धुआं रहित तंबाकू के खिलाफ दक्षिण पूर्व एशियाई देश हुए एकजुट
धुआं रहित तंबाकू के खतरे को भांपते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई देश एकजुट हुए हैं। तंबाकू विज्ञापन प्रचार व प्रायोजन के खिलाफ सख्ती से निपटने के लिए एक-दूसरे का सहयोग मांगा है।
नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। धुआं रहित तंबाकू (स्मोकलेस टोबैको) के खतरे को भांपते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई देश एकजुट हुए हैं। तंबाकू विज्ञापन, प्रचार व प्रायोजन (टीएपीएस) के खिलाफ सख्ती से निपटने के लिए एक-दूसरे का सहयोग मांगा है। जिससे तंबाकू से होने वाली मौतों को रोका जा सकें। यह जानकारी राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआइसीपीआर) की निदेशक डॉ. शालिनी सिंह ने दी।
कई देश हुए शामिल
उन्होंने बताया कि 6 व 7 नवंबर को भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (आइसीएमआर) में दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र (सियार) देशों की बैठक हुई। बैठक में म्यांमार, भूटान, बांग्लादेश जैसे देशों के प्रतिनिधि शामिल रहे। बैठक में नेपाल को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन उनके स्वास्थ्य प्रतिनिधि किसी कारण से बैठक में शामिल नहीं हो पाए।
सभी देशों में बनी सहमति
इसमें सभी देशों ने तंबाकू विज्ञापन, प्रचार व प्रायोजन (टीएपीएस) के खिलाफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुच्छेद 13 का पालन करने पर सहमति बनी। अनुच्छेद को तहत लगाम की बात कहीं। बैठक में दक्षिण पूर्व एशिया तंबाकू नियंत्रण गठबंधन (एसइएटीसीए) के अधिकारी भी शामिल रहे। बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र सहित कई अन्य राज्यों के तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के अधिकारी भी शामिल रहे।
मौत पर लगेगी लगाम
धुआं रहित तंबाकू पर लगाम के चलते कैंसर, हृदय रोग, मस्तिष्काघात और श्वसन संबंधी बीमारियों से होने वाली मौत पर लगाम लग पाएगी। उन्होंने बताया कि आज तंबाकू का उत्पादन करने वाली कंपनियां प्रचार के सभी माध्यमों के जरिए तंबाकू के हानिकारक न होने को लेकर ऐसा माहौल तैयार कर रही है जो युवाओं को धूमपान करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया में तंबाकू पर प्रतिबंध लगाना कठिन हो गया है। यह इसलिए हो रहा है जब तंबाकू उत्पादों को खुलेआम प्रचार की अनुमति मिली है। इसलिए इसपर सख्ती से रोक लगनी चाहिए।