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Bihar Assembly Elections 2020 : मिथिलांचल की धरती पर चढ़ा सियासी रंग, पार्टियां जनमानस की थाह ले रहीं

Bihar Assembly Elections 2020 वर्तमान गठबंधन के अनुसार मधुबनी में एनडीए व महागठबंधन को पांच-पांच सीटें । बदल चुके हैं वर्ष 2015 के राजनीतिक समीकरण।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 03:10 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 03:10 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : मिथिलांचल की धरती पर चढ़ा सियासी रंग, पार्टियां जनमानस की थाह ले रहीं
Bihar Assembly Elections 2020 : मिथिलांचल की धरती पर चढ़ा सियासी रंग, पार्टियां जनमानस की थाह ले रहीं

मधुबनी, [राजीव रंजन झा] । मिथिलांचल की सांस्कृतिक विरासत समेटे मधुबनी का राजनीतिक पारा चढ़ चुका है। कोरोना संक्रमण के बीच हर दिन चौक-चौराहों और गांव के नुक्कड़ पर सियासी समीकरण बनते-बिगड़ते। फिलहाल, वर्चुअल और एक्चुअल में पार्टियां जनमानस की थाह ले रहीं।

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एनडीए व महागठबंधन में बराबरी

10 विधानसभा सीटों वाले मधुबनी में वर्तमान गठबंधन के अनुसार एनडीए व महागठबंधन बराबरी पर हैं। दोनों के खाते में पांच-पांच सीटें हैं। महागठबंधन के खाते में झंझारपुर, मधुबनी, बिस्फी, खजौली और बेनीपट्टी सीटें हैं। वहीं, एनडीए के खाते में हरलाखी, बाबूबरही, राजनगर, फुलपरास और लौकहा हैं। लेकिन, यह तस्वीर 2015 के समीकरण की है, जिसमें गठबंधन की कहानी और उसकी पृष्ठभूमि बदली हुई थी। कहानी का प्लॉट एक बार फिर बदल चुका है।

पिछले चुनाव में सबसे अधिक सीटें राजद को

पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से राजद को जिले में सबसे अधिक सीटें मिली थीं। वह कुल 10 में से चार सीटों पर काबिज रहा। गठबंधन में सहयोगी रहे जदयू के खाते में तीन सीटें आई थीं। भाजपा को केवल एक सीट मिली थी, जबकि कांग्रेस और रालोसपा के खाते में भी एक-एक सीट गई थी।

2015 में राजद ने खजौली, बिस्फी, झंझारपुर व मधुबनी सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं, जदयू ने बाबूबरही, फुलपरास व लौकहा और कांग्रेस ने बेनीपट्टी से जीत दर्ज की। राजनगर से भाजपा व हरलाखी से रालोसपा ने जीत दर्ज की। लोजपा को बाबूबरही में हार का सामना करना पड़ा था।

बदले समीकरण की दिख रही झलक

2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन का स्वरूप बदल चुका था। जदयू एकबार फिर एनडीए का हिस्सा है। इससे यहां का चुनावी समीकरण भी बदला नजर आएगा। इसकी झलक भी दिखनी शुरू हो गई है। रालोसपा के टिकट पर हरलाखी सीट से जीतने वाले सुधांशु शेखर अब जदयू में शामिल हो चुके हैं। जदयू के एनडीए में शामिल होने का सबसे बड़ा परिणाम यह हुआ कि अब तक जिले में केवल एक सीट जीतने की उम्मीद करने वाला एनडीए अब पांच सीटों पर काबिज नजर आ रहा। हालांकि, सीटों को लेकर एनडीए में ज्यादा पेच नजर नहीं आ रहा। पिछली बार एकमात्र राजनगर से जीतनेवाली भाजपा और बाबूबरही में हार का सामना करनेवाली लोजपा को जितनी सीटें मिलें, बढ़त ही होंगी।

एक सीट से आगे सोच रही कांग्रेस

कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद और बेनीपट्टी विधायक भावना झा को निलंबन मुक्त करने का निर्णय लिया है, इसका असर चुनाव में देखने को मिल सकता है। राजद भी जमीनी स्तर पर तैयारी में जुटा है। वह 2015 में जीती सभी सीटों खजौली, बिस्फी, झंझारपुर व मधुबनी पर दावेदारी जता रहा। साथ ही, जदयू की सीट पर भी उसकी नजर है। हालांकि, कांग्रेस और रालोसपा के महागठबंधन में रहने से एकतरफा निर्णय संभव नहीं दिखता। कांग्रेस भी एक सीट से आगे की सोच रही है। रालोसपा के लिए भी सीट निकालनी होगी।  


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