Jawaharlal Nehru Birth Anniversary: पढ़िए- एशिया के औद्योगिक मानचेस्टर के रूप में विख्यात NIT शहर के बारे में
Jawaharlal Nehru Birth Anniversary एशिया के औद्योगिक मानचेस्टर के रूप में विख्यात हुआ एनआइटी शहर विशुद्ध रूप से प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की देन है।
फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। Jawaharlal Nehru Birth Anniversary: एशिया के औद्योगिक मानचेस्टर के रूप में विख्यात हुआ एनआइटी शहर विशुद्ध रूप से प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की देन है। देश विभाजन के समय उत्तरी पश्चिमी सीमांत प्रांत के छह जिलों (अब पाकिस्तान में) बन्नू, पेशावर, हजारा, मर्दान, कोहाट और डेरा इस्माईल खान से आए करीब से विस्थापित होकर आए 50 हजार लोगों को बसाने के लिए और उनको रोजगार देकर अपार संभावनाओं का शहर बनने का सपना जो पंडित नेहरू ने देखा था, वह बाद में पूरी तरह से साकार हुआ।
त्रिमूर्ति चौक पर पंडित नेहरू की कोठी के समक्ष दी थी गिरफ्तारियां
दरअसल देश विभाजन के बाद अपना सब कुछ मूल वतन में छोड़ कर आए इन शरणार्थियों को केंद्र सरकार राजस्थान के अलवर और भरतपुर में बसाना चाहती थी, पर शरणार्थी दिल्ली के आसपास बसना चाहते थे। इसके लिए खान अब्दुल गफ्फार खान बादशाह खान के संगठन खुदाई खिदमतगार के सदस्यों कन्हैया खट्टक, खामोश सरहदी पं.गोबिंद दास, सालार सुखराम, जेठा नंद, चौ.दयालागंद, दुली चौधरी, तोता राम, निहाल चंद, छत्तू राम गेरा, सरदार गुरबचन सिंह, लक्खी चाचा, पंडित अनंत राम शौक, श्रीचंद मर्दानी, खुशी राम गणखेल जैसे संघर्षशील लोगों का एक संगठन बना, जिसके बैनर तले पुन: स्थापना मंत्रलय व त्रिमूर्ति चौक पर पंडित नेहरू की कोठी के समक्ष सत्याग्रह शुरू हुआ। इसके तहत रोजाना 11 व्यक्ति गिरफ्तारी देते, जिन्हें दिल्ली सेंट्रल जेल में हवालाती के तौर पर रखा जाता। इस मुहिम में कुल 81 सत्याग्रही गिरफ्तार हुए। बंटवारे के बाद नाजुक माहौल में हुई गिरफ्तारियों से प्रधानमंत्री पं.नेहरू चिंतित हुए और अपनी निकटतम सलाहकार मृदुला साराभाई को सत्याग्रहियों से बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी, बातचीत के बाद सरकार ने फरीदाबाद, राजपुरा व बहादुरगढ़ के रूप में तीन नए शहर विकसित करने का फैसला किया। दिल्ली के निकट होने के कारण सबकी सहमति फरीदाबाद पर बनी और अंतत: एनआइटी शहर का जन्म हुआ।
17 अक्टूबर-1949 को पड़ी थी एनआइटी की नींव
अखिल भारतीय तालीमी संघ की संयुक्त सचिव आशा देवी आर्यनायकम ने एनएच पांच में जहां आज आइटीआइ स्थित है, इस स्थान पर 17 अक्टूबर 1949 के दिन खुदाई खिदमतगार सालार सुखराम, सरदार गुरबचन सिंह, भारतीय सहकारिता यूनियन के मुख्य संगठनकर्ता एलसी जैन व अन्य बुजुर्गो के साथ फावड़े चला कर शहर स्थापित करने की शुरुआत की। इस पूरे संघर्ष का जिक्र एलसी जैन की पुस्तक ‘द सिटी ऑफ होप’ में है। नए फरीदाबाद का डिजाइन जर्मन आर्किटेक्ट निस्सन ने बनाया था। इसीलिए एक, दो, तीन, चार एवं पांच नंबर क्षेत्र को एनएच (निस्सन हट्स) के नाम से भी जाना जाता है।
पूर्ण विकास के लिए पंडित नेहरू ने गठित किया था बोर्ड
जब 17 अक्टूबर-1949 को नींव पड़ी, तो शहर को पूरी तरह से विकसित करने के उद्देश्य से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फरीदाबाद विकास बोर्ड का गठन किया था, जिसके चेयरमैन देश के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद बनाए गए थे। प्रशासनिक अधिकारी सुधीर घोष मुख्य प्रशासक थे। सबसे खास बात यह है कि पंडित नेहरू भी इस बोर्ड में विशेष आमंत्रित सदस्य थे और बोर्ड की कुल 24 बैठकों में से 21 में उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए बतौर सदस्य हिस्सा लिया था। अब जिस शहर के बोर्ड के चेयरमैन प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद होंगे और सदस्य प्रधानमंत्री होंगे, तो शहर को विकसित करने की दिशा में काम भी तेजी से होंगे। इसके तहत विस्थापित लोगों के लिए 233 वर्ग गज के 5196 मकान बनाए गए थे और उस समय पांच करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे।
रोजगार के लिए स्थापित कराए कारखाने
अब विस्थापितों के सिर पर छत का प्रबंध करने के साथ-साथ उनकी गुजर-बसर के लिए के लिए रोजगार का प्रबंध भी प्रथम प्रधानमंत्री ने किया। इसके लिए यहां बाटा शू, लक्ष्मी रतन, हिंदुस्तान ब्राउन बोवरी, कपड़ा मिल, भारत सरकार मुद्रणालय फरीदाबाद, पावर हाउस, मूलचंदानी रेडिया फैक्ट्री आदि प्रमुख कारखाने स्थापित किए गए थे। समय बीतने के साथ ही औद्योगिक नगरी का विस्तार आगे सेक्टर-24 और 25 तक में हुआ, जिसमें ट्रैक्टर बनाने वाली आयशर, फ्रिज बनाने वाली केल्वीनेटर, एस्काट्र्स, गेडोर टूल्स आदि कारखाने स्थापित हुए और बाद में लखानी शूज, महारानी पेंट्,स वीजी इंडस्ट्री, वीनस, शिवालिक लॉक्स, विक्टोरा टूल्स जैसी कई लघु, मध्यम व बड़ी औद्योगिक इकाईयां समय के साथ स्थापित हुई, जिन्होंने फरीदाबाद औद्योगिक नगरी को एक नई पहचान दी।