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Bihar Assembly Elections 2020 : भाजपा की हैट्रिक वाले ट्रैकों पर आसान नहीं विपक्षी राजनीतिक दलों की बल्लेबाजी

Bihar Assembly Elections 2020 रक्सौल सुगौली और मोतिहारी सीट पर भाजपा एक दशक से अधिक समय से काबिज। जमे बल्लेबाजों को आउट करने के लिए विपक्षी खोज रहे अनुभवी गेंदबाज।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 09:49 AM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 01:45 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : भाजपा की हैट्रिक वाले ट्रैकों पर आसान नहीं विपक्षी राजनीतिक दलों की बल्लेबाजी
Bihar Assembly Elections 2020 : भाजपा की हैट्रिक वाले ट्रैकों पर आसान नहीं विपक्षी राजनीतिक दलों की बल्लेबाजी

पूर्वी चंपारण, [अनिल तिवारी] । Bihar Assembly Elections 2020 : पूर्वी चंपारण जिले की तीन ऐसी विधानसभा सीट, जहां भाजपा की हैट्रिक हो चुकी है। जनता के साथ विश्वास के तीनों ट्रैकों (सीटों) पर भाजपा प्रतिनिधि पिछले एक दशक से ज्यादा समय से नाबाद रन बटोरे जा रहे हैं। रक्सौल, सुगौली और मोतिहारी तीनों सीट पर भाजपा का सीधा मुकाबला राजद से ही रहा है। 

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मंत्रीपद पाने में भी मिली सफलता

रक्सौल से भाजपा के विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह, सुगौली के विधायक रामचंद्र सहनी और मोतिहारी के विधायक प्रमोद कुमार अपनी-अपनी सीट बचाते रहे हैं। सुगौली विधायक हैट्रिक की बदौलत राज्य मंत्री मंडल में भी जगह बना चुके हैं। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का कामकाज देखने के बाद खनन विभाग का काम संभाल चुके हैं। मोतिहारी से विधायक प्रमोद कुमार पर्यटन मंत्रालय का जिम्मा संभालने के बाद अब कला, संस्कृति एवं युवा विभाग देख रहे हैं। सुगौली विधायक रामचंद्र की उम्मीदवारी पर उम्र भारी है। ऐसे में इस बार वे मैदान में आएंगे कि नहीं, स्पष्ट नहीं है। क्षेत्र में भी कई चेहरे पार्टी से अपनी दावेदारी दिखा रहे हैं।

इधर, मोतिहारी और रक्सौल में जिस प्रकार की स्थिति है, वैसे में इन दोनों के मुकाबले कौन कहां टिकता है, कहना मुश्किल है। फिलहाल, इन सीटों पर जमे-जमाए बल्लेबाजों को आउट करने के लिए विपक्षी दल अनुभवी गेंदबाजों की खोज में जुटे हैं।  गौरतलब है कि चुनाव आयोग की ओर से तय समय से विधानसभा चुनाव कराए जाने की घोषणा के बाद बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। यूं तो दोनों प्रमुख गठबंधन की आेर से सीटों के बंटवारे की घोषणा नहीं की गई है लेकिन, एक सहमति जो बन रही है उस आधार पर सभी ने प्रचार-प्रसार का काम आरंभ कर दिया है। जिससे माहौल उसके पक्ष में हो सके। सबकी कोशिश फिलहाल तो यही दिख रही है। मांझी के पाला बदलने के बाद समीकरण थोड़ा उलझा जरूर है।


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