Delhi Police vs Lawyers: 2 नवंबर को हुई हिंसा में किसकी थी गलती? सीसीटीवी से जल्द सामने आएगी सच्चाई
विज्ञापन जारी कर क्राइम ब्रांच ने आम लोगों व अधिवक्ताओं से भी अपील की है कि जिनके पास घटना से संबंधित कोई फुटेज या जानकारी है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। तीस हजारी में अधिवक्ताओं व पुलिसकर्मियों के बीच हिंसक झड़प, आगजनी व गोली चलने की घटना के बाद दिल्ली की अदालतों में शुरू हुई अधिवक्ताओं की हड़ताल अभी जल्द खत्म होते नहीं दिख रहा है। हड़ताल अब लंबी चलने की उम्मीद है। दरअसल अधिवक्ताओं की मांग है कि गोली चलाने वाले पुलिसकर्मी (एएसआइ पवन कुमार) को पुलिस गिरफ्तार कर ले तब वे लोग हड़ताल खत्म कर देंगे। लेकिन इस मामले में हो रही न्यायिक जांच पूरी होने तक पुलिस अधिकारी इस तरह का कोई भी कदम उठाने को कतई तैयार नहीं है।
बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा बार-बार अधिवक्ताओं से हड़ताल खत्म करने की अपील करने पर अधिवक्ताओं में अपने पदाधिकारियों के प्रति गुस्सा पनपने लगा है। अधिवक्ताओं का आरोप है कि एसोसिएशन के पदाधिकारी उनकी मांग पूरी नहीं करा पा रहे हैं। उन्होंने एक सप्ताह पहले यह आश्वासन देते हुए उनसे हड़ताल खत्म करने की अपील की थी कि दस दिनों के अंदर पुलिसकर्मी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन, अधिवक्ताओं की हड़ताल जारी रही। मंगलवार को अब हड़ताल को दस दिन का समय पूरा हो गया, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। ऐसे में अब अधिवक्ताओं का कहना है कि उन्हें झूठा आश्वासन दिया गया, वे लोग अब अनिश्चित कालीन हड़ताल जारी रखेंगे।
अधिवक्ताओं व पुलिस अधिकारियों की निगाहें न्यायिक जांच की रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं। अधिवक्ताओं में कहीं न कहीं संशय है कि कहीं न्यायिक जांच उनके खिलाफ न आ जाए, जबकि दिल्ली पुलिस आत्मविश्वास से लवरेज दिखाई दे रही है। उन्हें पुलिस के पक्ष में रिपोर्ट आने की उम्मीद है। दरअसल तीस हजारी कोर्ट के सभी कॉम्पलेक्स, परिसर, लॉक अप व सड़क किनारे स्थित तीन मेन प्रवेश व निकासी द्वारों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। सभी कैमरे ठीक हालत में हैं। ऐसे में पूरे बवाल की तस्वीरें इसमें कैद हैं।
सभी फुटेज को क्राइम ब्रांच की एसआइटी ने कब्जे में ले लिया है। साथ ही विज्ञापन जारी कर क्राइम ब्रांच ने आम लोगों व अधिवक्ताओं से भी अपील की है कि जिनके पास घटना से संबंधित कोई फुटेज या जानकारी है। वह सब्जीमंडी थाने में आकर जानकारी दे सकते हैं। तीस हजारी अदालत ने भी पुलिस से कहा है कि बवाल से संबंधित जितने भी फुटेज सामने आ रहे हैं, उसे सबूत के तौर पर सहेज कर रखें।
बेकुसूर अधिवक्ताओं को भी पुलिस ने पीटा
अधिवक्ताओं का आरोप है कि 2 नवंबर की शाम छह बजे पुलिसकर्मियों ने के ब्लॉक के भूतल पर स्थित चैंबर नंबर 73 व 75 में तोड़फोड़ की थी। यही नहीं वहां मौजूद पुरुष व महिला अधिवक्ताओं के साथ मारपीट और बदसुलूकी भी की गई। जबकि उन लोगों का विवाद से कोई लेना देना नहीं था। वे लोग चैंबर से बाहर भी नहीं निकले थे। चैंबरों में तोड़फोड़ की गई। शीशे के दरवाजे को तोड़ दिया था। गजानंद ब्लॉक में जहां करीब 600 अधिवक्ताओं के बैठने के लिए सिटिंग अरेंजमेंट की व्यवस्था है, वहां जाकर अधिवक्ताओं के साथ मारपीट व तोड़फोड़ की है।
घटना के दो दिन बाद चार नवंबर की शाम एक अधिवक्ता जब मेट्रो से घर लौट रहे थे तब पालम मेट्रो स्टेशन के बाहर एक पुलिसकर्मी ने काला कोट पहने देखकर उनसे पूछा कि क्या वह अधिवक्ता हैं। हामी भरने पर पुलिसकर्मी ने उसकी पिटाई कर दी थी। अधिवक्ता ने जब पुलिसकर्मी से कहा कि उसकी बहन दिल्ली पुलिस में एसीपी हैं, तब भी उसने उन्हें नहीं बख्शा। उक्त मामले को लेकर पीड़ित अधिवक्ता ने तीस हजारी कोर्ट में शिकायत की है।
हड़ताल पर वकील शुक्रवार को इंडिया गेट पर करेंगे प्रदर्शन
तीस हजारी कोर्ट में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद शुरू हुई वकीलों की हड़ताल अभी तक जारी है। साकेत कोर्ट में मंगलवार को वकीलों ने काम नहीं किया। इस कारण यहां आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां कोई अपने मामले की सुनवाई में आया था, किसी के मामले में फैसला आना था।
कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल दिल्ली डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव धीर सिंह कसाना ने कहा कि पुलिस की गोली से घायल वकील लंबे समय से आइसीयू में है। लेकिन अभी तक गोली मारने वाले पुलिसकर्मी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। सरकार व पुलिस आरोपित को बचा रही है। कसाना ने कहा कि जब तक आरोपित पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी नहीं होगी, वकीलों की हड़ताल जारी रहेगी।
कसाना ने कहा कि शुक्रवार को दिल्ली की सभी जिला अदालतों के वकील इंडिया गेट पर प्रदर्शन करेंगे। वकील सुबह साढ़े 11 बजे पटियाला हाउस कोर्ट में जुटेंगे इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर जाकर प्रदर्शन करेंगे। वहीं, कोर्ट आने वाले मुवक्किलों का कहना है कि पुलिस व वकीलों के इस झगड़े में आम लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। सरकार को हस्तक्षेप कर मामले को सुलझाना चाहिए।
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