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Exclusive Interview: रघुवर बोले, झारखंड नामधारी पार्टियों व अदृश्य शक्तियों को जनता ने नकारा

सीएम रघुवर दास ने लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के हर झूठ का डटकर मुकाबला ही नहीं किया बल्कि जनता को विश्वास दिलाने में भी कामयाब रहे मोदी और उनकी जोड़ी है तो सब मुमकिन है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 10:15 AM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 01:45 PM (IST)
Exclusive Interview: रघुवर बोले, झारखंड नामधारी पार्टियों व अदृश्य शक्तियों को जनता ने नकारा
Exclusive Interview: रघुवर बोले, झारखंड नामधारी पार्टियों व अदृश्य शक्तियों को जनता ने नकारा

रांची, जेएनएन। Raghubar Das - एक तरफ महागठबंधन, एक तरफ मोदी-रघुवर की जोड़ी। एक तरफ ईसाई मिशनरियों की चुनाव के ठीक पहले पर्चेबाजी, आदिवासियों के बीच जल, जंगल और जमीन को लेकर भ्रम फैलाने की साजिश और दूसरी ओर केंद्र और प्रदेश सरकार के बोलते काम। सख्त छवि और सरल हृदय की पहचान रखने वाले झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने महागठबंधन के हर झूठ का डटकर मुकाबला ही नहीं किया, बल्कि वह प्रदेश की जनता को यह विश्वास दिलाने में भी कामयाब रहे, कि मोदी और उनकी जोड़ी है तो झारखंड में सब मुमकिन है।

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नक्सल समस्या का अंत हो सकता है, आदिवासियों के जीवन में खुशहाली आ सकती है, पिछड़े, दलितों, मजदूरों को उनके हक मिल सकते हैं, शहरों-गांवों में मूलभूत सुविधाओं का टोटा खत्म हो सकता है। आम चुनाव में मोदी के साथ-साथ उनकी साढ़े चार साल के कार्यकाल की भी परीक्षा थी। रघुवर उसमें पास तो हुए ही, महागठबंधन को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन अपने गढ़ दुमका में पराजित हो गए। मोदी के प्रति विश्वास और रघुवर की मेहनत का ही परिणाम है कि प्रदेश की जनता ने फिर चौदह में से बारह सीटें उनकी झोली में डाल दीं।

दिल्ली में एनडीए की बैठक में भाग लेकर रांची पहुंचे मुख्यमंत्री देश में प्रचंड जीत से उत्साह से भरे हैं। वह आश्वस्त हैं, छह महीने बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें कोई बड़ी चुनौती नहीं मिलने वाली है। इसके पीछे उनका तर्क है, प्रदेश की झारखंड नामधारी पार्टियों और अदृश्य शक्तियों (धर्मांतरण में जुटी धार्मिक संस्थाएं) को यहां के आदिवासी, जनजातियों ने भलीभांति पहचान लिया है। अब वह उनके छल-प्रपंच, बहकावे में आने वाली नहीं हैं। प्रदेश की मौजूदा राजनीति पर दैनिक जागरण के झारखंड के स्थानीय संपादक प्रदीप शुक्ल ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश:

1. इतनी प्रचंड जीत का श्रेय किसे देना चाहेंगे?

(चेहरे पर मुस्कुराहट तैर जाती है)। कहते हैं, इसका पूरा श्रेय प्रदेश की जनता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जाता है। उनके शासन में विकास के जो काम हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जीरो टालरेंस नीति और आतंकवाद पर रोकथाम, आर्थिक-सामाजिक विकास के साथ-साथ विश्व स्तर पर भारत की छवि को मजबूत किया। केंद्र की मोदी और प्रदेश की उनकी (डबल इंजन) सरकार ने स्वच्छ, ईमानदार, पारदर्शी शासन दिया है। भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म की गई। योजनाएं धरातल पर उतरीं। इसका परिणाम प्रचंड बहुमत के रूप में मिला।

2. आपके खिलाफ महागठबंधन बना। झामुमो, कांग्रेस, झाविमो और राजद एक हुए, फिर भी भाजपा 2014 की अपनी सफलता दुहराने में कामयाब रही, कैसे?

बेबाकी से कहते हैं, ये तो स्वार्थी लोगों का गठबंधन था। राज्य के गठन के बाद से ही इन लोगों ने बारी-बारी से प्रदेश को लूटा है। कांग्रेस ने एक निर्दलीय को मुख्यमंत्री बनाकर चार हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया। प्रदेश की जनता ने चौदह वर्ष तक इन्हें भुगता। कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा..जोड़कर बने इस गठबंधन के पास न तो कोई नीति है और न ही कार्यक्रम। इतने वर्षों सेे ठगी जा रही जनता ने पहली बार एक मजबूत काम करने वाली सरकार को देखा है। इसलिए जनता ने इन्हें पूरी तरह नकार दिया।

3. विपक्ष लगातार जल, जंगल, और जमीन को मुद्दा बना रहा है। इस चुनाव में तो जनता ने इसे ठुकरा दिया है, लेकिन क्या छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा फिर सिर नहीं उठाएगा?

विपक्ष मुद्दाविहीन हैं। झारखंड नामधारी पार्टियां, कांग्रेस तथा राष्ट्रविरोधी अदृश्य शक्तियां  भोले-भाले आदिवासी समाज को जल, जंगल, जमीन के नाम पर उनकी भावनाओं से आज तक खिलवाड़ करते रहे हैं। जनता, खासकर जनजातीय समाज में यह जागृति आई है कि विपक्षी वोट बैंक के लिए इसे उछालते हैं। उनके जीवन में बदलाव आए, इसकी उन्हें कतई चिंता नहीं है।
आदिवासियों, जनजातियों के बच्चे पढ़ें, उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, बिजली मिले, गांव तक पक्की सड़कें बनें इस पर कोई बात नहीं करते। बस हर चुनाव में यही मुद्दा उठाते हैं। इस चुनाव में उन्हें जवाब मिल गया है। साढ़े चार साल में किसी भी आदिवासी की एक इंच जमीन सरकार ने ली हो तो बताएं। उल्टे, जल, जंगल, जमीन की बात करने वाले लोगों ने ही सीएनटी एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर पूरे प्रदेश में अरबों रुपये की जमीन आदिवासियों को बहला-फुसलाकर हथिया ली है।

4. आप चुनाव अभियान में लगातार कहते रहे हैं झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने आदिवासियों की जमीनें लूटी हैं। अब क्या कोई कार्रवाई होगी?

हमारी सरकार किसी के प्रति बदले की भावना से काम नहीं करती है। हेमंत सोरेन हों, या मैं खुद, यदि कोई गलत काम करता है तो कानून के तहत कार्रवाई होगी। कानून अपना काम कर रहा है। आने वाले समय में ऐसे लोग कानून के फंदे में होंगे। हां, जनता शिबू सोरेन परिवार से जरूर एक सवाल पूछना चाहती है, उन्होंने सीएनटी एसपीटी एक्ट का उल्लंघन किया है कि नहीं? इसका जवाब दें। चुनौती देते हुए कहता हूं रघुवर दास ने किसी की एक भी इंच जमीन ली हो तो वह भी बताएं।

5. ईसाई मिशनरियों का आरोप है कि उन्हें काम से रोका जा रहा है? चुनाव में वह भी सक्रिय रहीं, इसमें क्या सच्चाई है?

राज्य किसी एक वर्ग, संप्रदाय के लिए नहीं है। मैं सभी धर्मों, संप्रदायों, परंपराओं का सम्मान करता हूं। संविधान में यह प्रावधान है कि अगर लालच, छल-प्रपंच के जरिए कोई संस्था, संप्रदाय भोले-भाले लोगों का धर्मांतरण करा रहा है तो राज्य इस पर अंकुश लगाने को कानून बना सकती है। बस हमने संविधान के इसी प्रावधान का पालन किया है। इससे किसी को पीड़ा हो रही है तो मुझे कुछ नहीं कहना। धर्म की आड़ में अधर्म नहीं होना चाहिए। देश की आजादी के पहले से यहां संस्थाएं स्कूल, अस्पताल चला रही हैं।
सरकार आज भी उनके काम में कहीं बाधक नहीं है। मिशनरी अल्पसंख्यक स्कूलों को सरकार आज भी सौ फीसद अनुदान दे रही है। चुनाव में बहुत सारी अदृश्य शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। ये वही शक्तियां हैं, जिन्होंने गरीब आदिवासियों का धर्मांतरण करवा उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। उनका कोई विकास तो नहीं हुआ, हां, उनकी संस्कृति, परंपराएं और विरासत जरूर नष्ट हो गई। अब कानून बन गया है। आदिवासियों को बहकाने वाले अब सजा पाएंगे। धार्मिक संस्थाओं को फतवा वगैरह से बचना चाहिए।

6. संताल परगना को झामुमो का गढ़ माना जाता रहा है। दुमका से शिबू सोरेन को हराकर भाजपा ने यह धारणा बदल दी है, ये कैसे हुआ?
ये संताल का दुर्भाग्य रहा है। राज्य के गठन के बाद तीन मुख्यमंत्री संताल ने दिए। गुरु जी (शिबू सोरेन) मुख्यमंत्री के साथ-साथ केंद्र में भी मंत्री रहे, पर इस क्षेत्र का जो विकास होना चाहिए नहीं हुआ। 2014 में जब चुनाव प्रचार के सिलसिले में गांव-गांव, गली-गली घूमा तब कष्ट हुआ। आधारभूत संरचना का घोर अभाव था। दुर्दशा देख बहुत पीड़ा हुई थी, तभी संकल्प ले लिया था कि अगर सरकार बनी तो यहां विकास की गंगा बहाऊंगा। पिछले चार साल में घर-घर बिजली पहुंचाई। गांव की सड़कें बनीं।
लिट्टीपाड़ा विधानसभा से पेयजल योजना शुरू की। आजादी के बाद पहली बार सही मायने में सरकार इन गांवों में पहुंची। संथाल समाज में विकास की भूख जगी है। आदिवासी समाज को अब यह समझ में आ रहा है कि उन्हें गुमराह कर मतपेटियां भरी गईं। संकल्प है, संताल ही नहीं, जहां-जहां जनजातीय समाज है जो वर्षों से विकास की बाट जोह रहे हैं, वहां विकास की गंगा बहाऊंगा। ईमानदारी से काम करिए तो जनता मजदूरी देती है और दुमका सीट वही मजदूरी है।
7. आपकी सरकार के भी साढ़े चार साल हो चुके हैं, ऐसे में एक तरह से यह चुनाव आपके कामकाज की भी परीक्षा थी? परिणाम को आप कैसे देख रहे हैं?
बेलौस कहते हैं, सकारात्मक। पूरे राज्य में लोगों के दिमाग में यह बात गई है, समस्या का समाधान या निदान विकास ही है। वह तेजी से हो, बिना भेदभाव के हो और सभी के लिए हो।
8. क्या यही परिणाम विधानसभा चुनाव में रह सकते हैं या परिस्थितियां बदल सकती है?
लोकसभा चुनाव में मतदाता देशहित को ध्यान में रखकर वोट करते हैं। विधानसभा चुनाव थोड़ा हटकर होते हैं। इसमें राज्यहित प्रमुख मुद्दा होगा। जनता पिछले साढ़े चार साल से डबल इंजन सरकार को देख रही है। जांचा है, परखा है। भरोसा है, जनता छह महीने बाद फिर एनडीए को प्रचंड बहुमत से पदस्थापित करेगी। प्रदेश ने पहले चौदह साल में जो अवसर गवाएं हैं, उन्हें तेजी से पूरा करना है।
9. पूरे चुनाव के केंद्र में गरीब, मजदूर, आदिवासी और वो वंचित तबका रहा है जिसने जीवन में अभी बड़ा बदलाव नहीं आया है? आपकी सरकार इनके लिए क्या करने जा रही है?
मोदी सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं, इन्हीं को केंद्रित करके बनाई गई हैं। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। हर वर्ग, धर्म, संप्रदाय के वंचितों को इनका फायदा मिल रहा है, फिर भी अभी काफी काम करने की जरूरत है। 29 लाख बहनों को गैस और चूल्हा दिया जा चुका है। दिसंबर तक 14 लाख बहनों को और चूल्हा दिया जाएगा। झारखंड ऐसा राज्य है जहां सभी बहनों को मुफ्त चूल्हा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास बनाने की गति और बढ़ाएंगे। शहर हो अथवा गांव सभी बेघरों को मकान देंगे।
विधवा बहनों को राज्य सरकार अपने पैसे से मकान देगी। मतलब, कोई भी बिना छत के नहीं रहेगा। आदिम जनजातियों के गांवों में पाइप लाइन से स्वच्छ पेयजल मुहैया करवाने के लिए योजनाएं बनी है। जून से यह भी धरातल पर दिखने लगेंगी। शहर-गांव के बीच कोई खाई न रहे, इसके लिए गांवों में भी स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही हैं। जून के पहले सप्ताह में संताल परगना से ही इसकी शुरुआत होगी। जिन गांवों में अभी पाइप से पेयजल नहीं पहुंच पाएगा, वहां डीप बोरिंग करवाकर पानी उपलब्ध करवाएंगे।
10. हर चुनाव में किसान बड़ा मुद्दा बनते हैं। इस बार भी थे, किसानों की आय दुगनी कैसे होगी?
मुख्यमंत्री स्वीकारते हैं, हां, किसान को अपने पैरों पर खड़ा करना है। इसके लिए कई योजनाएं भी चल रही है। राज्य में किसानों को प्रति एकड़ पांच हजार रुपये दिए जा रहे हैं। पहली किश्त अगले महीने खाते में पहुंच जाएगी ताकि किसान बरसात से पहले खाद, बीज, कीटनाशक खरीद सके। उन्हें सूदखोरों के पास न जाना पड़े। जुलाई-अगस्त में दूसरी किश्त उनके खाते में पहुंच जाएगी। केंद्र सरकार से प्रतिवर्ष जो छह हजार आने हैं वह अलग। सिर्फ खेती से ही आय नहीं बढ़ेगी, इसलिए पशुपालन, मत्स्य, बकरी और गोपालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
11. फिर भी अभी आय दुगनी तो नहीं हुई है?
खेती के लिए सिंचाई के इंतजाम जरूरी हैं और इसके लिए छोटी-छोटी सिंचाई योजनाएं बनाई गई हैं। इन्हें प्राथमिकता से पूरा किया जा रहा है। पूर्व सरकारों पर कटाक्ष करते हुए बताते हैं, हजारीबाग में एक डैम है जिसमें सिर्फ टनल नहीं बनी थी। इसके चलते हजारों किसानों के खेतों तक सिंचाई का पानी नहीं पहुंच पा रहा था। अब यह काम पूरा हो गया है। इससे तीन जिलों के किसानों को बड़ा फायदा मिलने जा रहा है। सरकार पूरी शिद्दत से जुटी हुई है और इसके परिणाम भी बेहतर आएंगे।
12. पानी भी झारखंड की बड़ी समस्या है? सरकार क्या प्रयास कर रही है?
हमारी सरकार ने इस दिशा में भी गंभीर प्रयास किए हैं। गांवों में हजारों की संख्या में डोभा खुदवाए गए हैं। इसका असर दिख रहा है। अभी दुमका और खूंटी में पांच हजार तलाबों की खुदाई चल रही है। इसके अलावा प्रदेश में सात सौ तालाबों को गहरीकरण कराया जा रहा है। जल की चिंता हमारी सरकार कर रही है।
13. अगले छह महीने की प्राथमिकता क्या है? क्या आपको लगता है प्रचंड बहुमत से सरकार की जिम्मेदारियां और बढ़ गई है? जनता की अपेक्षा कैसे पूरी करेंगे?
(चेहरे पर गंभीरता के भाव उभरते हैं), कहते हैं इस जनादेश ने वाकई हमारी जिम्मेवारी बढ़ा दी है। पूरी तरह प्रतिबद्ध होकर जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए हम कृतसंकल्पित हैं। बिजली, पानी सहित मूलभूत जरूरतों को पूरा करना सरकार का दायित्व है। शहर से लेकर गांव तक समान रूप से विकास की किरणें पहुंचे, यह मेरा संकल्प है और राज्य की सवा तीन करोड़ जनता की भागीदारी से हम इसे पूरा करेंगे। ऐसा मेरा विश्वास है।
कितना-कितना पानी
दैनिक जागरण की ओर से विश्व जल दिवस पर शुरू किए गए कितना-कितना पानी अभियान को राज्य सरकार का साथ मिल गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह लगातार इस अभियान को पढ़ रहे हैं। राज्य सरकार जागरण के साथ मिलकर इस अभियान को जन आंदोलन में तब्दील करेगी। इस अभियान के तहत पूरे प्रदेश में दस हजार स्कूल, कॉलेज में दस हजार जागरण जल सेना का गठन किया जाना है। हर जल सेना में दस-दस बच्चे होंगे। इन बच्चों की जिम्मेदारी होगी, वह अपने आसपास के जल स्रोतों की सुरक्षा के लिए काम करें।
पानी की बर्बादी को रोकने और जल संचयन की दिशा में काम करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बेहतर काम करने वाली जल सेनाओं को पहले जिला स्तर पर फिर राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। गौरतलब है कि इस अभियान के तहत अब तक पूरे राज्य में कई सौ जलसंवाद किए जा चुके हैं, जिनमें करीब चालीस हजार प्रबुद्धजन शामिल हो चुके हैं। इनमें पानी पर चर्चा के साथ-साथ उन्होंने इस दिशा में काम करने की शपथ ली है। प्रदेश के सभी नवनिर्वाचित सांसदों ने भी पानी संकट के निवारण पर प्राथमिकता से काम करने की शपथ ली है। जल संसद में प्रदेश के मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी और जल पुरुष पद्मश्री सिमोन उरांव भी शामिल हुए थे।

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