महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार, कांग्रेस श्रेय के लिए कूदी
महाराष्ट्र में मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने के मामले में श्रेय लेने के लिए कांग्रेस भी कूद पड़ी है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महाराष्ट्र में मुस्लिमों को आरक्षण के मुद्दे पर सत्तारूढ़ गठबंधन में मतभेद नजर आने लगे हैं। गठबंधन के दो प्रमुख घटक दलों कांग्रेस और राकांपा ने जहां नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिमों को जल्द पांच फीसद आरक्षण देने की बात कही है। इसका श्रेय लेने के लिए कांग्रेस कूद पड़ी है। वहीं गठबंधन के तीसरे घटक शिवसेना के प्रमुख व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे साफ कहा है कि इस संबंध में सरकार के सामने कोई प्रस्ताव ही नहीं है।
थोरात ने कहा- मूल विचार कांग्रेस के शासनकाल में ही आया
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात ने मंगलवार को यह कहकर मुस्लिम आरक्षण का श्रेय लेने की कोशिश की कि मूल रूप से यह विचार कांग्रेस का रहा है। उनका यह दावा इसलिए तथ्यपूर्ण लगता है, क्योंकि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार आने से ठीक पहले संप्रग सरकार के कार्यकाल में ही पहली बार मुस्लिम आरक्षण का प्रस्ताव लाया गया था। तत्कालीन कांग्रेसनीत सरकार के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण के कार्यकाल के अंतिम दिनों में मराठा आरक्षण के साथ ही मुस्लिमों को आरक्षण देने का अध्यादेश लाया गया था। लेकिन चह्वाण सरकार जाने के बाद न तो उस अध्यादेश के अनुसार मराठों को आरक्षण मिल सका, न ही मुस्लिमों को। संप्रग सरकार जाने के बाद भाजपानीत फड़नवीस सरकार मराठों को आरक्षण देने का प्रस्ताव तो लाई। लेकिन उसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया।
मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस और राकांपा की बयानबाजी
अब शिवसेनानीत सरकार में शामिल तीन में से दो घटक दलों में मुस्लिमों को आरक्षण देने का मुद्दे पर श्रेय लेने की जंग शुरू हो गई है। अल्पसंख्यक विकास मंत्रालय राकांपा के पास है। इसलिए इस विभाग के मंत्री नवाब मलिक ने पहल करते हुए पिछले सप्ताह अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की घोषणा कर दी। कांग्रेस को इस मामले में पिछड़ता देख आज बालासाहब थोरात श्रेय की जंग में कूदते दिखाई दिए। हालांकि शिवसेना अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कह चुके हैं कि अभी तक ऐसा कोई प्रस्ताव उन्हें नहीं प्राप्त हुआ है। शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे भी कह चुके हैं कि मुस्लिम आरक्षण के विषय में तीनों दल मिलकर फैसला करेंगे। शिवसेना मुस्लिमों को शिक्षा में आरक्षण देने पर सहमति जताती रही है। लेकिन अब राकांपा की तरफ से पेश प्रस्ताव उसे भी रास नहीं आ रहा है।
भाजपा कर रही है मुस्लिम आरक्षण का विरोध
संभवत: शिवसेना स्वयं अपने कार्यकाल में मुस्लिमों आरक्षण देने से बचना चाहती है, क्योंकि उसकी प्रबल प्रतिद्वंद्वी भाजपा इसका विरोध कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राकांपा के प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया है कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है। शिवसेना अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में भाजपा को खुद पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाने का मौका नहीं देना चाहती। लेकिन उसके दो साथी दल कांग्रेस और राकांपा सरकार में रहते हुए जल्द से जल्द मुस्लिमों को आरक्षण देकर अपने चुनावी वायदे पर खरा उतरना चाहते हैं, क्योंकि सरकार की अनिश्चितता का डर उन्हें भी सता रहा है।