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यूपी भाजपा की टीम से होगी एक तिहाई चेहरों की छुट्टी, जातीय संतुलन के साथ युवाओं को वरीयता

मिशन-2022 की खातिर तैयार हो रही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंंत्र देव सिंह की टीम में जातीय संतुलन साधने के साथ युवा चेहरों को तरजीह दी जाएगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 11:39 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 07:44 AM (IST)
यूपी भाजपा की टीम से होगी एक तिहाई चेहरों की छुट्टी, जातीय संतुलन के साथ युवाओं को वरीयता
यूपी भाजपा की टीम से होगी एक तिहाई चेहरों की छुट्टी, जातीय संतुलन के साथ युवाओं को वरीयता

लखनऊ, जेएनएन। जिला कमेटियों का गठन पूरा होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की उत्तर प्रदेश कमेटी के लिए पदाधिकारियों की छानबीन आरंभ हो गई है। मिशन-2022 की खातिर तैयार हो रही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंंत्र देव सिंह की टीम में जातीय संतुलन साधने के साथ युवा चेहरों को तरजीह दी जाएगी। वहीं, मौजूदा टीम के एक तिहाई चेहरों की छुट्टी भी तय मानी जा रही है।

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संगठनात्मक कार्यों के माहिर माने जाने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के लिए अपनी टीम गठित करना आसान नहीं होगा। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को साधने के अलावा नई टीम के सामने बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है। विधान परिषद के स्नातक व शिक्षक क्षेत्र की 11 सीटों पर निर्वाचन के अलावा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी इसी टीम को ही कराना होगा।

सूत्रों का कहना है कि एक व्यक्ति, एक पद फार्मूले के आधार पर अनेक बड़े नाम नई कमेटी में शामिल नहीं हो पाएंगे। उपाध्यक्ष संजीव बालियान, बीएल वर्मा, नवाब सिंह नागर, जेपीएस राठौर व कांता कर्दम की कुर्सी बचे रहना आसान न होगा। भाजपा के दो प्रदेश महामंत्री अब योगी सरकार में मंत्री बन चुके है। अशोक कटारिया व नीलिमा कटियार का संगठन में बने रहना मुमकिन न होगा।

प्रदेश मंत्रियों में से अनूप गुप्ता, सुब्र्रत पाठक, संतोष सिंह, अमरपाल मौर्य, देवेंद्र सिंह, वाईपी सिंह व त्रयंबक त्रिपाठी की तरक्की होने की उम्मीद जताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस माह के अंत तक प्रदेश कमेटी के साथ क्षेत्रीय अध्यक्षों व मोर्चा अध्यक्षों की घोषणा भी होगी। मौजूदा क्षेत्रीय और मोर्चा अध्यक्षों में से आधा दर्जन को प्रदेश कमेटी में शामिल किए जाने की चर्चा है।

जिलों में पिछड़ों का पलड़ा भारी

भाजपा संगठन की 98 जिला व महानगर इकाइयां गठित कर दी गई हैं। इनमें जातीय संतुलन साधने के साथ महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है। पिछड़े वर्ग को 40-50 फीसद तक हिस्सेदारी दी गई है। युवाओं को भी पर्याप्त महत्व दिया है। अधिकतर जिला कमेटियों में कार्यकारिणी सदस्यों के नामों की घोषणा अभी अटकी है। इसका निर्णय क्षेत्रीय स्तर पर होगा। प्रत्येक जिले से क्षेत्र व प्रदेश कमेटी के लिए नाम मांगेे जा चुके हैं। जिलों में नियुक्त प्रवासियों ने स्थानीय प्रमुख कार्यकर्ताओं, नेताओं व आरएसएस पदाधिकारियों से चर्चा करने के बाद 50 नामों की सूची प्रदेश कार्यालय में प्रेषित की थी।


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