पीएम मोदी के लिए एक बार क्या 100 बार विधायक की कुर्सी कुर्बान: अनिल वाजपेयी
विधानसभा से सदस्यता रद होने पर AAP के बागी विधायक अनिल वाजपेयी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक बार क्या ऐसी सौ विधायकी कुर्बान करने को तैयार हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली विधानसभा से सदस्यता निरस्त होने पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिल वाजपेयी ने कहा कि अलोकतांत्रिक तरीके से उनकी सदस्यता निरस्त की गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ऐसी सौ विधायकी कुर्बान है। वह प्रधानमंत्री के कार्यों से प्रभावित होकर भाजपा में गए।
अनिल वाजपेयी ने कहा वह ऐसे लोगों के साथ नहीं रहना चाहते थे जो सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत मांगे और सेना के शौर्य का मजाक बनाए। वाजपेयी ने कहा कि विधानसभा सचिव ने सदस्यता निरस्त करने का लिखित आदेश उन्हें अभी तक नहीं दिया है। जब आदेश की कॉपी मिलेगी तब वह वकीलों से बात करेंगे कि आगे क्या करना है।
बता दें कि दलबदल के मामले में दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष राम निवास गोयल (Speaker Ram Niwas Goel) ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी के बागी विधायक अनिल वाजपेयी (Anil Bajpai) और देवेंद्र सहरावत (Devendra Sehrawat) को अयोग्य घोषित कर दिया था। ये दोनों नेता अभी हाल में ही भाजपा में शामिल हुए हैं।
स्पीकर ने मांगा था जवाब
दलबदल कानून मामले में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने आम आदमी पार्टी के बागी विधायक अनिल वाजपेयी और देवेंद्र सहरावत को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। बिजवासन से विधायक कर्नल देवेंद्र सहरावत और गांधीनगर से विधायक अनिल वाजपेयी को जारी नोटिस में विधानसभा अध्यक्ष ने पूछा था कि आप लोग भाजपा में शामिल हो गए हैं, ऐसे में क्यों न आपकी विधानसभा सदस्यता रद कर दी जाए?
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का दामन थामने को लेकर सौरभ भारद्वाज ने इनकी लिखित में विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी। इसमें उन्होंने इन दोनों बागी विधायकों के भाजपा के मंचों और कार्यक्रमों को साझा करने से संबंधित सारी गतिविधियों का सिलसिलेवार ब्योरा दिया था।
2013 में आप से जुड़े थे
अनिल वाजपेयी ने बताया कि वह कांग्रेस प्रदेश सचिव रहे हैं और आरडब्ल्यूए अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने विभाग में मची लूट पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ था। उसी वक्त अरविंद केजरीवाल ने उनसे कहा था कि दोनों का मकसद एक है, साथ काम करेंगे तो बेहतर होगा।
इसके बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। 2013 में गांधी नगर से पार्टी ने उन्हें टिकट दिया, लेकिन वह हार गए। कुछ वक्त बाद सरकार गिर गई। 2015 के चुनाव में फिर से पार्टी ने उन्हें गांधी नगर से उतारा और वह भारी बहुमत से जीते। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से कुछ ही दिन पहले अनिल वाजपेयी भाजपा में शामिल हो गए थे।
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