Citizenship Amendment Act: अब बंगाल विधानसभा में भी पारित होगा सीएए के खिलाफ प्रस्ताव
Bengal Assembly. बंगाल विधानसभा में भी जल्द ही नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की मांग वाला प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। Bengal Assembly. केरल, पंजाब के बाद अब बंगाल विधानसभा में भी जल्द ही सीएए वापस लेने की मांग वाला प्रस्ताव पारित किया जाएगा। मुख्यमंत्री व तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल दौरे पर जाते समय सोमवार को कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई पर इसकी घोषणा की।
ममता ने पूर्वोत्तर और गैर भाजपा शासित राज्यों के अपने समकक्षों से अपील की कि वे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद में शामिल होने से पहले इसके विवरण खंडों का संज्ञान लें। ममता बनर्जी ने एनपीआर की कवायद को 'खतरनाक खेल' करार देते हुए कहा कि माता-पिता के जन्मस्थान का विवरण मांगने वाला फॉर्म कुछ और नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के क्रियान्वयन का पूर्व संकेत है।
उन्होंने कहा,'मैं भाजपा शासित पूर्वोत्तर-त्रिपुरा, असम, मणिपुर और अरुणाचल तथा विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों से अपील करूंगी कि वे निर्णय पर पहुंचने से पहले कानून को ठीक तरह से पढ़ें और एनपीआर फॉर्म के विवरण खंडों का संज्ञान लें।' मुख्यमंत्री ने कहा,'मैं उनसे इस कवायद में शामिल न होने का आग्रह करती हूं क्योंकि स्थिति बहुत बुरी है।' तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा सीएए के खिलाफ जल्द ही प्रस्ताव पारित करेगी।
वाम-कांग्रेस कर रहे थे प्रस्ताव पारित करने की मांग
चार दिवसीय उत्तर बंगाल दौरे के लिए रवाना होने से पहले एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में सुश्री बनर्जी ने कहा कि यदि राज्य के विपक्षी दल सीएए पर प्रस्ताव को लेकर सहमत हों तो वे इस बाबत बैठक भी करना चाहेंगी। बता दें कि सीएम का बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में विपक्षी कांग्रेस और वाममोर्चा लगातार केरल, पंजाब की तरह बंगाल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले असम एनआरसी के खिलाफ बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।
एनपीआर पर मंथन को विपक्ष दलों को कोलकाता आने का न्योता
मुख्यमंत्री ने नाम लिए बगैर कुछ भाजपा नेताओं पर निशाना साधा और कहा कि दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री यदि एनपीआर पर कोई आम सहमति बनाने चाहें तो कोलकाता में उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि कई दिन पहले बंगाल में सरकार की ओर से एनपीआर की प्रक्रिया रोकने को लेकर अधिसूचना जारी की जा चूकी है और सीएए के खिलाफ भी तीन-चार दिनों में मसौदा तैयार कर विधानसभा में पेश किया जाएगा
मिट्टी के घरों में पैदा हुए लोग बर्थ सर्टिफिकेट देने में सक्षम नहीं
ममता ने कहा कि माता-पिता के जन्म स्थान का विवरण मांगने वाला एनपीआर फॉर्म कुछ और नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के क्रियान्वयन का पूर्व संकेत है। अगर वे मुझसे पूछते हैं कि मेरी मां का जन्म प्रमाण पत्र कहां है, तो क्या मैं या मेरे जैसे दूसरे इसे दे सकते हैं? जब मैं राज्य की सत्ता में आई तो अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों की दर केवल 65 फीसद थी। अब यह 90 फीसद है, लेकिन तब बच्चे केवल मिट्टी के घरों में पैदा हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि एनपीआर फॉर्म में माता-पिता के जन्मस्थान से जुड़ा कॉलम भरना यदि अनिवार्य नहीं है तो फिर इस कॉलम को फॉर्म में क्यों रखा गया है? यदि यह कॉलम फॉर्म में बरकरार रहता है तो इसे न भरने वाले अपने आप बाहर हो जाएंगे इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
असम में सीएए नहीं लागू करने को लेकर उठाया सवाल
ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए अगर सही मायने में ठीक है तो फिर इसे भाजपा शासित असम में लागू क्यों नहीं किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीन सकता, क्योंकि वे पहले से ही इस देश के नागरिक हैं। उनके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, इतनी सारी चीजें हैं। लेकिन लोगों को गुमराह किया जा रहा है।