नेताजी के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने कहा- भाजपा की राष्ट्रीय रणनीति बंगाल में नहीं होगी कारगर
ट्विटर पर श्री बोस ने कहा भाजपा की अखिल भारतीय रणनीति स्वामी विवेकानंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमि पर लागू नहीं होगी
कोलकाता, जागरण संवाददाता। महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पश्चिम बंगाल के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने राज्य में उपचुनाव के नतीजों में पार्टी की हार के बाद आत्ममंथन का आह्वान किया है।
ट्विटर पर श्री बोस ने कहा, भाजपा की अखिल भारतीय रणनीति स्वामी विवेकानंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमि पर लागू नहीं होगी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नाम ना लिए बगैर चंद्र कुमार बोस का इशारा एनआरसी की ओर है जिसे बंगाल की जनता ने खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि गुरुवार को घोषित उपचुनाव के नतीजों में तृणमूल कांग्रेस ने तीनों विधानसभा सीटें खड़गपुर सदर, करीमपुर तथा कालियागंज जीतकर भाजपा को दूसरे स्थान पर छोड़ दिया।
श्री बोस ने ट्वीट में कहा-राजनीतिक दलों को बंगाल में अपनी जनता के लिए काम करने और उत्थान के लिए बुनियादी ढांचे को विकसित करने में दिलचस्पी लेनी चाहिए न कि इसे केवल राजनीतिक जीत के लिए वोट बैंक के रूप में विकसित करने में।
यह रणनीति राज्य में काम नहीं करेगी क्योंकि बंगाल के लोग राजनीतिक रूप से तेज और सूक्ष्म होते हैं। उन्होंने कहा, बंगाल के लिए भाजपा में शुद्धिकरण की जरूरत है तथा स्वामी विवेकानंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमि के लिए एक विशेष रणनीति बनानी होगी।
जानकारी हो कि पश्चिम बंगाल विधान सभा उप चुनाव में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने सभी तीन सीटों पर कब्जा जमा लिया। कलियागंज, खड़गपुर सदर और करीमपुर में तृणमूल के उम्मीदवारों को जीत मिली है जबकि भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। इस जीत से गदगद तृणमूल प्रमुख व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐतिहासिक जनादेश करार दिया है और कहा है कि जनता ने भाजपा के अहंकार का जवाब दिया है। बनर्जी ने कहा कि 'धर्मनिरपेक्षता और एकता' के पक्ष में और 'एनआरसी' के खिलाफ जनादेश है क्योंकि भाजपा ने अपने अहंकार और राज्य के लोगों को अपमानित करने का काम किया जिसका वह परिणाम भुगत रही है।
ममता ने यह भी कहा कि वह 2021 (बंगाल विधानसभा) की बात कर रहे थे जबकि 2019 में ही मामला समाप्त है क्योंकि भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। भाजपा को नहीं सोचना चाहिए कि देश के लोग बहुमत (भाजपा के पास) नहीं होने के बावजूद राज्यों में सरकार गठन के उसके धौंस जमाने वाले तौर तरीकों को स्वीकार कर लेंगे।