Rajasthan Political Crisis: बगावत का झंडा उठाने वाले विश्वेंद्र सिंह और बीएल शर्मा ने बदली कई पार्टियां
पिछले दो दशक का इतिहास देखें तो विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा का नाता हमेशा विवादों से रहा। विश्वेंद्र सिंह अब तक तीन और भंवरलाल शर्मा चार बार पार्टियां बदल चुके हैं।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान में पिछले 10 दिन से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम में सचिन पायलट के साथ ही पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और विधायक भंवरलाल शर्मा की चर्चा भी काफी हो रही है । विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा का नाम विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर जारी हुए ऑडियो में आया है। पिछले दो दशक का इतिहास देखें तो विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा का नाता हमेशा विवादों से रहा। विश्वेंद्र सिंह अब तक तीन और भंवरलाल शर्मा चार बार पार्टियां बदल चुके हैं। भरतपुर राजपरिवार के पूर्व सदस्य विश्वेंद्र सिंह दबंग राजनेता के रूप में जाने जाते हैं, भरतपुर जिले के मतदाताओं पर उनकी पकड़ भी है, लेकिन उनकी पटरी किसी भी पार्टी के नेताओं के साथ लंबे समय तक नहीं बैठती है।
विश्वेंद्र सिंह का राजनीतिक सफर
विश्वेंद्र सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत साल 1988 से की और 1989 में जनता दल के टिकट पर भरतपुर से सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए । भाजपा में रहते हुए वे दो बार लोकसभा में पहुंचे । 2008 में वसुंधरा राजे जब पहली बार मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने विश्वेंद्र सिंह को अपना सलाहकार बनाया। हालांकि वसुंधरा राजे के साथ उनकी पटरी लंबे समय तक नहीं बैठी और वे कांग्रेस में शामिल हो गए।
2013 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे, उसके बाद 2018 के चुनाव में निर्वाचित होकर अशोक गहलोत सरकार में पर्यटन मंत्री बने। मंत्री बनने के बाद से ही सार्वजनिक रूप से अपने विभाग के अधिकारियों के खिलाफ बयान देने के कारण कई बार वे विवादों में भी आए। सचिन पायलट से निकटता के चलते सीएम अशोक गहलोत को उनके बयानों को नजरअंदाज करना पड़ा। आखिरकार 10 दिन पहले वे पायलट के साथ बागी हो गए।
भंवरलाल शर्मा का राजनीतिक सफर
वहीं दूसरे असंतुष्ट विधायक भंवरलाल शर्मा 7वीं बार विधानसभा में पहुंचे हैं। सबसे पहले 1985 में लोकदल के टिकट पर चुनाव जीते। उसके बाद जनता दल में शामिल हो गए। 1993 में जनता दल में रहते हुए बागी हो गए। उसके बाद वे भाजपा में शामिल हुए, हालांकि वहां ज्यादा दिन उनकी पटरी नहीं बैठी। भाजपा नेतृत्व ने उन्हे पार्टी से निष्कासित कर दिया।
इसके बाद वे फिर जनता दल में शामिल हुए और तत्कालीन स्व.भैरोंसिंह शेखावत की सरकार को समर्थन दिया। उस समय शेखावत ने शर्मा को इंदिरा गांधी नहर मंत्री बनाया था। 1996 में शेखावत अपना इलाज कराने (क्लीवलैंड) अमेरिका गए तो पीछे से शर्मा ने उनकी सरकार गिराने का प्रयास किया। हालांकि जानकारी मिलते ही शेखावत वापस आ गए और उन्होंने अपनी सरकार बचा ली थी।