RSS Chief Mohan Bhagwat : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले- प्रकृति से हम हैं, हमसे प्रकृति नहीं
RSS Chief Dr Mohan Bhagwat संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में अभी जीवन जीने का जो तरीका प्रचलित है वह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रसार में प्रकृति का साथ ही हमें बेहतर माहौल दे सकता है। यह मानना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत का। डॉ. भागवत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए प्रकृति संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकृति कार्यक्रम में वर्चअल बौद्धिक उद्बोधन दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पर्यावरण गतिविधि विभाग एवं हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन की ओर से रविवार को आयोजित प्रकृति वंदन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि वर्तमान में हमारा जीवन जीने का जो तरीका है, वह प्रकृति के अनुकूल नहीं है। प्रकृति का उपभोग करने की मनुष्य की प्रकृति के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इसी कारण अब प्रकृति के संरक्षण की बहुत जरूरत है। सरसंघचालक ने कहा कि प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना हमारी भारतीय संस्कृति-परंपरा का अभिन्न और अनूठा हिस्सा है। प्रकृति से हम हैं, हमसे प्रकृति नहीं है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में अभी जीवन जीने का जो तरीका प्रचलित है, वह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। यह तरीका प्रकृति को जीतकर मनुष्य को जीना सीखाता है, जबकि हमें प्रकृति का पोषण करना है शोषण नहीं। भारत में यह तरीका 2000 वर्षों से प्रचलित है। इस तरह के कार्यक्रम के माध्यम से उस संस्कार को जीवन में पुनर्जीवित करना है और आने वाली पीढ़ी भी सीखे, यह ध्यान रखना है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के संदेश के साथ कार्यकर्ताओं ने परिवार के साथ घरों में की पौधों की पूजा। इस मौके पर सदस्यों ने प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया। पूजन के दौरान कार्यकर्ताओं ने पौधे और वृक्षों को मोली बांधी और मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया। इस मौके पर आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने ऑनलाइन मोहन भागवत का संदेश सुना। उन्होंने अपील की कि इस समय प्रकृति संरक्षण बेहद जरूरी है। इस कार्यक्रम के जरिये आम लोगों को प्रकृति से जुडऩे का संदेश दिया गया।
आरएसएस पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफी जागरूक है। संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत हमेशा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने पर जोर देते रहते हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण व प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। इसके साथ ही भूमि संरक्षण के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव जगाना भी उद्देश्य है। इसके अलावा लोगों को नैतिकता, संस्कार और प्राचीन मूल्यों की ओर फिर से उन्मुख करना है। स्वयंसेवकों ने परिवार के साथ नियत समय पर अपने-अपने घरों में पौधों और वृक्षों का पूजन किया। इस मौके पर तुलसी के पौधे की पूजा की गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पर्यावरण संरक्षण गतिविधि विभाग तथा हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन के आह्वान पर रविवार को पूरे देश में लगभग एक करोड़ परिवार एक साथ एक समय पर अपने घरों में पौधों की पूजा कर रहे है। संघ ने इस कार्यक्रम को प्रकृति वंदन नाम दिया है।