Gujarat: जयशंकर प्रसाद व जुगल जी ठाकोर के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
Petition Challenging Election. विदेश मंत्री जयशंकर व जुगलजी ठाकोर ने नवंबर 2019 में एक शपथ पत्र पेश कर कांग्रेस उम्मीदवारों की याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी।
अहमदाबाद, जेएनएन। Petition Challenging Election. विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद व राज्यसभा सदस्य जुगल जी ठाकोर के राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेताओं की याचिका गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। राज्यसभा के लिए कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार सहित नेता विपक्ष परेश धनाणी ने भी चुनाव आयोग को दो सीटों के अलग-अलग चुनाव कराने के फैसले को चुनौती दी थी।
गुजरात हाईकोर्ट की न्यायाधीश बेला त्रिवेदी ने मंगलवार को राज्यसभा के भाजपा उम्मीदवार एस जयशंकर प्रसाद के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार गौरव पंड्या तथा भाजपा के जुगलजी ठाकोर के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रीका चूडास्मा सहित नेता विपक्ष परेश धनाणी की याचिका को खारिज करते हुए जयशंकर व जुगलजी के निर्वाचन को वैध माना है।
कांग्रेस का आरोप था कि चुनाव आयोग ने राज्यसभा की दो सीटों के लिए जुलाई 2019 में हुए चुनाव में दो सीटों के अलग-अलग चुनाव कराए, जिससे सत्तााधारी दल के पास बहुमत होने के कारण दोनों सीटों पर उनके उम्मीदवार की जीत हुई।
विदेश मंत्री जयशंकर व जुगलजी ठाकोर ने नवंबर 2019 में एक शपथ पत्र पेश कर कांग्रेस उम्मीदवारों की याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी। उनका कहना था कि चुनाव आयोग ने आयोग के नीति नियमों की पालना करते हुए ही चुनाव संपन्न कराए हैं। इस चुनाव में कहीं भी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने उनकी तथा चुनाव आयोग की दलील को वैध मानते हुए कांग्रेस नेताओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि पंचमहल जिले की मोरवा हडफ विधानसभा से 2017 में विधायक चुने गए भूपेंद्र सिंह खांट की विधानसभा की सदस्यता मई 2019 में विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनका प्रमाण पत्र मान्य नहीं है। राज्य के आदिवासी विकास आयुक्त ने बताया कि खांट की माता अनुसूचित जनजाति से आती हैं, जबकि पिता ओबीसी समुदाय के हैं, इसलिए भूपेंद्र खांट का अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र मान्य नहीं है। भूपेंद्र सिंह बताते हैं कि पिता ने मां को छो़ड़ दिया था।
उनका जन्म मां के पीहर में हुआ तथा लालन--पालन व स्कूली शिक्षा भी वहीं पर पूरी की। सरकार के नए परिपत्र ने भूपेंद्र की उम्मीद को जगा दिया है। फिलहाल उनका मामला गुजरात उच्च न्यायालय में विचाराधीन है तथा पांच फरवरी को इस पर सुनवाई होनी है।