Madhya Pradesh Assembly By Election 2020: सचिन पायलट मध्य प्रदेश में करेंगे चुनाव प्रचार
Sachin Pilot सचिन पायलट मध्य प्रदेश के उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे। पायलट 27 अक्टूबर को सुबह 11 से शाम चार बजे तक शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के नरवर सतनबारा जोरा व मोरेना में चुनाव सभाओं को संबोधित करेंगे।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Sachin Pilot: राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट मध्य प्रदेश के उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे। पायलट 27 अक्टूबर को सुबह 11 से शाम चार बजे तक शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के नरवर, सतनबारा, जोरा व मोरेना में चुनाव सभाओं को संबोधित करेंगे। इसी दिन शाम को सात बजे ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव सभा को संबोधित करेंगे। पायलट अगले दिन 28 अक्टूबर को गोरमी, नूराबाद, मनबासी में चुनाव सभाओं को संबोधित करने के बाद शाम चार बजे ग्वालियर में मीडिया से बात करेंगे। पायलट का अगले सप्ताह बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने जाने का भी कार्यक्रम है।
इधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहे सियासी संग्राम के चलते 100 दिन से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बिना अपनी टीम के काम कर रहे हैं। डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बने हुए 100 दिन पूरे हो गए हैं। इन 100 दिनों के दौरान डोटासरा पूरे प्रदेश कांग्रेस संगठन में अकेले ही एकमात्र पदाधिकारी रहे हैं। इस अवधि में ब्लॉक से लेकर प्रदेश कार्यकारिणी में एक भी पदाधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पाई है। अग्रिम संगठनों की कार्यकारिणी भी भंग है। गहलोत और पायलट के बीच जुलाई माह में चली सियासी जंग में गत 14 जुलाई को पायलट को अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष दोनों पदों से हटा दिया गया था।
उनकी जगह शिक्षा राज्यमंत्री डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी। उस समय उपजे राजनीतिक हालात के चलते प्रदेश कांग्रेस संगठन की टॉप-टू-बॉटम सभी इकाइयों को तत्काल भंग कर दिया गया था। उसके बाद से डोटासरा ही एकमात्र पदाधिकारी हैं । वे अकेले ही पार्टी संगठन के कामकाज को चला रहे हैं। इस दौरान पंचायत चुनाव संपन्न हो गए और नगर निगम चुनाव चल रहे हैं। इन चुनावों में भी कांग्रेस बिना संगठन पदाधिकारियों के मैदान में उतरी है। वहीं, इस अवधि में कांग्रेस ने कृषि कानूनों के खिलाफ बड़ी मुहिम शुरू की। जयपुर में किसान सम्मेलन भी करवाया, लेकिन पदाधिकारियों के अभाव में प्रदेशभर में पुराने पदाधिकारियों और पार्टी के विधायकों को मौखिक तौर पर जिम्मेदारियां देकर संगठन का काम चलाया जा रहा है।