RSS Sangh Samagam: संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, राष्ट्रवाद समाज के लिए ठीक नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रवाद शब्द सीमित करता है तो राष्ट्रीयता विस्तार देती है...
रांची, जासं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रवाद शब्द समाज के लिए ठीक नहीं है। यह शब्द सीमित करता है। वहीं राष्ट्रीयता शब्द विस्तार देता है। वाद शब्द हमेशा स्वार्थ के लिए होता है। स्वार्थ की पूर्ति होते ही मोह भंग हो सकता है, जबकि राष्ट्रीयता से आत्मिक जुड़ाव होता है। रांची में अपने पांच दिवसीय दौरे के दूसरे दिन आइआइएम के सभागार में राज्य के प्रमुख लोगों के साथ बंद कमरे में आयोजित संवाद कार्यक्रम में वे पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे।
सूत्रों के अनुसार बैठक में उपस्थित एक सज्जन ने राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता को लेकर संघ का विचार जानना चाहा। इस पर उन्होंने कहा कि राष्ट्र किसी वाद से नहीं बंधा है। राष्ट्र जैविक शब्द है जबकि राष्ट्रवाद कृत्रिम शब्द है। राष्ट्र में जीवन होता है, वह बीमार पड़ता है, फिर स्वस्थ होता है। जबकि राष्ट्रïवाद का कोई उद्देश्य पूरा होते ही सदैव के लिए समाप्त हो जाता है। इस विषय को उन्होंने उदाहरण देकर भी समझाया। मोहन भागवत ने कहा, वैश्विक स्तर पर कहीं भी ईज्म को ठीक से नहीं देखा जाता है। राजनीतिक विकास के क्रम में वाद को अपना लिया गया।
इससे पूर्व गुरुवार को आरएसएस की ओर से आयोजित संघ समागम में लोगों को संबोधित करते हुए डॉ. मोहन भागवत ने यूके की चर्चा करते हुए कहा कि था कि वहां नेशनलिज्म शब्द को गलत रूप में देखा जाता है। इस शब्द को नाजीवाद, फासीवाद, हिटलरिज्म आदि रूप में देखा जाता है।
जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवरकर उर्फ गुरुजी, आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रहे दीनदयाल उपाध्याय एवं दतोपंत ठेंगड़ी के साहित्य में भी राष्ट्रवाद शब्द कहीं नहीं दिखता है। संघ के प्रचारक और विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री रहे हरेंद्र प्रताप पांडेय ने दैनिक जागरण के संपादकीय पृष्ठ पर छह अप्रैल 2019 को प्रकाशित लेख में भी इस बात का उल्लेख किया था। आरएसएस के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने भी पिछले वर्ष विश्व संवाद केंद्र के एक कार्यक्रम में कहा था कि राष्ट्रवाद शब्द सही नहीं है।