Move to Jagran APP

Bengal: प्रशांत किशोर ने सौंपी रिपोर्ट, उत्तर बंगाल में दिए टीएमसी की वापसी के संकेत

पिछले पांच माह से चुनावी रणनीति बना रहे रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने अपनी पहली रिपोर्ट तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी को सौंप दी है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 05:48 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 05:48 PM (IST)
Bengal: प्रशांत किशोर ने सौंपी रिपोर्ट, उत्तर बंगाल में दिए टीएमसी की वापसी के संकेत
Bengal: प्रशांत किशोर ने सौंपी रिपोर्ट, उत्तर बंगाल में दिए टीएमसी की वापसी के संकेत

कोलकाता, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद चुनावी रणनीतिकार की मदद ले रही तृणमूल के लिए उत्तर बंगाल से खुशखबरी आई है। पिछले पांच माह से चुनावी रणनीति बना रहे रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने अपनी पहली रिपोर्ट तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी को सौंप दी है। पीके की रिपोर्ट में उत्तर बंगाल में तृणमूल की वापसी की बात कही गई है। उत्तर बंगाल की आठ लोक सभा सीटों में से सात पर भाजपा को जीत मिली थी, जबकि एक कांग्रेस के खाते में गई थी।

loksabha election banner

दरअसल, 'दीदी को बोलो' अभियान की समीक्षा के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में स्थानीय स्तर पर लोगों की प्रतिक्रिया और अभियान के दौरान विकास कार्यों को आधार बनाया गया है और इसी के आधार पर पीके द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में उत्तर बंगाल में तृणमूल की वापसी के दावे किए जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने खुद के कार्यो से संबंधित फिलहाल कोई रिपोर्ट पेश नहीं की है।

गौरतलब है कि गत 23 मई को लोकसभा चुनाव का परिणाम सामने आने के बाद से ही तृणमूल खेमे में चिंता की लकीरें खींच गई थी, क्योंकि क्षेत्र की ज्यादातर संसदीय सीटों पर भाजपा को विजय तो तृणमूल व वाम दलों को अविश्वसनीय झटका लगा था। जिससे उबरने व क्षेत्र में तृणमूल की पकड़ मजबूत करने को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसकी जिम्मेदारी सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को सौंपी थी। वहीं जिम्मेदारी मिलने के पांच माह बाद उन्होंने एक रिपोर्ट सौंप ममता को राहत पहुंचाई है।

जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि उत्तर बंगाल में एक बार फिर पार्टी की पकड़ पहले की तुलना में बेहतर हुई है और इसी तरह से राज्य सरकार की ओर से क्षेत्र में विकास कार्य जारी रहे तो आगे विधानसभा चुनाव में तृणमूल की वापसी सुनिश्चित है। हालांकि, लोकसभा चुनाव परिणाम पर गौर करे तो पार्टी कुल 28 विधानसभा क्षेत्रों में से केवल चार पर ही आगे रही थी, जिसमें रायगंज, सीताई, शीतलकुची और चोपड़ा शामिल रहा। अन्य पर भाजपा भारी अंतर से जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी। इधर, इस पराजय के बाद से ही मुख्यमंत्री लगातार इलाकेवार समीक्षा व चूक को इंगित कर संगठनात्मक परिवर्तन के जरिए दोबारा पार्टी में जान फूंकने की कोशिश की और इसके लिए स्थानीय नेताओं को जनसंपर्क में लगने को कहा। साथ ही बताया गया कि गत 29 जुलाई से शुरू हुए जनसंपर्क अभियान 'दीदी को बोलो' से लाभान्वित हुए लोगों ने एक बार फिर से ममता पर भरोसा जताया है।

इस अभियान में विधायक से लेकर पार्षद व ब्लॉक स्तर तक के नेताओं को लगाया गया है, जो नियमित इलाके के लोगों के संपर्क में रहते हैं और उनकी समस्याओं को दूर करने को काम करते हैं। रिपोर्ट की मानें तो जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार की कुल दस विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर पार्टी की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है। वहीं दावा किया जा रहा है कि अलीपुरदुआर के फालाकाटा पर अब जमीन स्तर पर तृणमूल का कब्जा हो गया है। इसके अलावा उत्तर बंगाल के 20 विधानसभा क्षेत्रों में चाय बगान के श्रमिक बहुलता में हैं, जो वर्तमान में गरीबी की मार झेलने को मजबूर है। ऐसे में उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के पक्ष में मतदान किया था और यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने हर विधायक से अनुसूचित जाति व जनजाति की सूची अलग कर सौंपने को कहा है। हालांकि, पीके ने इस सूची को खारिज कर दिया है।

यह भी पढ़ेंः टीएमसी व भाजपा की लड़ाई में ओवैसी के आने से बढ़ी ममता की नाराजगी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.