दुष्यंत चौटाला की पार्टी JJP में 'बगावत' की चिंगारी, MLA रामकुमार गौतम का पद से इस्तीफा
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा में बगावत भड़क गई है। नारनौंद से जजपा के विधायक रामकुमार गौतम ने पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया हैै।
हिसार/चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के उपमुख्यमंंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) में बगावत की चिंगारी भड़क गई है। नारनौंद से JJP के विधायक रामकुमार गौतम ने पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने तीखी बयानबाजी भी की है। इस घटना से JJP में फूट सामने आ गई है। गौतम ने दुष्यंत चौटाला पर भी निशाना साधा है। दूसरी ओर, दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उन्हें रामकुमार गौतम के इस्तीफे के बारे में जानकारी नहीं है। वह यदि नाराज हैं तो मना लेंगे।
नारनौंद विधानसभा सीट पर कैप्टन अभिमन्यु को हराकर विधायक चुने गए रामकुमार गौतम ने अपनी पार्टी जजपा पर बुधवार को जमकर हमला किया। रामकुमार गौतम ने जजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया और पार्टी की स्थिति को लेकर वार किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा, मैंने पार्टी बनाई है। मैंने पार्टी केराष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है और पार्टी नहीं छोड़ी है।
नारनौंद में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम।
गाैतम ने कहा कि वैसे तो मुझे ऑल इंडिया का वाइस प्रेसिडेंट बना रखा था, लेकिन यह पार्टी राष्ट्रीय स्तर की नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्तर की है। जिस दिन MLA का पद छोडूंगा उस दिन पार्टी छोडूंगा। उन्हाेंने कहा कि दुष्यंत चौटाला की पार्टी ने मुझे MLA बनाया है। जाटों का वोट मुझे मिला है, लेकिन दुष्यंत को डिप्टी चीफ मिनिस्टर हमने ही बनाया है। हम नौ विधायकों के सहयोग से ही दुष्यंत डिप्टी चीफ मिनस्टिर बना है, नहीं तो कहां बनने वाला था।
उन्होंने नारनौंद में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लोकसभा चुनाव में उचाना विधानसभा क्षेत्र में बृजेंंद्र सिंह से दुष्यंत की साढ़े 9 हजार वोटों से हार हुई थी। अब हमारे सहयोग से उन्होंने बृजेंद्र सिंह की मां को हराया है। यह पूछे जाने पर कि आपने विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कहा था कि दुष्यंत ने आपको जिताया तो रामकुमार गौतम ने कहा,यह बिल्कुल सही बात है। दुष्यंत की पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने के कारण ही मैं जीत पाया। इससे मुझे जाटों का वोट मिला।
उन्होंने कहा कि मैं जजपा के संस्थापकों में शामिल हूं और पार्टी नहीं छोड़ूंगा। पार्टी में ऐसी कोई स्थिति नहीं आई है कि उसे छोड़ने के बारे में सोचूं। जिस दिन विधायक पद से इस्तीफा दूंगा तभी पार्टी छोडूंगा। लोगों ने मुझे विधायक बनाया है और उनकी भलाई के लिए काम करता रहूंगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जाट बिरादरी अपने से बड़ा नेता किसी को देखना ही नहीं चाहता। मैंने इनको कहा था कि आप हुड्डा के खिलाफ क्यों खड़ा कर रहे हो, बोले कि नहीं तो हुड्डा बन जाएगा। मैंने कहा कि हम तो नहीं जीत रहे और अगर ये जीत जाता तो हमें क्या तकलीफ है।
रामकुमार गौतम ने कहा, इन्होंने कैप्टन अभिमन्यु को लेकर पता कर लिया कि उसको कौन हरा सकता है। उनको पता चला कि रामकुमार गौतम हरा सकता है, इसलिए मुझे खड़ा कर दिया और मुझे विधायक बना दिया।
रामकुमार चौटाला ने इस दौरान बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की जमकर तारीफ की। गौतम ने कहा कि रणजीत का अपना स्थान है। वह चौधरी देवीलाल के बेटे हैं और पहले मंत्री रह चुके हैं। काबिल व पढ़ा-लिखा है । रणजीत कोई इनके (दुष्यंत चौटाला) बनाने से थोड़े ही बना है।
रामकुमार गौतम ने कहा, मुझे मंत्री बनने का दुख नहीं है, लेकिन दुख इस बात का है कि मुझे किसी ने बताया कि इन लोगों ने गुरुग्राम के एक मॉल में मिलकर समझौता कर लिया। उस बात का दर्द है कि क्यों इतने लोग मारे, चुनाव से पहले कर समझौता लेते।
उन्होंने कहा कि पिंडार दोनों छोरों को आशीर्वाद देकर आया था और दुष्यंत के बारे में बोलकर आया था कि ये 36 बिरादरी का नेता बनकर हरियाणा में भविष्य का नेता बनेगा, लेकिन लाइन तो कोई नहीं है। लाइन तो वही पिता और दादा वाली ही है। मेरा बस थोड़े ही है इनकी सोच सुधारने में। अगर मुझे मंत्री बनाते तो बड़ी उड़ान भरते, अब क्या है- अब तो खेल खत्म, पैसा हजम।
रामकुमार गौतम ने दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधते हुए कहा, 11 महकमे लेकर खुद बैठा है। अरे भलेमानस और भी अच्छे विधायक हैं पार्टी में। बता दें कि रामकुमार गौतम भाजपा-जजपा सरकार में मंत्री पद के बड़े दावेदार माने जाते थे। दुष्यंत चौटाला उनको कैबिनेट में शामिल कराने को भी तैयार थे, लेकिन बताया जाता है कि भाजपा इसके लिए राजी नहीं हुई। दूसरी ओर, गौतम द्वारा जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा, मेरी जानकारी में अभी यह नहीं है। यदि इस्तीफा दे दिया है इस मामले को सुलझा लेंगे।