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यूपी से राज्यसभा की खाली दो सीट में से एक पर 24 को मतदान, भाजपा को उम्मीदवार की तलाश

Rajyasabha By Election in UP उत्तर प्रदेश की इस एक सीट पर होने वाले मतदान को लेकर लड़ाई भले ही आसन है लेकिन उम्मीदवार का नाम तय करने की मशक्कत काफी कठिन है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 12:50 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 06:11 PM (IST)
यूपी से राज्यसभा की खाली दो सीट में से एक पर 24 को मतदान, भाजपा को उम्मीदवार की तलाश
यूपी से राज्यसभा की खाली दो सीट में से एक पर 24 को मतदान, भाजपा को उम्मीदवार की तलाश

लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बाद राज्यसभा सदस्य रहे अमर सिंह के निधन से उत्तर प्रदेश के कोटे की 31 में से दो राज्यसभा सीट खाली हैं। निर्वाचन आयोग ने इनमें से बेनी प्रसाद वर्मा के निधन से खाली हुई सीट पर 24 अगस्त को मतदान रखा है। बेनी प्रसाद वर्मा तथा अमर सिंह का कार्यकाल चार जुलाई 2022 तक का है।

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उत्तर प्रदेश की इस एक सीट पर होने वाले मतदान को लेकर लड़ाई भले ही आसन है, लेकिन उम्मीदवार का नाम तय करने की मशक्कत काफी कठिन है। समाजवादी पार्टी के नेता बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद सीट खाली हुई पर किसको राज्यसभा भेजा जाता है यह सवाल बेहद मुश्किल हो गया है। इस एकमात्र सीट पर होने वाले राज्यसभा के उप चुनाव में विधायकों की संख्या को देखते हुए भाजपा के उम्मीदवार की जीत तय है। भाजपा को अब तय करना है कि भाजपा इस सीट पर प्रदेश के किसी नेता को भेजती है या फिर दूसरे राज्य के किसी नेता को यहां से राज्यसभा भेज कर केंद्रीय समायोजन किया जाएगा।

प्रदेश भाजपा के रणनीतिकार मामले में फिलहाल कोई संकेत देने की स्थिति में नहीं हैं। इनका भी यही कहना है कि दिल्ली जिसे तय करे। दिल्ली की राजनीति में फिलहाल संबित पात्रा व शाहनवाज हुसैन का राजनीतिक समायोजन होना बाकी है।  इनके साथ ही भाजपा उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी दावेदार हैं, जिनको तो मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनने की खबरें सोशल मीडिया पर उडऩे के बाद बधाइयां भी मिलने लगी थीं। उनका दावा तो प्रदेश में इस समय गरमाई ब्राह्मण राजनीति के मद्देनजर भी काफी मजबूत हो जा रहा है। यह तय हो रहा है कि किसी ब्राह्मण भेजा जाएगा। इनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के साथ वाराणसी तथा पास के जिलों से कोई नाम हो सकता है।

राज्यसभा की चुनाव प्रक्रिया के अनुसार, उपचुनाव वाली सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार की जीत तय है। इसलिए सबसे बड़ा यह सवाल ही लोगों के बीच चर्चा में है कि भाजपा इस सीट पर प्रदेश के किसी जमीनी नेता को भेजती है अथवा दूसरे राज्य के किसी नेता को यहां से राज्यसभा भेजकर समायोजन करती है। देश में 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश ने विधायकों के संख्याबल पर राज्य के बाहर के नेताओं को उच्च सदन भेजा। इनमें स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर व अरुण जेटली के साथ हरदीप पुरी और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव प्रमुख है। भाजपा ने 2014 के बाद भी बड़ी संख्या में उनको ही राज्यसभा भेजा जो दूसरी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इनमें सपा के संजय सेठ, नीरज शेखर और सुरेंद्र सिंह नागर हैं। इसके साथ भाजपा ने डॉ अनिल अग्रवाल व सकलदीप राजभर को राज्यसभा भेजा। 

नवंबर में फिर खाली होंगी नौ सीट

राज्यसभा में उत्तर प्रदेश से विधायकों का संख्या बल देखते हुए 31 सीट का कोटा है। इनमें से भाजपा के 15, सपा के आठ, बसपा के चार तथा कांग्रेस के दो सदस्य उच्च सदन में हैं। सपा के बेनी प्रसाद वर्मा तथा सपा से निकाले गए अमर सिंह के निधन से दो सीट खाली हैं। 24 अगस्त के बाद इसी वर्ष 25 नवंबर को प्रदेश से नौ सीट खाली हो जाएंगी। इनमें समाजवादी पार्टी के चार, भाजपा व बसपा के दो-दो तथा कांग्रेस के एक सदस्य का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। माना जा रहा है कि नवंबर के अंतिम या फिर दिसंबर में इन नौ सीटों के लिए मतदान होंगे। इनमें से भी आठ पर तो भारतीय जनता पार्टी बाजी मार सकती है, जबकि सपा की 45 विधायक से एक सीट तय है। इसके अलावा कांग्रेस तथा राष्ट्रीय लोकदल की मदद से समाजवादी पार्टी एक और सीट के लिए भी जोर लगा सकती है।


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