अब IIM लखनऊ ने औद्योगिक विकास के लिए लगाई योगी सरकार के अधिकारियों की पाठशाला
यूपी की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर बनाने का सीएम योगी आदित्यनाथ का लक्ष्य पूरा हो जाए इसी पाठ्यक्रम पर अफसरों की दो दिवसीय क्लास आईआईएम में शुरू हुई है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रियों और आला अधिकारियों को तीन चरणों में 'गुड गवर्नेंस' का पाठ पढ़ा चुके भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) ने अब औद्योगिक विकास के लिए पाठशाला लगाई है, जो सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अब तक के प्रयासों से क्या हासिल हुआ और क्या ठोस कदम उठाए जाएं कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर बनाने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लक्ष्य पूरा हो जाए? इसी 'पाठ्यक्रम' पर अधिकारियों की दो दिवसीय क्लास सोमवार को शुरू हुई।
योगी सरकार का दावा है कि बीते 15 साल में जितना निवेश नहीं आया, उससे ज्यादा ढाई साल में आ गया। दावा यह भी है कि अवस्थापना सुविधाएं बढ़ी हैं और नई औद्योगिक नीति से उद्यमी संतुष्ट भी हैं। सरकार के यह तमाम प्रयास जमीन पर कितने फलीभूत हुए? औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों की क्या भूमिका रही और सरकार का यह मकसद पूरी तरह कैसे सफल हो? इसी विमर्श के लिए आईआईएम ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के साथ सीआईआई भवन में दो दिवसीय कार्यशाला मंथन आयोजित की है, जिसका उद्घाटन सोमवार को औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने किया। इसमें अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर संदेश दिया कि अधिकारी टीम वर्क के रूप में सरकार के साथ करें। ईज ऑफ डूइंग का जो दावा सरकार और अफसर करते हैं, वह आवाज उद्यमियों की तरफ से आनी चाहिए।
आईआईएम के डीन प्रो. संजय कुमार सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर बनाने का जो लक्ष्य तय किया है, वह इतना आसान नहीं है। इसके लिए काफी मेहनत की जरूरत है। इसमें उद्योग विभाग के अधिकारियों की अहम भूमिका होगी। आईआईएम के क्षितिज अवस्थी ने भी सूत्र साझा किए। शुभारंभ समारोह में उप्र औद्योगिक एक्सप्रेसवे प्राधिकरण (यूपीडा) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी, औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन, प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आलोक कुमार और सीआइआइ के राज्य प्रमुख आलोक शुक्ला भी मंचासीन थे। अधिकारियों को अलग-अलग समूहों में बिठाया गया था।
फाइल नहीं, जमीन पर दिखे काम : महाना
मंथन के उद्घाटन समारोह में औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आप और हम अपने काम की तारीफ करते रहें, उससे काम नहीं चलेगा। काम फाइल पर नहीं, जमीन पर दिखना चाहिए। हमारे काम और नीतियों की तारीफ उद्यमी करें। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण जमीन बेचने वाले विभाग बन गए थे, जबकि काम उद्योगों की स्थापना करना है। पिछली किसी सरकार का नाम लिए बिना बोले कि पहले उद्योग मंत्री के पास शायद वक्त न हो इस विभाग के लिए लेकिन, मोदी और योगी सरकार ने औद्योगिक विकास को प्राथमिकता पर रखा है। मंथन में सोचना है कि हमने उस पर कितना काम किया। महाना ने कहा कि जिन्हें काम नहीं करना, वह विरासत में मिली समस्याओं पर रोते हैं। हमें विरासत की मुश्किलों को दूर करना है। जनता के विश्वास पर खरा उतरना है।
इन विषयों पर हुआ मंथन
- सितंबर 2019 में आयोजित मंथन कार्यक्रम का परिणाम
- औद्योगिक विकास : चुनौतियां और संभावनाएं
- निवेश और सुविधाओं का प्रोत्साहन
- नॉलेज ट्रांसफर और नॉलेज मैनेजमेंट
- ईज ऑफ डूइंग और उसका अनुपालन
- लैंड बैंक तैयार करने का एक्शन प्लान
- औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत अवस्थापना सुविधाओं का विकास
- पर्यावरणीय चुनौतियां
- औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में प्रतिबद्धता विकसित करना।