Sushant Singh Rajput Case: संजय राउत ने सुशांत मामले में बिहार सरकार पर साधा निशाना, कहा-मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है
Sushant Singh Rajput Case शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि सुशांत के मामले में अगर सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज की है तो यह उनकी मजबूरी है।
मुंबई, एएनआई। Sushant Singh Rajput Case: शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को कहा है कि बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले में अगर सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज की है, तो यह उनकी मजबूरी है। यह केंद्र के अंतर्गत आता है और सरकार की अपनी मजबूरियां हैं। बिहार सरकार ने सिफारिश की, जबकि उसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था। ये मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है, जैसा है। उनके मुताबिक, एफआइआर मुंबई में दर्ज है और मुंबई पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। बिहार में अचानक एफआइआर दर्ज है। इसकी क्या जरूरत है? पुलिस पर कुछ भरोसा रखें। हर पुलिस अपने राज्य में एक प्रतिष्ठा रखती है, अगर आप इसमें हस्तक्षेप करते हैं तो मामला और बिगड़ जाता है।
इससे पहले सुशांत सिंह राजपूत मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा था कि अभिनेता के अपने पिता से रिश्ते अच्छे नहीं थे। उसी पिता को बरगलाकर बिहार में एफआइआर दर्ज कराई गई है। राउत ने यह बात पार्टी मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक स्तंभ में कही है। राउत ने सुशांत व उसके पारिवारिक संबंधों पर टिप्पणी करते हुए सनसनीखेज दावा किया कि पिता द्वारा किया गया दूसरा विवाह उसको स्वीकार नहीं था। इसलिए पिता से उसका भावनात्मक संबंध शेष नहीं बचा था। सुशांत मुंबई में रहता था। इस पूरे दौर में वह कितनी बार पटना गया, पिता व अन्य रिश्तेदारों से कितनी बार मिला, यह तथ्य भी सामने आना चाहिए।
राउत ने सुशांत की दोनों प्रेमिकाओं से अलगाव की बात उठाते हुए सवाल किया है कि अंकिता लोखंडे व रिया चक्रवर्ती, दोनों अभिनेत्रियां उसके जीवन में रह चुकी हैं। अब अंकिता रिया चक्रवर्ती के बारे में अलग बात कर रही है। असल में अंकिता और सुशांत अलग क्यों हुए, इस पर प्रकाश डालने को कोई तैयार नहीं है। इस मामले को राजनीतिक निवेश करार देते हुए राउत लिखते हैं कि सुशांत का मामला कुछ और समय तक मुंबई पुलिस के हाथ में रहा होता, तो आसमान नहीं टूट जाता। राउत के अनुसार, पर्दे के पीछे बहुत कुछ हुआ होगा। लेकिन, जो हुआ उसे महाराष्ट्र के खिलाफ साजिश ही कहा जाना चाहिए। राउत ने सुशांत मामले की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने पर भी सवाल खड़े किए हैं।
उन्होंने लिखा है कि गोधरा दंगों के बाद मोदी-शाह नहीं चाहते थे कि उस मामले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। तब वह मानते थे कि सीबीआइ केंद्रीय सत्ताधारियों का हथियार है। राउत के अनुसार, कई बार देखा गया है कि वह निष्पक्ष नहीं है। जिसकी सरकार केंद्र में होती है, सीबीआइ उसके इशारे पर काम करती है। राउत ने बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के राजनीतिक रुझान एवं उनके चुनाव लड़ने की इच्छा का भी उल्लेख किया है। उन्होंने कहा है कि बिहार के अखबारों के अनुसार, पांडेय वहां की शाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, उनका सेवाकाल अभी छह महीने शेष है, लेकिन वह समय से पहले इस्तीफा देकर चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसी पुलिस से समाज को क्या अपेक्षा रखनी चाहिए?
राउत ने अपने लेख में हालांकि मुंबई पुलिस की काफी तारीफ की है। लेकिन, उन्होंने उसकी कार्यशैली पर कुछ सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस को इस मामले से जुड़ी जानकारी पत्रकारों से साझा करने में कोई हर्ज नहीं था। उनके अनुसार, सिनेमा जगत के जाने-माने लोगों को रोज पूछताछ के लिए बुलाकर गॉसिप को ही बढ़ावा दिया गया। भाजपा नेता व शिवसेना के ही मुख्यमंत्री रह चुके नारायण राणे ने इशारों-इशारों में राज्य सरकार के एक युवा मंत्री का नाम इस मामले से जोड़ा है। राउत के अनुसार, मुंबई पुलिस को इस मामले में पहले ही स्पष्ट कर देना चाहिए था कि इसमें यदि कोई मंत्री या राजनीतिक व्यक्ति शामिल होगा, तो उसका भी बयान दर्ज किया जाएगा।