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CM योगी आदित्यनाथ पुलिस से बेहद नाराज, कानपुर में ASP व CO सहित 11 पुलिसकर्मी निलम्बित

CM Yogi Adityanath बेलगाम अपराध सीएम योगी आदित्यनाथ बेहद नाराज हैं। उनकी नाराजगी का असर कानपुर की एएसपी तथा सीओ के निलम्बन के रूप में हुआ है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 11:58 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 06:08 AM (IST)
CM योगी आदित्यनाथ पुलिस से बेहद नाराज, कानपुर में ASP व CO सहित 11 पुलिसकर्मी निलम्बित
CM योगी आदित्यनाथ पुलिस से बेहद नाराज, कानपुर में ASP व CO सहित 11 पुलिसकर्मी निलम्बित

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के तेवर काफी सख्त हो गए हैं। कानपुर के बिकरू कांड के बाद लैब टेक्नीशियन के अपरहण व हत्या तथा गाजियाबाद में पत्रकार की हत्या के मामलों से सीएम योगी आदित्यनाथ बेहद नाराज हैं। उनकी नाराजगी का असर कानपुर के एएसपी व सीओ सहित 11 पुलिसकर्मी के निलम्बन के रूप में हुआ है। सरकार ने पुलिस कार्रवाई में लापरवाही, अपराधियों के बच निकलने, फिरौती की रकम दिए जाने समेत अन्य बिंदुओं पर जांच एडीजी पुलिस मुख्यालय बीपी जोगदंड को सौंपी है। एडीजी ने कानपुर पहुंचकर अपनी जांच शुरू कर दी है। 

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर में युवक संजीत की अपहरण के बाद हत्या के मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आने पर कड़ी कार्रवाई की है। शासन ने कानपुर नगर में तैनात 2015 बैच की आईपीएस अधिकारी अपर्णा गुप्ता और तत्कालीन सीओ गोविंदनगर मनोज गुप्ता समेत 11 पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर दिया है। अपर्णा गुप्ता कानपुर नगर में एएसपी दक्षिण के पद पर तैनात थीं और अपहरण कांड में उनकी भूमिका पर भी सवाल उठे थे। संजीत अपहरण कांड के पर्यवेक्षण में लापरवाही के चलते एएसपी अपर्णा गुप्ता तथा तत्कालीन सीओ गोविंदनगर मनोज गुप्ता के निलम्बन का निर्णय लिया गया।

कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की दुस्साहसिक वारदात के बाद युवक के अपहरण की घटना को लेकर विपक्ष ने कानून-व्यवस्था पर तीखा हमला बोला था। इसके बाद सरकार डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। कानपुर में पैथोलॉजी कर्मी संजीत यादव का अपहरण 22 जून को हुआ था। पुलिस ने इस मामले में बदमाशों को परिवार से फिरौती की रकम भी दिलवाई थी, लेकिन उन्हें दबोच नहीं सकी थी। बदमाशों ने संजीत की हत्या कर उसका शव नदी में फेंक दिया था। शासन के निर्देश पर कानपुर के बर्रा थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक रणजीत राय, चौकी प्रभारी राजेश कुमार के अलावा उपनिरीक्षक योगेंद्र प्रताप सिंह, आरक्षी अवधेश, दिषु भारती, विनोद कुमार, सौरभ पाण्डेय, आरक्षी मनीष व शिव प्रताप को निलम्बित किया गया है।

दूसरी ओर गाजियाबाद में पत्रकार की हत्या को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। सीतापुर व कौशांबी समेत कुछ अन्य जिलों की पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठे हैं। मुख्यमंत्री ने कई पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी भी जताई है। माना जा रहा है कि अपहरण कांड के बाद अन्य लापरवाह पुलिस अधिकारियों व कर्मियों पर भी जल्द कार्रवाई की तैयारी है। 

सीएम योगी आदित्यनाथ के तमाम प्रयास के बाद भी बेलगाम होते अपराध के मद्देनजर पुलिस के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। कानपुर बर्रा कांड में शुरुआती कार्रवाई के तहत एएसपी अपर्णा गुप्ता और सीओ मनोज गुप्ता निलम्बित कर दिया गया है। एडीजी पीएचक्यू बीपी जोगदंड को जांच सौंपी गई है। निलम्बित पुलिसकर्मियों में एक आइपीएस अधिकारी (एएसपी), एक पीपीएस अधिकारी (सीओ), एक निरीक्षक, दो उप निरीक्षक तथा पांच सिपाही हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ की पुलिस अफसरों पर यह बड़ी कार्रवाई है।

इसमें आइपीएस अफसर अपर्णा गुप्ता कानपुर नगर में एएसपी दक्षिण के पद पर हैं जबकि पीपीएस अफसर मनोज गुप्ता सीओ बर्रा के पद पर तैनात हैं। इनके अलावा कानपुर में संजीत यादव के अपहरण के मामले में हटाए गए पूर्व प्रभारी निरीक्षक थाना बर्रा रणजीत राय और चौकी इंचार्ज राजेश कुमार को भी निलम्बित कर दिया गया है। इसके बाद बर्रा थाना के उप निरीक्षक योगेंद्र प्रताप सिंह और आरक्षी अवधेश, सौरभ पाण्डेय, विनोद कुमार, मनीष व शिव प्रताप को भी निलम्बित किया गया है। एडीजी बीपी जोगदंड अब कानपुर में अपहरण के बाद हत्या तथा फिरौती की जांच करेंगे। उनको तत्काल प्रयागराज से कानपुर पहुंचने का निर्देश जारी किया गया है।

उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के मामले में कोई भी समझौता न करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ के तेवर शुक्रवार को सीएम आवास पर कोरोना वायरस की समीक्षा बैठक के दौरान ही दिख गए थे। पुलिस तथा अपराधियों के बीच सांठगांठ के कई मामले सामने आने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ का पारा चढ़ा है। उनके तेवर देखकर अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रदेश के पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल जल्दी हो सकता है। इसके साथ ही गाजियाबाद, सीतापुर तथा कौशांबी में लापरवाही बरतने के दोषी पुलिस वालों के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई तय है।

कानपुर में उत्तर प्रदेश पुलिस के नाम एक और कलंक लग गया है। यहां से अपहृत लैब टेक्नीशियन की हत्या से सरकार की किरकिरी होने लगी है। यहां पर पुलिस ने अपहृत लैब टेक्नीशियन के घर वालों से अपहरणकर्ता को 30 लाख रुपये भी दिलवा दिए, लेकिन अपहरणकर्ता भाग निकले। कानपुर में विकास दुबे के केस के बाद यह मामला काफी संगीन हो गया है। 

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