंने भी अपने पिता को खोया है। आओ मिलकर यहां मानवता और शांति का संदेश फैलाएं।
दरअसल, फैसल ने अपने जन्मदिन की जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर सार्वजनिक करते हुए एक तंज भरा ट्वीट किया, 'मैं तो आज 36 का हो गया, लेकिन कश्मीर में सभी युवाओं को इतनी आयु नसीब नहीं। फैसल के इस ट्वीट पर नगरोटा में शहीद हुए मेजर अक्षय की मां ने जवाबी ट्वीट कर उनसे कहा आपसे कहीं कम उम्र के मेरे बेटे और उससे भी कम उम्र के अन्य तमाम सैनिक जम्मू-कश्मीर के लोगों की जान की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा रहे हैं। हो सके तो देशभक्ति और शांति का संदेश दीजिए....।
यह जवाबी ट्वीट ट्विटर पर वायरल हो रहा है। अब तक सात हजार लोग इसे लाइक कर चुके हैं। इसके तुरंत बाद फैसल ने शहीद की मां के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा, 'मैं आपकी पीड़ा को समझ सकता हूं। मैंने भी अपने पिता को इसी जंग में गंवाया है। मेरा दिल कश्मीर में हर मौत पर रोता है। हम मिलकर मानवता को बहाल कर इस जगह पर शांति बहाल कर सकते है। दोबारा कभी किसी भी मां-बाप को अपने बच्चों की अर्थी को यहां कंधा न देना पड़े।
ट्विटर पर तीखी प्रतिक्रिया :
शाह फैसल के तंज भरे ट्वीट पर चौकीदार शौर्य श्रीवास्तव ने लिखा, 'इनके तथ्यों ने भी इस्तीफा दे दिया है।
-विक्रम मोहन ने लिखा, '36 साल की उम्र में भारतीय सेना का एक अधिकारी एक बटालियन की कमान संभालते हुए इस मुल्क की सेवा करता है, लेकिन हैरानगी होती है कि आपने सिर्फ सियासत करने के बजाय और क्या किया है।
-बोन डॉक्टर नामक एक ट्वीटराईट ने अपने हैंडल पर शाह फैसल पर तंज कसते हुए लिखा, एक डॉक्टर जो पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टर नहीं बन पाया। यूपीएससी में टॉप करने के बजाय नौकरशाही में कैरियर नहीं बना पाया। वह सियासत को लेकर इतना मग्न है कि उसने अपने जन्मदिन पर सियासत करने का फैसला किया।
-सृष्टि कौल ने लिखा, आपने 36वां जन्मदिन देखा, क्योंकि आपने बंदूक और पत्थर के बजाय पेन थामा। जन्मदिन मुबारक हो।
-राज आनंद ने लिखा, कश्मीर में चार साल की उम्र में ही बच्चों को नफरत और जिहाद सिखाना शुरू कर देते हैं। 18 का होते होते उनमें हूरों से मिलने की इच्छा प्रबल होने लगती है। 25 का होते-होते किसी मुठभेड़ में निपट जाते हैं।
-कमल बादूनी नामक एक महिला ने लिखा, मेरे पति ने जम्मू कश्मीर के लोगों की हिफाजत के लिए 32 साल की उम्र में अपनी जान कुर्बान कर दी। उनका दिल जम्मू कश्मीर के बच्चों की पीड़ा से द्रवित था, लेकिन उन्होंने अपने दो छोटे बच्चों की परवाह नहीं की।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप