राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस में आधा अनार, अनगिनत दावेदार
27 विधायकों और राजद के बचे हुए नौ वोटों के सहारे अपने लिए एक सीट निकालने की उम्मीद लगाए कांग्रेस के सामने पहली चुनौती एकजुट रहने की है।
पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार से रिक्त हुई राज्यसभा की छह सीटों में से कांग्रेस के खाते में एक भी सीट पूरी तरह जाती नहीं दिख रही है, किंतु दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 27 विधायकों और राजद के बचे हुए नौ वोटों के सहारे अपने लिए एक सीट निकालने की उम्मीद लगाए कांग्रेस के सामने पहली चुनौती एकजुट रहने की है, क्योंकि जितने दावेदारों के नाम आ रहे हैं, कांग्रेस में उतने ही खेमे भी नजर आने लगे हैं।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के दल और दिल बदलने के बाद से ही कांग्रेस की कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव बढ़ गया है। राज्यसभा की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा, जदयू और राजद जैसे बड़े दलों में भी उतना घमासान नहीं है, जितना कांग्रेस में है। भाजपा ने अपने हिस्से का उम्मीदवार तय भी कर लिया है।
जदयू और राजद में प्रत्याशियों के चयन की औपचारिकता भी पूरी कर ली गई है। सिर्फ एलान करना बाकी है, किंतु कांग्रेस की स्थिति अभी तक साफ नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी कई मर्तबा दिल्ली की दौड़ भी लगा चुके हैं।
कहा जा रहा है कि कादरी जितनी बार दिल्ली जाते हैं, दावेदारों की संख्या में उतना ही इजाफा हो जाता है। राहुल गांधी से अबकी हुई मुलाकात में उन्होंने राजद के सहयोग की सीमा, बगावत की आशंकाओं, संभावनाओं और दावेदारों की प्राथमिकता के बारे में आलाकमान को विस्तार से बता दिया है।
कादरी के मुताबिक राज्यसभा चुनाव में सबकुछ केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा, लेकिन इतना तय है कि समर्पित कार्यकर्ताओं को तरजीह मिलेगी। उन्होंने किसी बाहरी प्रत्याशी की संभावना से इनकार किया और पार्टी की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि जिन्होंने संगठन को समय दिया है, उन्हें मौका मिलना चाहिए।
अभी ये हैं दावेदार
कांग्रेस का अभी बिहार से राज्यसभा में एक भी नुमाइंदा नहीं है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद से करीबी संबंध के कारण अखिलेश प्रसाद सिंह इस दौड़ में अभी आगे चल रहे हैं। लाइन में पूर्व स्पीकर मीरा कुमार, पूर्व मंत्री डॉ. शकील अहमद, सीपी जोशी, जनार्दन द्विवेदी को भी मजबूत दावेदार बताया जा रहा है। दावेदारों में अभिषेक मनु सिंघवी का नाम भी जुड़ गया है। राजीव शुक्ला की चर्चा तो चल ही रही है। उनके हाल के बिहार दौरे एवं प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है।
अशोक के इरादे कर रहे परेशान
पार्टी छोड़कर जदयू में शामिल हुए अशोक चौधरी के खतरनाक इरादे से कांग्रेस सकते में है। कुछ विधायकों के क्रॉस वोटिंग की आशंका प्रबल है। कहा जा रहा है कि बगावत पर उतारू विधायकों को अभी इंतजार करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि इस बात को कादरी पूरी तरह खारिज करते हैं, लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा में किसी की इंट्री तभी संभव होगी जब पार्टी एकजुट बनी रहे।
भाजपा के अतिरिक्त वोट से खतरा
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी दिक्कत राजग का सरप्लस वोट है। भाजपा के पास एक सीट पर जीत पक्की करने के बाद 17 अतिरिक्त वोट हैं। सहयोगी दलों के चार और अन्य चार निर्दलीय विधायकों को मिलाकर संख्या बल 25 पहुंच जाता है। कांग्रेस के लिए यही सबसे बड़ा खतरा है। ऐन वक्त पर अशोक चौधरी के समर्थन के बाद से भाजपा की नजर दूसरी सीट पर भी टिक गई है। जरूरी वोटों के जुगाड़ के लिए राजग का ध्यान पूरी तरह कांग्रेसी विधायकों पर है। यदि वे क्रॉस वोटिंग कर देते हैं तो एनडीए को एक सीट का फायदा हो सकता है।