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Rajasthan Political Crisis: संख्या बल के गणित और कमजोर दिख रही कड़ियों से रोचक हुआ राजस्थान का सियासी संकट

Rajasthan Political Crisis अभी गहलोत के पास 99 दिख रहे हैं तो भाजपा और सचिन खेने केपास 97 दिख रहे है। यानी देखा जाए तो जादुई आंकड़ा किसी के पास नहीं है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 06:22 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 07:36 AM (IST)
Rajasthan Political Crisis: संख्या बल के गणित और कमजोर दिख रही कड़ियों से रोचक हुआ राजस्थान का सियासी संकट
Rajasthan Political Crisis: संख्या बल के गणित और कमजोर दिख रही कड़ियों से रोचक हुआ राजस्थान का सियासी संकट

जयपुर, मनीष गोधा। Rajasthan Political Crisis: राजस्थान का राजनीतिक संकट अब संख्या बल के गणित और सरकार चला रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व बगावती रुख अपनाए बैठे सचिन पायलट तथा विपक्ष में बैठी भाजपा की कमजोर मानी जा रही कड़ियों के कारण रोचक होता दिख रहा है। फ्लोर टेस्ट की नॉबत आती है तो गहलोत अपने साथी निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों के साथ और भाजपा सचिन पायलट गट के विधायकों के साथ संख्या बल के मामले में लगभग बराबर की स्थिति में हैं। तीन-चार विधयकों का इधर उधर होना भी खेल बदल देगा और ऐसी कमजोर कड़ियां तीनों ही पक्षों में बताई जा रही है।

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राजस्थान के सियासी संकट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने कांग्रेस और अन्य समर्थक विधायकों को लेकर करीब एक महीने से होटलों में बंद हैं। यही स्थिति सचिन पायलट की है, जो अपने समर्थक 19 विधायकों को लेकर गुरुग्राम के होटलों में बंद हैं। अब उसी राह पर भाजपा चल पड़ी है और अपने 12 से ज्यादा विधायकों को गुजरात भेज चुकी है। अन्य पर भी जिला इकाइयों को नजर रखने को कहा गया है और अगले सप्ताह विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले 11 अगस्त को सभी को एक साथ जयपुर बुला कर सत्र तक साथ रखने का फैसला किया जा चुका है।

दरअसल, इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण यह है कि गहलोत खेमा अपने पास 102 विधायक होने का दावा कर रहा है। इन 102 में स्पीकर सीपी जोशी और अस्पताल में भर्ती मंत्री भंवर लाल मेघवाल भी शामिल हैं। स्पीकर उसी स्थिति में वोट देंगे जबकि दोनों खेमे बराबर की स्थिति में हों। वहीं, मेघवाल वोट देने आ नहीं सकते। ऐसे में गहलोत के पास 100 विधायक रह जाते हैं। इन 100 में भी छह बसपा के हैं, जिनके बारे में हाई कोर्ट का फैसला 11 अगस्त को आना है तथा एक माकपा का है। माकपा ने अभी इस पूरे मामले से दूर रहने का मन बनाया हुआ है। ऐसे में इस एक विधायक के बारे में भी गहलोत निश्चित नहीं हो सकते।

उधर, सचिन और भाजपा खेमे को एक माना जाए तो इस खेमे के पास 97 विधायक हैं। जिनमे 75 भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के है, वही 19 सचिन पायलट के हैं तथा 3 वो निर्दलीय हैं, जिन पर सरकार ने विधायक खरीद फरोख्त मामले में केस दर्ज करा दिया। अब फ्लोर टेस्ट होता है तो मंत्री मेघवाल के अस्पताल में होने के कारण 199 की संख्या पर वोटिंग होगी। ऐसे में जादुई आंकड़ा 100 का चाहिए होगा। अभी गहलोत के पास 99 दिख रहे हैं तो भाजपा और सचिन खेने केपास 97 दिख रहे है। यानी देखा जाए तो जादुई आंकड़ा किसी के पास नहीं है और तीन-चार विधायकों का उलटफेर कुछ भी कर देगा।

तीनों खेमों में हैं कमजोर कड़ियां

ऐसे हालात में कमजोर कड़ियों की बात की जाए तो ये तीनों खेमों में है। गहलोत खेमे में दिख रहे 15 से 17 विधायकों की निष्ठा संदेह के घेरे में बताई जा रही है। इनमे से ज्यादातर वो लोग हैं, जो सचिन के करीब एह चुके हैं। वहीं, सचिन के खेमे में तीन-चार विधायक कमजोर माने जा रहे हैं। इनमे से ज्यादातर वो हैं, जो काफी कम अंतर से यानी मुश्किल से चुनाव जीते हैं। इन्हें सदस्यता जाने का डर दिखाया जा रहा है।

उधर, भाजपा की बात करें तो पार्टी को सबसे ज्यादा डर अब तक इस पूरे प्रकरण में चुप्पी साधे रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी विधायकों से हैं। इनकी संख्या अच्छी खासी है। वहीं, कमजोर आर्थिक स्थिति वाले विधायकों पर भी पार्टी नजर रख रही है।


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