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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रक्रिया तेज, केंद्र सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि न्यास से मांगा ब्यौरा

राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक चार आवेदन केंद्र सरकार को मिले हैं। पहले रामालय ट्रस्ट ने फिर इस्कान मंदिर महावीर मंदिर पटना और श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने आवेदन किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 10:04 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 10:04 AM (IST)
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रक्रिया तेज, केंद्र सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि न्यास से मांगा ब्यौरा
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रक्रिया तेज, केंद्र सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि न्यास से मांगा ब्यौरा

प्रयागराज, जेएनएन। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रक्रिया तेज हो गई है। मंगलवार को संत सम्मेलन में इस बारे में जानकारी दी गई। केंद्र ने मंदिर आंदोलन से जुड़े श्रीराम मंदिर जन्मभूमि न्यास से पूरा ब्यौरा मांगा है। 

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राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक चार आवेदन केंद्र सरकार को मिले हैं। विहिप के केंद्रीय महामंत्री संगठन दिनेश चंद ने बताया कि पहले रामालय ट्रस्ट ने फिर इस्कान मंदिर और महावीर मंदिर पटना के किशोर कुणाल ने आवेदन किया। इसकी जानकारी हुई तो मंदिर आंदोलन से जुड़े श्रीराम जन्मभूमि न्यास की ओर से भी आवेदन कराया गया। आवेदन के साथ ही मंदिर आंदोलन और तराशे गए पत्थरों, मंदिर का भी मॉडल भेजा गया। इस पर केंद्र सरकार ने कई अहम जानकारी न्यास से मांगी। इसमें मंदिर के स्वरूप से लेकर अब तक कितने रुपये आए, कितने खर्च हुए, शेष बची धनराशि के बारे में भी ब्यौरा शामिल है।

केंद्रीय महामंत्री संगठन ने बताया कि कुल 22 बिंदुओं पर मांगी गई जानकारी केंद्र को भेज दी गई है। बताया कि अब तक 30 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और एक करोड़ रुपये शेष हैं। यह भी बताया कि पुष्कर के पत्थरों को तराशने का काम काफी हो चुका है। सरकार की ओर से जल्द ही इसके सत्यापन के लिए टीम अयोध्या पहुंचेगी।

फिर होगी अयोध्या में कारसेवा

संत सम्मेलन में विहिप ने बताया कि अयोध्या में एक बार फिर कारसेवा होगी। यह कारसेवा राम मंदिर निर्माण के दौरान होगी। देश भर के हिंदुओं को मंदिर निर्माण में श्रमदान का मौका दिया जाएगा। सभी हिंदुओं को इसमें आर्थिक सहयोग का भी अवसर दिया जाएगा। विहिप के केंद्रीय महामंत्री संगठन ने बताया कि उनके पास कई लोगों के ऑफर आए कि मंदिर निर्माण का पूरा खर्च वह उठाना चाहते हैं, मगर उन्हें मना कर दिया गया। शिलापूजन वाले गांवों के साथ अन्य गांवों के लोगों को भी इसके लिए मौका दिया जाएगा।


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