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Rajasthan Poltical Crisis: 'कांग्रेस ने बसपा के साथ जो किया उससे जायज है मायावती की पीड़ा'

Rajasthan Poltical Crisis बसपा के सभी 6 विधायक पिछले साल सितंबर में पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। उस समय भी मायावती ने गहलोत की काफी आलोचना की थी।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 09:42 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 09:42 AM (IST)
Rajasthan Poltical Crisis: 'कांग्रेस ने बसपा के साथ जो किया उससे जायज है मायावती की पीड़ा'
Rajasthan Poltical Crisis: 'कांग्रेस ने बसपा के साथ जो किया उससे जायज है मायावती की पीड़ा'

राजस्थान, राज्य ब्यूरो। Rajasthan Poltical Crisis, राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बसपा सुप्रीमो मायावती की मांग पर भाजपा की मिलीजुली प्रतिक्रिया आई है। भाजपा नेताओं का कहना है कि राजस्थान में बसपा के साथ कांग्रेस ने जो किया, उससे मायावती की पीड़ा जायज है। भाजपा फिलहाल राष्ट्रपति शासन की मांग नहीं कर रही है। राजस्थान के सियासी घटनाक्रम के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को यह मांग उठाई थी कि राज्य के मौजूदा हालात को देखते हुए यहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।

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दरअसल बसपा के सभी छह विधायक पिछले वर्ष सितंबर में पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उस समय भी मायावती ने अशोक गहलोत की काफी आलोचना की थी। इससे पहले अपने पिछले कार्यकाल में भी गहलोत इसी तरह बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में ले गए थे। मायावती की मांग के बारे में प्रदेश भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय का विरोध भाजपा ने भी किया था। उस प्रक्रिया को असंवैधानिक भी बताया था। कटारिया के अनुसार बसपा राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन उसके केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा किए बिना उसके विधायकों का कांग्रेस में विलय किया जाना गलत था। जिसकी पीड़ा मायावती को भी है।

वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि हम अभी इस तरह की कोई मांग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी मुश्किल से कोई क्षेत्रीय दल खड़ा होता है और उसके विधायकों को जीत मिलती है। ऐसे में पार्टी के सभी विधायक दूसरे दल में चले जाएं तो पीड़ा स्वाभाविक है।

नहीं गया दिल्ली

पूनिया ने इस खबर को गलत बताया कि वे शनिवार को दिल्ली या मानेसर गए थे और सचिन पायलट से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि न दिल्ली गए और न मानेसर गए। न किसी से मिले। उन्होंने कहा कि मुझे इसकी कोई जरूरत भी नहीं है। मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे पास संगठन के कई काम हैं। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी दिल्ली जाने की खबरों को बेबुनियाद बताया।


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