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UP By Election 2020: नतीजों से जमीन तलाशेंगे विपक्षी दल, सपा को मुख्य प्रतिद्वंद्वी बनने की आस

UP By Election 2020 उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों से भारी बहुमत वाली योगी सरकार पर कोई खास असर भले न पड़े लेकिन विपक्ष की राजनीतिक दशा और दिशा जरूर प्रभावित होगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 09:23 PM (IST)Updated: Mon, 09 Nov 2020 07:07 AM (IST)
UP By Election 2020: नतीजों से जमीन तलाशेंगे विपक्षी दल, सपा को मुख्य प्रतिद्वंद्वी बनने की आस
यूपी में विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से विपक्ष की राजनीतिक दशा और दिशा प्रभावित होगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों से भारी बहुमत वाली योगी सरकार पर कोई खास असर भले न पड़े, लेकिन विपक्ष की राजनीतिक दशा और दिशा जरूर प्रभावित होगी। गठबंधन की संभावनाओं और वोटबैंक के समीकरण की परख भी होगी। मुस्लिम वोटरों का रुझान भी आंका जा सकेगा। वहीं दलित वोटों में सेंध लगाने की कोशिशों का परिणाम भी आएगा। राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देशन में नए प्रयोगों के साथ उपचुनाव में उतरी कांग्रेस के दमखम का भी पता चलेगा।

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उत्तर प्रदेश में विधानसभा की जिन सात सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से जौनपुर की मल्हनी को छोड़कर अन्य छह भाजपा के कब्जे में थीं। अयोध्या में राममंदिर का निर्माण आरंभ होने और कोरोना संकटकाल में चलायी गयी विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी भाजपा को जनमत का इंतजार है। हालांकि जिन सात सीटों पर उपचुनाव हुआ, उनमें मल्हनी के अलावा उन्नाव की बांगरमऊ और अमरोहा की नौगावां सादात को भी भाजपा की मुश्किल सीटों में गिना जाता है। इसके बावजूद भाजपाई चार से पांच सीटों पर जीत पक्की मानकर चल रहे हैं।

अकेले दम पर साइकिल की राह भी आसान नहीं : उपचुनावों का परिणाम मंगलवार को सबके सामने होगा परंतु वोटरों के रुझान को देखते हुए अकेले दम समाजवादी पाटी भी भारतीय जनता पार्टी को रोकने में सक्षम नहीं दिख रही है। खासतौर पर कांग्रेस के पक्ष में जिस तरह से बांगरमऊ और घाटमपुर में मतदाताओं का रुझान देखने को मिला, उससे बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस में मतदान से पूर्व हुई बगावत का समाजवादी पाटी को उतना लाभ नहीं दिखा जितना सपाइयों को भरोसा था। बसपा में सात विधायकों के बागी होने और उसे भाजपा की 'बी' टीम प्रचारित करने के बावजूद बुलंदशहर सीट पर मुस्लिमों की पहली पसंद हाथी ही था। नौगावां सादात में मुस्लिम वोटर बंटे और बांगरमऊ में कांग्रेस के पंजे का बटन दबाता भी दिखा।

रालोद के लिए संजीवनी नहीं बन पा रहा सपा गठबंधन : पिछले लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी से किया गठबंधन राष्ट्रीय लोकदल के लिए फलदायी होता नहीं दिखा। रालोद के खाते में बुलंदशहर सीट थी। समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बावजूद मुस्लिम वोटरों की पसंद रालोद की बजाय बसपा बनी थी। ऐसे में रालोद में सपा से गठबंधन पर सवाल उठना स्वाभाविक है।


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